विजयवर्गीय के मन में क्या है? उम्र 67 साल, जन आशीर्वाद यात्रा में विंध्य, चंबल से मालवा-निमाड़ तक घूमे, चुनाव लड़ने को भी तैयार

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Pratibha Rana
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विजयवर्गीय के मन में क्या है? उम्र 67 साल, जन आशीर्वाद यात्रा में विंध्य, चंबल से मालवा-निमाड़ तक घूमे, चुनाव लड़ने को भी तैयार

संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बीजेपी की जनआशीर्वाद यात्रा से पूरे प्रदेश में फिर से सक्रिय होने का जमकर लाभ उठाया है। तीन सितंबर से 22 सितंबर तक विंध्य से ग्वालियर-चंबल एरिया हो या मालवा-निमाड़ का क्षेत्र 50 से ज्यादा विधानसभाओं में अपनी उपस्थिति दिखा दी और लगातार हर दिन किसी ना किसी जगह का दौरा करते रहे। चुनावी सीजन के आगाज होने के साथ ही जिस तरह से वह सक्रिय है, ऐसे में राजनीतिक गलियारे में भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर विजयवर्गीय के मन में क्या है? और उनकी रणनीति क्या है? बीच में जब प्रदेश में परिवर्तन की हवा चली तो उनका भी खूब नाम चला लेकिन वह सिर्फ कयास ही साबित हुए। अब इस आशीर्वाद यात्रा के जरिए उन्होंने खुद का माहौल बनाने में कोई कसर नहीं। जन आशीर्वाद यात्रा का समापन 25 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भोपाल में कार्यकर्ताओं के महासम्मेलन के साथ हो रहा है।

पहले एक नजर डालते हैं, जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान 3 से 22 सितंबर तक उनका दौरा

- 3 सितंबर चित्रकूट में जिला सतना से जेपी नड्‌डा ने जन आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत की और विजयवर्गीय शामिल हुए

- 4 सितंबर नीचम में राजनाथ सिंह के साथ यात्रा की, जावद गए

- 5 सितंबर को मंडला में अमित शाह की यात्रा का आयोजन हुआ

- 6 सितंबर में मंदसौर के गरोठ, भानपुरा, श्यामगढ़, मंदसौर, सुवासरा व अन्य जगह यात्रा में रहे

- 7 सितंबर मंदसौर, सीतमउ के बाद शाम को महू में युवा मोर्चा के दंगल कार्यक्रम में रहे

- 8 सितंबर को खंडवा, पंधाना की यात्रा में शामिल हुए

- 9 सितंबर को खंडवा मंधाता, बड़वाह के साथ खरोगन के भीकनगांव की यात्रा

- 10 सितंबर को खरगोन में, इसी दिन इंदौर में स्वास्थय शिविर को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की

- 11 सितंबर को इंदौर में गोवा के सीएम प्रमोद सांवत से मिले और फिर ग्वालियर रवाना

- 12 सिंतबर को ग्वालियर भीतरवार में यात्रा

- 13 सितंबर को ग्वालियर में प्रेस कांफ्रेंस, फिर दिल्ली में बीजेपी दफ्तर में बैठक, पीएम मोदी के सम्मान कार्यक्रम में

- 14 सितंबर दतिया की पीतांबरा पीठ, फिर शिवपुरी के कोलारस, करैरा, पिछोर, शिवपुरी में यात्रा

- 15 सितंबर को इंदौर में स्वास्थय शिविर कार्यक्रम

- 16 सितंबर को धार में कार्यक्रम

- 17 सितंबर- पीएम मोदी के जन्मदिन पर इंदौर विधानसभा दो में कार्यक्रम, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का स्वागत

- 18 सितंबर को इंदौर में विविध कार्यक्रम खेल प्रतियोगिता, पूजन और अन्य।

- 19 सितंबर इंदौर में गणेश चतुर्थी के आयोजन में

- 20 सितंबर इंदौर जिले की जन आशीर्वाद यात्रा में राऊ के साथ शहर की सभी विधानसभाओं से यात्रा रात साढ़े आठ बजे तक

- 21 सितंबर को सांवेर में जनआशीर्वाद यात्रा

- 22 सितंबर को देवास जिले में यात्रा, यहां सोनकच्छ, कन्नौद, बागली, देवास, हाटपिपल्या में यात्रा

- 23 सितंबर को इंदौर में यात्रा पूरी होने प्रेस कांफ्रेंस

- 24 सितंबर को भोपाल में मीडिया सेंटर पूजन और अन्य कार्यक्रम के साथ 25 सितंबर के कार्यकर्ता महासम्मेलन की तैयारियों में शामिल

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पार्टी कहेगी तो चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार विजयवर्गीय

विजयवर्गीय ने मीडिया से चर्चा में कहा कि वह 65 प्लस हो चुके हैं, उनका अंतिम चुनाव साल 2013 में महू विधानभा से था, अब नए युवाओं को मौका देने के लिए वह पार्टी में चुनाव नहीं लड़ने का बोल चुके हैं। फिर भी यदि पार्टी कहती है तो मैं उनका सिपाही हूं जिस मोर्च से कहेंगे में डट जाउंगा, पार्टी के आदेश का पालन करेंगे।

लंबे समय से बड़े मंच की खोज में जुटे थे विजयवर्गीय

जुलाई 2015 में मप्र शासन से मंत्री पद का इस्तीफा देने के बाद साल 2019 तक तो विजयवर्गीय के लिए केंद्र में सब कुछ ठीक चला, वह हरियाण के प्रभारी रहते हुए पार्टी को जिताने में कामयाब रहे, फिर साल 2018 में बेटे आकाश को अपनी जगह टिकट दिलाने में कामयाब रहे, साल 2019 में उनकी तूती बोली जब पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में ममता बैनर्जी की पार्टी को जोरदार झटका दिया। इसके बाद उनके ही प्रभार में पश्चिम बंगाल का चुनाव हुआ, जिसमें जीतने के दावे धरे रह गए और बीजेपी हार गई, वहीं इसी बीच मप्र में कांग्रेस सरकार के समय उनके बेटे का बल्ला कांड हो गया, जिस पर मोदी जी ने भी नजरें टेढ़ी कर ली। इसके बाद कोई बड़ा काम पार्टी में उनके पास दिखाने के लिए नहीं आया। अब एक बार फिर मप्र में चुनाव की आहट के बाद वह तेजी से सक्रिय हुए। जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की बयांर चली तो लगा वह फिर से प्रदेश की सत्ता के केंद्र में आ रहे हैं लेकिन बात नहीं बनी। अब इस यात्रा के जरिए विजयवर्गीय ने फिर पूरे प्रदेश में बीजेपी के साथ खुद के लिए भी माहौल बनाने में कोई कमी नहीं रखी है।

कैलाश विजयवर्गीय की संभव है यह दो तरफा रणनीति

बीजेपी इस बार कई जगह खुद के नाम को स्थानीय प्रत्याशियों के आगे रख चुके हैं, जैसे सोनकच्छ में ही कहा यहां से राजेश सोनकर नहीं कैलाश विजयवर्गीय ही लड़ रहे हैं उन्हें जिताओं तो एक के साथ एक विधायक और मिलेगा। इस यात्रा के जरिए विजयवर्गीय बीजेपी के साथ ही अपने खास लोगों की फौज फिर से तैयार करने में जुट गए हैं। जिस तरह से महापौर चुनाव में पुष्यमित्र भार्गव के लिए वह जुटे और संदेश दिया कि यह टिकट उनका कराया है और फिर जीत के बाद जिस तरह वह सामने आए और यह मुहर लगाई कि यह महापौर तो हमारे है, वहीं संदेश मप्र की कई विधानसभा सीटों पर बीजेपी में बड़े स्तर पर देने में कर रहे कि उन्हें प्रदेश की राजनीति में अलग नहीं रखा जा सकता है और कई उम्मीदवार उनके नाम, मेहनत से जीते। इस संदेश के जरिए वह दो काम करना चाहेंगे पहला तो अपने बेटे की सीट सुरक्षित रखें और संभव हो तो बेटे आकाश को विधानसभा दो में करा सकें ताकि और बड़ी जीत सुनिश्चित की जा सके, दूसरा यह है कि चुनाव के बाद पार्टी केंद्र या प्रदेश कहीं भी उन्हें एक बड़ा मंच उपलब्ध कराएं, वह पार्टी के लिए अभी भी बड़े काम के हैं, यह अप्रत्यक्ष मांग उनकी सबसे बड़ी रणनीति है।


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