RAIPUR. गृह मंत्री अमित शाह ने 22 जून को छ्त्तीसगढ़ के दुर्ग पहुंचे थे। शाह के दुर्ग प्रवास का कारण 9 साल की मोदी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार बताया जा रहा है। हालांकि उनका भाषण बताता है कि यह बीजेपी की चुनावी सभाओं की शुरुआत है। अमित शाह का संबोधन सिर्फ इस साल दिसंबर में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के लिए ही नहीं था। इसमें ये भी स्पष्ट आग्रह था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी फिर मोदी सरकार चुनें। शाह ने 21 मिनट के भाषण में 54 बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिया।
तीन महीने में दूसरी बार छत्तीसगढ़ आए शाह
अमित शाह तीन महीने में दूसरी बार छत्तीसगढ़ पहुंचे। इससे पहले वे 24 और 25 मार्च को बस्तर आए थे। उन्होंने तब CRPF के स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाग लिया था। इस बार वे दुर्ग में लोगों को संबोधित करने आए। इस बार का दौरा कई मायनों में खास था। इसके जरिए बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे।
शाह के लिए दुर्ग चुनने की वजह
अमित शाह की सभा के लिए दुर्ग का चुना जाना बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है। मौजूदा भूपेश बघेल (कांग्रेस) सरकार के लिए दुर्ग संभाग इस समय सबसे महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्रिमंडल के 5 बड़े मंत्री गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया, पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार इसी संभाग से आते हैं। मतलब आधा मंत्रिमंडल। संभाग की 20 विधानसभा सीटों में से 18 पर इस समय कांग्रेस काबिज है। यहां शाह की सभा में भीड़ जुटना मतलब कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी की ताकत दिखना माना जाता। कार्यकर्ताओं में भी इस बात से जोश बढ़ता कि प्रदेश के मुखिया के इलाके में ही पार्टी ने ताकत दिखाई।
यहां से बना माहौल पूरे प्रदेश में जाएगा। मीडिया का भी यहां की गई सभा में फोकस रहेगा। फिर दुर्ग शहरी इलाका है, जिसे बीजेपी विचारधारा के मुताबिक सपोर्टिव माना जाता है, लिहाजा इस सभा के जरिए ऐसे वोटर को भी टारगेट किया गया।
पद्मश्री उषा बारले के घर जाने के पीछे गहरी राजनीति
कांग्रेस सरकार ने कुछ महीने पहले पंडवानी गायिका उषा बारले को पद्मश्री देने की अनुशंसा की थी। पद्मश्री मिलने के बाद उषा का झुकाव बीजेपी की ओर दिखाई देने लगा। अब उन्हें टिकट देने की चर्चा है। हालांकि, उषा बारले कह रही है कि राजनीति से उनका दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है। अब शाह का उनके घर जाना, परिवार वालों के साथ नाश्ता करना ये मैसेज देना है कि भाजपा 2023 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नए लोगों को जोड़ रही है। उधर, उषा बारले को टिकट मिलना, नहीं मिलना अलग बात है, लेकिन उन्हें अहमियत जरूर मिल गई। बीजेपी ने इसके जरिए अपने छत्तीसगढ़ियावाद को भी थोड़ा मजबूत कर लिया, क्योंकि उषा ठेठ छत्तीसगढ़ी संस्कृति का चेहरा हैं।
यहां ये जिक्र भी जरूरी होगा कि उषा बारले सतनामी संप्रदाय से आती हैं, जिसके प्रदेश में 17% वोटर हैं। कभी बीजेपी के साथ रहा यह समाज अब कांग्रेस के साथ है। सनातनी समाज के दो-दो धर्म गुरु बालदास और रुद्र कुमार का साथ मिलने से कांग्रेस को पिछले चुनाव में फायदा मिला था। बालदास कभी बीजेपी के करीब हुआ करते थे, पर पिछले चुनाव (2018) के ऐन पहले वे कांग्रेस के खेमे में चले गए और बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा। अब बीजेपी को ऐसे चेहरे की तलाश है, सनातनी वोट दिला सके। पिछले दिनों पंथी नर्तक आरएस बारले को बीजेपी में शामिल कराया गया था। अब शाह के उषा बारले के घर जाने को यूं ही नहीं लिया जा सकता।
भाषण में पाकिस्तानी आतंकवाद और राम मंदिर जैसे केंद्रीय मुद्दे
अमित शाह के भाषण में छत्तीसगढ़ के मुद्दों के साथ-साथ केंद्र के मुद्दे भी प्रमुखता से शामिल रहे। इसमें पाकिस्तानी आतंकवाद, मनमोहन सिंह की सरकार के समय हुए घोटाले, राम मंदिर, कश्मीर, दुनिया में नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता जैसी बातें थीं। ये मुद्दे बीजेपी लोकसभा चुनाव के समय उठाती है। शाह ने भाषण की तकरीबन हर लाइन में प्रधानमंत्री की तारीफ की। बार-बार लोगों से आग्रह किया कि 2024 के आमचुनाव में फिर मोदी जी को ही पीएम बनाना है। केंद्र की योजनाएं गिनाई, कोरोना के टीकों की बात की। 2023 के विधानसभा चुनाव से ज्यादा 2024 के लोकसभा चुनाव पर वे फोकस करते दिखे। जाहिर है कि भाजपा अभी से अगले साल होने वाले इस चुनाव के लिए जुट गई है।
छत्तीसगढ़ में कोई सीएम फेस नहीं
शाह के भाषण से एक बात और दिखी कि बीजेपी इस बार छत्तीसगढ़ में किसी सीएम फेस पर चुनाव नहीं लड़ेगी। शाह ने जितनी बार भी विधानसभा के लिए वोट मांगे उन्होंने कहा कि यहां बीजेपी की सरकार बनानी है। जितनी बार केंद्र की बात की, कहा- देश में मोदी जी की सरकार बनानी है।
प्रदेश बीजेपी में कोई बड़ा बदलाव नहीं
अभी कुछ दिन पहले तक बीजेपी में चर्चा थी कि प्रदेश के अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष में नए चेहरे लाये जा सकते हैं। यहां तक की चर्चा प्रदेश प्रभारी के भी बदले जाने की बातें आ रही थीं, लेकिन शाह के कार्यक्रम के बाद इस तरह के बदलाव की गुंजाइश नहीं दिखती। शाह ने मंच पर वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल समेत सभी पदाधिकारियों को अहमियत दी। कोई नया चेहरा उनके आसपास नहीं पाया गया, जिससे किसी बदलाव के कयास लगाए जा सकें।