गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. छत्तीसगढ़ के निगम-मंडल और प्राधिकरणों में बैठे कांग्रेसी नेताओं की नियुक्ति रद्द कर दी गई है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन को देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। GAD के अवर सचिव पुलक भट्टाचार्य की तरफ से जारी इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि पिछले वर्षों में जो राजनीतिक नियुक्तियां की गई हैं, जिन्हें विधि के अधीन नहीं हटाया जा सकता है, उन्हें छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है।
कई के कार्यकाल हो चुके हैं खत्म
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के 18 महीने बाद 21 निगम-मंडल, आयोगों में अध्यक्ष समेत 32 नेताओं की नियुक्तियां की गईं थीं। बाद में कुछ और नियुक्तियां हुई थीं। 4 विधायकों कुलदीप जुनेजा, देवेन्द्र बहादुर सिंह, अरुण वोरा और चंदन कश्यप को भी इनमें स्थान दिया गया था। जुनेजा हाउसिंग बोर्ड, देवेंद्र बहादुर वन विकास निगम, अरुण वोरा वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन और चंदन कश्यप हस्तशिल्प बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए थे। इनमें माइनिंग कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, नान के चेयरमेन रामगोपाल अग्रवाल, पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी, हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, कृषक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा, खाद्य आयोग के अध्यक्ष गुरप्रीत बाबरा, श्रमिक कल्याण बोर्ड शफी अहमद आदि शामिल हैं। ये सभी विधानसभा चुनाव से पहले अपना कार्यकाल बढ़वाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन इनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया था।
इस्तीफे पहले ही हो चुके शुरू
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हार के बाद निगम मंडलों के पदाधिकारियों का इस्तीफे का दौर पहले ही शुरू हो चुका है। कुछ निगम मंडलों के अध्यक्ष ने अपने इस्तीफे भेज दिए हैं। इनमें छत्तीसगढ़ खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी और रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सुभाष धुप्पड़ समेत कुछ अन्य निगम मंडल में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत अन्य निगम मंडल के सदस्यों ने अपने इस्तीफे दिए हैं। आरडीए के कुछ सदस्यों ने नतीजे आते ही अपना त्याग पत्र दे दिया था। चुनाव में हार के बाद निगम, मंडल में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत अन्य सदस्य अब इस्तीफे देने जा रहे हैं, ये सिलसिला शुरू हो गया था। भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद कुछ चेयरमैन ने भी अपने पद से सौंप दिए। अभी संवैधानिक पदों में आयोग के अध्यक्षों के इस्तीफे को लेकर भी निर्णय हो सकता है कुछ आयोग में तो अभी पदाधिकारियों का कार्यकाल बाकी है।
किरणमयी और छाबड़ा का कार्यकाल बाकी
महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक का कार्यकाल 21 जुलाई को समाप्त हुआ था, लेकिन उनका कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। नायक का करीब 2 साल का कार्यकाल बाकी है। इसी तरह अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेन्द्र छाबड़ा का कार्यकाल भी पिछले साल बढ़ाया जा चुका है। इनका कार्यकाल भी करीब 1 साल का अभी बाकी है।