BETUL. मुलताई के सोनेगांव में एक गर्भवती को एंबुलेंस नहीं मिली। घर पर प्रसव होने से नवजात की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि आशा कार्यकर्ता 2 घंटे तक संजीवनी 108 को फोन लगाती रही, लेकिन एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। आनन-फानन में महिला को गंभीर हालत में मुलताई के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
वक्त पर मिलती संजीवनी तो बच जाता बच्चा
नवजात शिशु की मौत से माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। उनका कहना है कि यदि संजीवनी वाहन समय पर आ जाता तो बच्चे की जान बच सकती थी। वहीं बीएमओ अभिनव शुक्ला का कहना है कि मामले में फिलहाल जांच की जाएगी, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
गांव में नहीं मिला कोई साधन
सोनेगांव में कन्हैया चौरासे की पत्नी रितु चौरासे को सुबह प्रसव पीड़ा हुई। तुरंत ही स्वास्थ विभाग के कार्यकर्ताओं को इसकी सूचना दी गई। सूचना पाकर गांव की आशा कार्यकर्ता घर पहुंच गई। इसके बाद आशा कार्यकर्ता ने तुरंत ही संजीवनी 108 को फोन लगाया, लेकिन संजीवनी 108 लगभग 2 घंटे तक गांव नहीं पहुंची। महिला की प्रसव पीड़ा बढ़ने के कारण घर में ही उसकी डिलीवरी करानी पड़ी। डिलीवरी के बाद बच्चे की मौत हो गई। बाद में आनन-फानन में मृत शिशु और प्रसूता को मुलताई के सरकारी अस्पताल लाया गया।
मामले की हो रही जांच
इस पूरे मामले को लेकर बीएमओ अभिनव शुक्ला से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि सोनेगांव में होम डिलीवरी का मामला सामने आया है, जिसमें बच्चे की मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि बच्चे की मौत किन कारणों से, किन स्थितियों में हुई है इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने ये भी बताया कि प्राथमिक तौर पर ये बात सामने आ रही है कि संजीवनी वाहन समय पर नहीं पहुंचा जिसके कारण घर में डिलीवरी करानी पड़ी और बच्चे की जान चली गई।