GUNA. गुना के अंबर लुम्बा ने नौकरी छोड़कर गुलाब की खेती शुरू की। इससे वे रोज 6-7 हजार की कमाई कर रहे हैं। वे इसके साथ ही सब्जियां भी उगा रहे हैं। डच रोज की खेती की शुरुआत करने से पहले उन्होंने पहले पूरी रिसर्च की थी।
एमबीए की पढ़ाई की, फिर नौकरी छोड़ी
युवा किसान अंबर लुम्बा गुना शहर से 7 किलोमीटर दूर हरिपुर गांव के रहने वाले हैं। इन्होंने हैदराबाद के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी से एमबीए किया। 2013 में पढ़ाई करने के बाद रिलायंस पावर सिंगरौली में नौकरी की। हालांकि, ज्यादा समय तक उनका मन नहीं लगा और 2017 में नौकरी छोड़ थी। वो अपनी जड़ों से वापस जुड़ना चाहते थे, इसलिए घर लौटकर खेती की शुरुआत की। शुरुआत में ज्यादा लाभ नहीं हुआ, फिर उन्होंने डच रोज की खेती करने का सोचा और उससे उन्हें काफी फायदा हुआ।
डच रोज की खेती कैसे की जाती है ?
डच रोज की खेती के लिए केवल पॉलीहाउस की आवश्यकता होती है। पॉलीहाउस के अंदर 32-35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। युवा किसान अंबर ने बताया कि जिस जमीन पर गुलाब की खेती हो, उसे समतल करना जरूरी होता है। इसके स्ट्रक्चर के लिए एक लेवल तय करना पड़ता है। उन्होंने पाइप डालने के लिए 3 से 4 फीट के गड्ढे किए। पॉली हाउस में लगने वाला पेपर इजराइल में बनता है। वहां से होते हुए ये भारत आता है। तापमान सही रखने के लिए पेपर लगाया जाता है। स्ट्रक्चर खड़ा करने के बाद पॉली हाउस के अंदर की जमीन तैयार की जाती है।
एक दिन में 60-70 बंडल गुलाब का उत्पादन
एक दिन में लगभग 60-70 बंडल गुलाब का उत्पादन होता है। जिसके लिए एक बंडल में 20 गुलाब रहते हैं। एक बंडल की कीमत 100 रुपए तक होती है। बता दें कि गुलाबों का सबसे बड़ा मार्केट दिल्ली और जयपुर है। अंबर बताते हैं कि वे ज्यादातर इंदौर, भोपाल, ग्वालियर गुलाब भेजते हैं। उनका कहना है कि भारत में ही वे इस खेती से रोज 6-7 हजार की ब्रिकी कर लेते हैं।