Damoh. 80 के दशक में आई फिल्म सारांश में जिस तरह एक बूढ़ा बाप अपने बेटे की अस्थियां पाने बेताब रहता है और दर-दर की ठोकरें खाने मजबूर होता है, कुछ वैसा ही हाल दमोह के लक्ष्मण पटेल और उनकी पत्नी यशोदा का है। दरअसल इन दोनों के डीएनए से इनके मृतक बेटे का डीएनए मैच नहीं हो पा रहा है। जिस कारण इन्हें इनके बेटे की अस्थियां पुलिस नहीं सौंप रही। जिस कारण ये अपने बच्चे का अंतिम संस्कार भी विधिवत ढंग से नहीं कर पा रहे। पुलिस के सामने नियम आड़े आ रहे हैं, यह भी संभावना है कि कल को उक्त कंकाल के ऐसे दावेदार सामने आ गए, जिनसे डीएनए मैच हो गया, तो फिर इस गलती की जवाबदारी कौन लेगा?
इसलिए मैच नहीं हो रहा डीएनए
दरअसल लंबे समय तक निसंतान रहने के बाद लक्ष्मण पटेल और उनकी पत्नी ने आईवीएफ के जरिए टेस्ट ट्यूब बेबी के जरिए संतान प्राप्त की थी। उस दौरान उन्होंने स्पर्म और अंडाणु दोनों दान लिए थे। यही कारण है कि उनका डीएनए उनके बेटे जयराज से मैच नहीं हो पा रहा। यह अनोखा मामला पिपरिया के छक्का गांव का है। 14 मई को यहां तालाब से लगी जमीन पर एक कंकाल दबा हुआ बरामद हुआ था। कंकाल के कपड़े और अन्य सामान देखकर उसकी शिनाख्त लक्ष्मण ने जयराज के रूप में की थी। जो 29 मार्च से लापता था। लेकिन जब पुलिस ने लक्ष्मण और कंकाल का डीएनए मिलान कराया तो वह मिसमैच था।
पुलिस का ये है कहना
इधर दमोह देहात थाना के टीआई सत्येंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि डीएनए मैच नहीं होने से कंकाल जयराज का ही है, यह कैसे मान लिया जाए। परिजन से आईवीएफ संबंधी दस्तावेज मंगाए हैं। जांच के लिए एक टीम इंदौर भेजी जाएगी। यदि डोनर का पता लग गया और उनसे डीएनए मैच हो गया तब ही अस्थियां परिजनों को सौंप पाएंगे।
अस्पताल को बताने होंगे दानदाता
चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसी स्थिति में अस्पताल को यह बताना होगा कि उस वक्त अंडाणु और शुक्राणु किनसे दान लिए गए थे। हालांकि अस्पताल लेते समय ही पति-पत्नी को इसकी जानकारी दे देते हैं। इस मामले में भी पुलिस अस्पताल से संपर्क कर चुकी है, लेकिन अभी तक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है।