असम में अमृतपाल साथियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठा, पत्नी बोली- डिब्रूगढ़ जेल में नहीं मिल रही फोन सुविधा,खाने में निकलता है तंबाकू

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BP Shrivastava
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असम में अमृतपाल साथियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठा, पत्नी बोली- डिब्रूगढ़ जेल में नहीं मिल रही फोन सुविधा,खाने में निकलता है तंबाकू

AMRITSAR. वारिस पंजाब दे का मुखिया अमृतपाल सिंह अब गांधीवादी तरीके से सरकार और जेल प्रबंधन पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। अमृतपाल साथियों के साथ असम की डिब्रूगढ़ जेल में भूख हड़ताल पर बैठ गया है। इधर, पत्नी किरणदीप कौर ने भी अमृतपाल सिंह के साथ भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा कर दी है। अमृतपाल सिंह ने पत्नी के माध्यम से भारत और पंजाब सरकार के आगे कुछ मांगें रखी हैं।





अमृतपाल की पत्नी कर रही फोन पर बात करने की मांग





पत्नी किरणदीप कौर ने कहा कि वह हर हफ्ते अमृतपाल सिंह से मिलने असम की डिब्रूगढ़ जेल जाती हैं। बीते गुरुवार (29 जून) भी मुलाकात हुई। यहां पता चला कि अमृतपाल सिंह सहित उसके अन्य साथी भूख हड़ताल पर हैं। दरअसल, पंजाब सरकार उन्हें डिब्रूगढ़ जेल में टेलीफोन की अनुमति नहीं दे रही है। क्योंकि नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगने के बाद परिवारों से बात नहीं की जाती है। अगर यह सुविधा उपलब्ध करवा दी जाए तो हर बार के मिलने के लिए खर्च किए जाने वाले 20-25 हजार रुपए हर परिवार के बच जाएंगे।





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वकीलों से भी नहीं हो रही बातचीत





किरणदीप कौर ने कहा कि हर परिवार 20-25 हजार खर्च करके असम नहीं जा सकता। अगर फोन की सुविधा मिलती है तो परिवारों और सिख कैदियों की मानसिक हालत ठीक रहेगी। इसके अलावा फोन की सुविधा नहीं मिलने के कारण वकीलों से बात भी नहीं हो पाती है। जिस कारण सिख कैदी अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं। इससे केस लड़ने में काफी बाधा आती है और सही-गलत का पता नहीं चल पाता।





रोटी में निकल रहा तंबाकू





किरणदीप कौर ने बताया कि जेल में खाने-पीने की व्यवस्था अच्छी नहीं है। कभी दाल सब्जी में नमक नहीं डालते तो कभी रोटी में तम्बाकू मिला होता है, जो खाने लायक नहीं होती। अगर सिख कैदी अपनी बात समझाते हैं तो आगे से जवाब मिलता है, समझ नहीं आया।



सिखों को अपनी बात रखने के लिए कोई ट्रांसलेटर भी उपलब्ध नहीं करवाया गया। ऐसे दबाव के बीच कुछ सिख मानसिक पीढ़ा भोग रहे हैं। जिससे सेहत पर काफी फर्क पड़ रहा है। सरकार को जल्द से जल्द इन मुद्दों का समाधान करना चाहिए।



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