Seoni. ज्यों-ज्यों विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, जनता ही वोट बैंक में तब्दील नहीं हो रही बल्कि देव, दानव, दैत्य, नाग, यक्ष, किन्नर, गंधर्व, वानर जैसी समस्त योनियों के अलावा भगवान का भी जाति निर्धारण करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यूपी के चुनावों के समय सीएम योगी आदित्यनाथ से हनुमान जी को दलित बता दिया था। कर्नाटक चुनाव में उन्हें आदिवासी करार दिया गया। अब बारी त्रिलोकीनाथ भगवान शंकर की आई है। सिवनी में कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया ने देवों के देव महादेव को आदिवासी समाज का बता डाला।
समुद्र मंथन में पिया जहर, इसलिए शिव थे आदिवासी
विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया ने सिवनी के बरघाट में यह अजीबोगरीब बयान दिया है। इसके पीछे उनका तर्क भी समझ से परे है। वे एक कार्यक्रम में संबोधन दे रहे थे, अचानक उन्हें समुद्र मंथन का वृतांत याद आ गया। उनका कहना था कि समुद्र मंथन से जब हलाहल निकला तो किसी और ने नहीं भगवान शिव ने वह हलाहल पिया था और भगवान शिव आदिवासी थे। काकोड़िया बोले कि उस दौरान जो अमृत निकला उसे होशियार लोग पी गए थे। उनके बयान का वीडियो जबरदस्त वायरल हो रहा है। इससे पहले काकोड़िया ने पवन पुत्र हनुमान को भी आदिवासी बता दिया था।
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कर्नाटक चुनाव के वक्त दिया था बयान
जब काकोड़िया ने बजरंग बली की जाति का निर्धारण किया था, उस वक्त कर्नाटक के चुनाव चल रहे थे। फिलहाल काकोड़िया के इस बयान पर किसी ने कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी है, लेकिन जल्द ही बीजेपी, बजरंग दल या विश्व हिंदु परिषद से प्रतिक्रिया आ सकती है। हो सकता है कि प्रदेश के चर्चित शिवभक्त कथावाचक कुछ प्रतिक्रिया दे दें।
यह कहा था कमलनाथ के सामने
अर्जुन सिंह काकोड़िया ने पीसीसी चीफ कमलनाथ के सामने यह बयान दिया था कि आरएसएस और राम सेना के लोगों ने आदिवासियों पर अत्याचार किया है। वे बजरंग बली की बात करते हैं, बजरंग बली आदिवासी हैं, जंगल में रहते थे। उन्होंने भगवान की सहायता भी की और रक्षा भी। भगवान की सहायता करने वहां पर करणी सेना नहीं गई थी, न क्षत्रिय गए थे और न ब्राम्हणों ने लड़ाई लड़ी थी। भगवान राम की किसी ने सहायता की तो वह आदिवासियों ने ही की थी।