यशवंत क्लब के सचिव गोरानी के 420 के आरोपी भाई नरेंद्र को कोर्ट से जमानत, सदस्य बनाने 5 साल पुराने प्रस्ताव पर संविधान ही बदल डाला

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Pratibha Rana
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यशवंत क्लब के सचिव गोरानी के 420 के आरोपी भाई नरेंद्र को कोर्ट से जमानत, सदस्य बनाने 5 साल पुराने प्रस्ताव पर संविधान ही बदल डाला

संजय गुप्ता@ INDORE.

इंदौर के यशवंत क्लब के सचिव संजय गोरानी के भाई और क्लब सदस्य नरेंद्र गोरानी को गुरूवार (2 नवबंर) को करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज हुए 420 के केस में फिलहाल कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनका साथी पार्टनर (जिससे बाद मे विवाद हुआ) रमेश शाह कोर्ट में पेश नहीं हुआ, अब उसे फरार घोषित करने की कार्रवाई हो रही है। गोरानी ने फ्लैट बेचने का सौदा कर लोगों को फ्लैट नहीं दिए ना ही आर्बिट्रेशन के फैसले के बाद पीड़ितों को राशि लौटाई (हांलाकि इस दौरान परिवार में करोड़ों रुपए खर्च कर गोवा में शादी हुई)। वहीं द सूत्र के पास मौजूद दस्तावेजों से खुलासा हो रहा है कि उन्होंने अपने आरोपी और उम्रदराज भाई को सदस्य बनाने के लिए सारे नियमों में ऐसा खेल किया कि क्लब का संविधान ही बदल डाला गया।

सचिव ने इस तरह किया भाई को सदस्य बनाने का खेल

-यशवंत क्लब के संविधान के मुताबिक क्लब सदस्य की 18 से 25 साल की उम्र वाली संतान ही सदस्यता ले सकता है।

- साल 2018 में क्लब की मैनेजिंग कमेटी जिसमें चेयरमैन टोनी सचदेवा और सचिव संदीप पारिख व अन्य पदाधिकारी थे, एक फरवरी 2018 को ईओजीएम (एक्स्ट्रा आर्डिनरी जनरल मीटिंग) का एजेंडा जारी किया और कहा गया कि जो 18 से 25 उम्र में सदस्य नहीं बन पाए, इस उम्र को अधिकतम 45 साल कर दिया जाए।

- लेकिन जब 26 फरवरी 2018 को एजेंडा आया तो इस प्रस्ताव को बदल कर नो एज लिमिट कर दिया गया, यानि अब क्लब सदस्य की कोई भी उम्र वाली संतान चाहे वह 45 साल से अधिक उम्र का भी हो सदस्य बन सकता है।

- क्लब के सदस्य अनिल पटवा, मनजीत द्वारा इसे कोर्ट में चैलेंज किया गया, इसमें अलग-अलग आधार थे। कहा गया कि ईओजीएम का एजेंडा बदला ही नहीं जा सकता था। ऐसे में यह बैठक के प्रस्ताव अवैध है।

- कोर्ट ने स्टे लगा दिया। इस बीच नई मैनेजिंग कमेटी पम्मी छाबड़ा के चेयरमैन वाली आ गई, स्टे अटका रहा।

- जून 2022 में नई कमेटी चेयरमैन टोनी सचदेवा और सचिव संजय गोरानी की आई। आते ही वकील बदले गए और कोर्ट से स्टे हटवाया गया। हालांकि केस अभी चल ही रहा है। फिर एजीएम या ईओजीएम में नया प्रस्ताव लाए बिना नवंबर 2022 में गोरानी ने फर्म्स एंड सोसायटी इंदौर को साल 2018 में पास नो एज लिमिट वाला एजेंडा भेज दिया और संविधान में संशोधन करने का आवेदन दिया, फीस भर दी।

- जनवरी 2023 में यह संविधान संशोधन साल 2018 फरवरी में पास प्रस्ताव के आधार पर पांच साल बाद हो गया। इस दौरान बीच में क्लब में कोई नया प्रस्ताव पास नहीं हुआ। अब नए संविधान संशोधन के बाद क्लब सदस्य की संतान बिना किसी एज बार के अब कभी भी संतान बन सकती है।

क्यों किया गोरानी ने ऐसा?

गोरानी लंबे समय से अपने भाई नरेंद्र गोरानी को सदस्य बनाने में लगे हुए थे, लेकिन क्लब का उम्र का प्रावधान आड़े आ रहा था। नरेंद्र का जन्म साल 1962 है, यानि जब 2018 में प्रस्ताव पास हुआ तब तब उनकी उम्र 56 साल थी, यानि वह 45 साल के क्राइटेरिया में नहीं आ रहे थे इसलि नो एज जरूरी थी। साल 2018 में उनके करीबी सदस्यों की बनी मैनेजिंग कमेटी में नो एज लिमिट का प्रस्ताव पास हुआ, फिर जब वह पद पर खुद आए तो उन्होंने इसी प्रस्ताव पर पहले लगी रोक हटवाई और फिर आनन-फानन में सोसायटी में जाकर संशोधन कराया और सदस्यता भी दे दी। इस दौरान साल 2022 में ही नरेंद्र गोरानी पर करोड़ों की धोखाधड़ी में अन्नपूर्णा थाने में छह फरियादियों की शिकायत पर 420 का केस भी हो गया, जिस पर गुरुवार को ही उन्हें कोर्ट से जमानत मिली है।

भाई के लाखों रुपए भी बचा लिए

गोरानी ने इस तरह एक तीर से दो निशाने साध लिए, पहले तो अपने 420 के आरोपी और उम्रदराज भाई को सदस्य बनवा लिया और दूसरा उनके लाखों रुपए बचवा लिए। यदि नरेंद्र को वह स्पेशल कैटेगरी जो अभी सदस्यता विवाद चल रहा है, इसके जरिए सदस्य बनाते तो उन्हें 25 लाख रुपए और टैक्स अलग लगता। साथ ही इस कैटेगरी से बने सदस्य की पत्नी, बच्चों को सदस्य बनाने में भी लाखों रुपए का शुल्क देय है। इस तरह गोरानी के लिए संविधान संशोधन रुपए बचाने के लिहाज से भी फायदेमंद सौदा रहा।

अपराधियों को सदस्यता नहीं तो फिर भाई, मोनू, भ्रष्टाचार आरोपी चंद्रावत सदस्य कैसे?

क्लब ने जब स्पेशल कैटेगरी सदस्यता के लिए आवेदन बुलाए तो 182 आवेदन आए जिसमें से दस आवेदन यह कहकर खारिज हो गए कि इनके रिकार्ड सही नहीं है। मुख्य तौर पर इशारा आपराधिक रिकार्ड पर था। ऐसे में जो 172 फार्म मंजूर हुए इसमें गैंगरेप को आरोपी मोनू उर्फ हरपाल सिंह भाटिया को प्राथमिकता क्रम में ऊपर रखते हुए सदस्यता के लिए चुना गया। इनका यह केस पुलिस ने जरूर खत्म कर दिया है लेकिन पीड़िता ने निजी परिवाद लगाया हुआ है और इसी मालमे में कोर्ट से फाइल चुराने के भी आरोप है, जिस पर भी कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसी तरह आबकारी अधिकारी पराक्रम सिंह चंद्रावत जिन पर लोकायुक्त ने छापा मारा और जो सस्पेंड है, उन्हें भी सदस्यता के लिए योग्य माना गया। वहीं खुद के करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के 420 के आरोपी भाई को तो वह जनवरी 2023 में सदस्य बना ही चुके हैं।


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