संजय गुप्ता, INDORE. महू से निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार के कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद बीजेपी में जाने की अटकलें चल रही हैं, लेकिन इन्हीं अटकलों के बीच बीजेपी के स्थानीय पदाधिकारियों और नेताओं ने उनके बीजेपी में आने की संभावनाओं को लेकर विरोध कर दिया है। साथ ही प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को पत्र लिख दिया है, जिन्हें पार्टी के नैतिक सिद्धांत और मानकों से परे बताया है।
नगर महामंत्री ने भेजा पत्र
महू के बीजेपी के नगर महामंत्री महेश बागड़ी ने यह पत्र सभी स्थानीय कार्यकर्ताओं की ओर से प्रदेशाध्यक्ष को भेजा है। इसमें लिखा है कि कांग्रेस से निष्कासित दरबार के बीजेपी में आने की खबरों के बीच प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को चिंताएं हैं। दरबार का ट्रैक रिकार्ड और खासकर हाल के चुनाव में बीजेपी द्वारा अपनाए गए सिंद्धात व मूल्यों के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल उठता है। वह विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़े फिर मानपुर उपचुनाव के दौरान अपने लोग उतारे और बीजेपी प्रत्याशी को हरवाया। प्रलोभन देकर कार्यकर्ताओं को वह प्रलोभन देते हैं, नैतिक मानकों की घोर उपेक्षा करते हैं। उनकी उम्र व भविष्य को देखते हुए बीजेपी में आने से पार्टी को कोई लाभ मिलने की संभावना नहीं है। उन्हें हाउस लोन घोटाले में एक साल की सजा और तीन हजार का अर्थदंड भी हुआ है। ऐसे में उनके आने से बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं का मनोबल व समर्पण पर नकारात्मक असर होगा।
दरबार पांच बार कांग्रेस से लड़े, एक बार निर्दलीय
दरबार पांच बार कांग्रेस के टिकट पर महू से चुनाव लड़ चुके हैं, दो बार जीते और फिर वह 2008, 2013 व 2018 में लगातार हारे, इसके बाद पार्टी ने 2023 में उनकी जगह पंडित रामकिशोर शुक्ला को टिकट दिया। इससे नाराज दरबार ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और वह बीजेपी प्रत्याशी उषा ठाकुर के बाद दूसरे नंबर पर रहे, शुक्ला तीसरे पायदान पर रहे।
बीजेपी में आना था तो फिर चुनाव नहीं लड़ना था
बागड़ी ने द सूत्र को कहा कि दरबार को यदि बीजेपी में आना था तो वह विधानसभा चुनाव में ही आ जाते और पार्टी के लिए काम करते। वह निर्दलीय क्यों चुनाव लड़े। फिर मानपुर चुनाव में भी अपने लोग उतारे, उस समय फिर बीजेपी के लिए काम करते। अब कोई चुनाव नहीं है तो वह बिना किसी काम के बीजेपी में आकर सत्ता सुख चाहते हैं। इसलिए बीजेपी कार्यकर्ता उनके पक्ष में नहीं है। इसलिए हमने संगठन को इन चिंताओं से अवगत करा दिया है।
कांग्रेस ने हाल ही में दरबार को निष्कासित किया
कांग्रेस ने हाल ही में विधानसभा चुनाव में पार्टी के विरोध में जाने वाले प्रदेश भर के नेताओं पर कार्रवाई की है। इसमें अंतर सिंह दरबार को और देपालपुर के नेता मोती सिंह पटेल को भी निष्कासित किया है, साथ ही प्रेमचंद गुड्डु को भी निष्कासित किया है। हालांकि, दरबार और गुड्डु तो पहले ही पार्टी से अलग होकर निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं। गुडड् एक बार बीजेपी में जा भी चुके लेकिन फिर वह कांग्रेस में आ गए और जब टिकट नहीं मिला तो फिर निर्दलीय चुनाव लड़ जा चुके। मोती सिंह पटेल पर आरोप है कि उन्होंने कांग्रेस के देपालपुर प्रत्याशी विशाल पटेल के खिलाफ काम किया और बीजेपी प्रत्याशी मनोज पटेल को जितवाने में भूमिका निभाई। बताया जा रहा है कि इंदौर सहकारी दुग्ध संघ के अध्यक्ष मोती सिहं पटेल अब मनोज पटेल के माध्यम से ही बीजेपी ज्वाइन करने में जुटे हैं।
कांग्रेस ने इंदौर के इन नेताओं को किया निष्कासित
अंतर सिंह दरबार, अशोक वर्मा पूर्व पार्षद, रमेश परमार मंडल अध्यक्ष, मुश्ताक खान पूर्व सरपंच डोंगरगांव, रामकिशन बम, शाहद खान हासलपुर, बैकुंठ पटेल मेड, भारत सिंह ठाकुर एडवोकेट, मजीद खान, दिनेश पंचोली और मोती सिंह पटेल (देपालपुर) को पार्टी ने निष्कासित किया है।