संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में विधानसभा एक के बीजेपी प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय की 51 हजार रुपए देने की घोषणा तूल पकड़ गई है। विजयवर्गीय ने घोषणा की है जिस बूथ से कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिलेगा, वहां के बूथ अध्यक्ष को 51 हजार रुपए देंगे। इसी मुद्दे पर कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला ने कहा कि वह तो मजूदर के बेटे हैं, उनके पास अरब रुपए आया कहां से जो वह बांट रहे हैं। विजयवर्गीय ने उनके साड़ी और राशि बांटने पर भी तंज किया था कि वह तो पिता की कमाई है जो बांट रहे हैं। इस पर भी शुक्ला ने जवाब दिया कि पिता की कमाई बेटे के पास ही आती है और यह ईमानदारी, मेहनत की कमाई है जो धर्म के काम में लग रही है। दोनों के बीच धनबल की चली इस लड़ाई के बीच द सूत्र ने दोनों के चुनावी शपथपत्र के आधार पर देखा कि आखिर इनका धनबल कितना है और इसके पीछे क्या सोर्स और राज छिपा है?
शपथपत्रों से यह है दोनों की कमाई का जरिया
कैलाश विजयवर्गीय साल 2013 के बाद चुनाव नहीं लड़े हैं इसलिए उनका आखरी औपचारिक संपत्ति का विवरण इसी साल के चुनाव शपथपत्र से है। इस शपथपत्र में उन्होंने अपनी कमाई का जरिया किराया और विधायक के तौर पर मिलने वाला वेतन बताया था। वहीं संजय शुक्ला साल 2008 में विधानसभा चुनाव लड़े, फिर 2018 में और साथ ही 2022 में महापौर पद का भी चुनाव लड़े। इन सभी में उनकी और पत्नी दोनों की कमाई का जरिया व्यापार रहा है। कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश ने साल 2018 में कमाई का जरिया खुद को वेतनभोगी बताया था और पत्नी का भी व्यवसाय बताया था। शुक्ला और विजयवर्गीय को इसके साथ अन्य निवेश से आय होती है।
संपत्ति के मामले में कहीं नहीं टिकते विजयवर्गीय
कुल संपत्ति की बात करें तो महापौर चुनाव के दौरान शुक्ला की कुल संपत्ति 170 करोड़ रुपए की थी। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 103 करोड़ घोषित संपत्ति थी। उनकी कमाई का जरिया व्यापार है, पत्नी का भी व्यापार है। वहीं कैलाश विजयवर्गीय के साल 2013 के दौरान (हालांकि दस साल का अंतर है) उनकी संपत्ति एक करोड़ 80 लाख के करीब थी। इमसें चल और अचल संपत्ति का हिस्सा 50-50 फीसदी था। साल 2018 में उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय के शपथपत्र की बात करें तो उनकी संपत्ति करीब सवा दो करोड़ रुपए थी।
शुक्ला के पास एक-दो नहीं 75 वाहन
विजयवर्गीय के शपथपत्र में कोई वाहन नहीं है तो वहीं शुक्ला के पास साल 2018 में जहां 50 वाहन थे। वहीं साल 2022 के शपथत्र में यह 75 हो गए। उनके पास लग्जरी कारों का काफिला है जिसका नंबर 9000 है। वहीं इसके साथ ही जेसीबी, डंपर, हाइड्रा जैसे कई कमर्शियल वाहन मौजूद हैं।
राजनीतिक अनुभव में शुक्ला काफी पीछे
धनबल के बाद यदि राजनीतिक अनुभव की बात करें तो कैलाश विजयवर्गीय की चुनावी यात्रा 1985 में पार्षद चुनाव जीतने से हुई। इसके बाद वह 1990, 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 लगातार छह विधानसभा चुनाव जीते और साल 2003 से लेकर 2015 तक मप्र शासन में मंत्री भी रहे। वहीं शुक्ला के राजनीतिक अनुभव की बात करें तो वह साल 2008 में विधानसभा चुनाव बीजेपी के प्रत्याशी सुदर्शन गुप्ता से आठ हजार से अधिक वोट से हार थे, फिर 2013 में उन्हें टिकट नहीं मिला, साल 2018 में वह गुप्ता को उन्होंने 8163 वोट से हराया था। लेकिन महापौर चुनाव में वह 1.31 लाख वोट से हार गए थे। इसमें वह अपनी विधानसभा एक में भी 15 हजार से अधिक वोट से चुनाव हार गए थे।