संजय गुप्ता @ INDORE
कांग्रेस ने करारी हार के लिए ईवीएम के माथे पर गगरी फोड़ दी है, लेकिन वह अपने गिरेबां में झांकने को तैयार नहीं है। इंदौर में सभी नौ सीट गंवाने वाली कांग्रेस के पास पांच साल से शहर कार्यकारिणी ही नहीं है। केवल चंद प्रवक्ता नियुक्त किए गए हैं। वर्तमान शहर अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा ने कार्यकारिणी गठित नहीं की और ना ही इसके पहले सालों तक पद पर रहे विनय बाकलीवाल ने इसकी जहमत उठाई। उधर बीजेपी के संगठन सिस्टम पर नजर डालें तो अलग समझ आता है कि वह क्यों मैदान पर मजबूत है। इंदौर में ही 60 हजार मैदानी कार्यकर्ता नियुक्त हैं। हालत यह है कि पन्ना प्रमुख पद के जरिए इंदौर के हर 30 मतदाता पर बीजेपी का एक कार्यकर्ता मैदान पर मौजूद है।
पहले देखते हैं कांग्रेस के संगठन के हाल-
- इंदौर में कांग्रेस ने ग्रामीण क्षेत्र में जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव को बनाया हुआ है और शहराध्यक्ष की नियुक्त चुनाव के कुछ माह पहले ही सुरजीत सिंह चड्ढा के रूप में की। शहराध्यक्ष में जो महामंत्री, उपाध्यक्ष, सदस्य व अन्य पदों के रूप में कार्यकारिणी होना चाहिए वह पांच साल से नहीं है।
- कांग्रेस में शहराध्यक्ष के नीचे ब्लॉक अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी (एक विधानसभा में तीन ब्लॉक), फिर इसके नीचे वार्ड अध्यक्ष और फिर इसके नीचे मंडलम अध्यक्ष होते हैं जो दो-तीन बूथ से मिलकर बनता है।
- कांग्रेस की शहर कार्यकारिणी नहीं है और इससे बुरे हाल तो यह है कि ब्लॉक अधय्क्ष, वार्ड अद्यक्ष और मंडलम अध्यक्ष के कोई पते नहीं है। हालत यह है कि जिसे टिकट मिलता है वहीं उम्मीदवार अपने लोगों को तैयार करता है और बूथ मैनेजमेंट संभालने की जिम्मेदारी देता है और उसे खुद ही भुगतान करता है। पार्टी से कोई मदद नहीं मिलती है।
अब समझिए बीजेपी का संगठन स्ट्रक्चर, क्यों है विश्व की सबसे बड़ी पार्टी-
बीजेपी में सबसे निचले पायदन पर होता है पन्ना प्रमुख (एक पन्ने पर 30 मतदाताओं के नाम होते हैं), इसके ऊपर होता है बूथ अध्यक्ष, इसके साथ ही बूथ महामंत्री, बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) और 20 सदस्यीय बूथ कार्यकारिणी होती है, जिसमें पन्ना प्रमुख शामिल होते हैं। यह उसी बूथ से जुड़े स्थानीय लोग ही होते है, जो सभी मतदाताओं को पहचानते हैं।
- इंदौर में नौ विधासनभा में 2500 से ज्यादा बूथ है, इन्हें 20 कार्यकर्तां से गुणा करें तो 50 हजार से ज्यादा तो यही मैदानी कार्यकर्ता है जो बूथ मैनेजमेंट संभालते हैं।
- बूथ कार्यकारिणी के ऊपर होता है शक्ति केंद्र जिसमें प्रभारी और संयोजक होते हैं, यह चार-पांच बूथ से मिलकर बनता है।
- शक्ति केंद्र के ऊपर होता है वार्ड संयोजक।
- वार्ड संयोजक के ऊपर का स्ट्रक्चर होता है मंडल अध्यक्ष का जिसमें पूरी कार्यकारिणी होती है, इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री पद के साथ ही सोशल मीडिया प्रभारी, आईटी सेल प्रभारी व अन्य पदाधिकारी होते हैं।
- मंडल अध्यक्ष के ऊपर जिलाध्यक्ष और उनकी पूरी कार्यकारिणी होती है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन जैसे बड़े शहर में जिला कार्यकारिणी दो भागों में होती है एक नगराधय्क्ष और उनकी कार्यकारिणी, दूसरी ग्रामीण जिला कार्यकारिणी। इस तरह प्रदेश में बीजेपी की 57 जिला कार्यकारिणी है।
- इसके साथ ही बीजेपी के सात मोर्चा और उनकी पूरी कार्यकारिणी जिला स्तर पर होती है, जिसमें युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक व किसान मोर्चा होता है। यह पार्टी के लिए अपने क्षेत्र में काम करते हैं।
- वहीं बीजेपी के 17 विविध प्रकोष्ठ होते हैं, जिसमें आर्थिक प्रकोष्ठ, व्यापारिक प्रकोष्ठ, विधि, चिकित्सा, शिक्षक, बुनकर, मछुआरा, सांस्कृतिक, व्यावसायिक व अन्य प्रकोष्ठ है। इनकी भी पूरी एक समिति होती है जो अपने क्षेत्र के लोगों के बीच पार्टी के लिए काम करती है उन्हें जोड़े रखती है।
- बूथ कार्यकर्ता, विविध मोर्च, प्रकोष्ठ व अन्य कार्यकारिणी को जोड़ लें तो इंदौर जिले में ही करीब 60 हजार सक्रिय कार्यकर्ताओं की बीजेपी के पास लंबी फौज मौजूद है।
इसके साथ संघ की ताकत
वहीं बीजेपी के खुद के स्ट्रक्चर, मोर्चा, प्रकोष्ठ के साथ संघ की ताकत मिलती है तो यह एक और एक ग्यारह वाली स्थिति बन जाती है। संघ में शाखा, फिर इसके ऊपर बस्ती, फिर नगर, फिर जिला, विभाग, प्रांत (जैसे मालवा प्रांत में इंदौर व उज्जैन संभाग शामिल है), फिर क्षेत्र और इसके ऊपर राष्ट्र होता है। संघ की शाखाओं से जुड़े लोग राष्ट्रवाद, देशभक्ति, जन जागरुकता का काम करते हैं जो सीधे तौर पर बीजेपी को ताकत देते हैं।
बीजेपी संगठन के खर्चे का भी यह निराला तरीका
विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी बीजेपी खर्चे के लिए जन सहयोग निधि के फार्मूले पर काम करती है। यह हर साल कुशाभाउ ठाकरे के जन्मदिन पर यह राशि जमा करती है जो सौ रुपए से लेकर दस हजार रुपए के चंदे के रूप में होती है। हर साल करीब दो करोड़ रुपए इंदौर में ही जमा होते हैं। इसमें से इस राशि का बंटवारा मंडल स्तर, नगर स्तर, प्रदेश स्तर और राष्ट्र स्तर पर 25-25 फीसदी राशि में हो जाता है, जो इससे पार्टी के विविध आयोजन के लिए खर्च करती है।