मनीष गोधा, JAIPUR. चुनावी साल में बचत, राहत और लोकलुभावन थीम पर बजट पेश करने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब प्रदेश की जनता को न्यूनतम आय की गारंटी देने की तैयारी कर रहे हैं। देश में सबसे पहले स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू करने वाला राजस्थान अब न्यूनतम आय की गारंटी देने वाला भी पहला ही राज्य होगा। कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से इस कानून के मसौदे पर काम किया जा रहा है और 14 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के संक्षिप्त सत्र में यह कानून लाए जाने की तैयारी है।
सामाजिक सुरक्षा पर गहलोत सरकार का फोकस
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले कुछ समय से सामाजिक सुरक्षा पर फोकस किए हुए हैं। अपने हर भाषण में सीएम गहलोत पीएम मोदी से सामाजिक सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय कानून बनाए जाने की मांग उठा रहे हैं। हालांकि वे भी जानते हैं कि विरोधी दल का नेता होने के नाते उनकी बात सुनी नहीं जाएगी, इसलिए वे अपने स्तर पर इस दिशा में एक बड़ी पहल करने की तैयारी कर रहे हैं।
कानून में यह होगा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार के अपने बजट भाषण में इस कानून को लेकर कुछ संकेत दे दिए थे। अब इसे अमली जामा पहनाने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत राज्य सरकार की समस्त सामाजिक पेंशन योजनाओं, महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत सरकार की ओर से 25 दिन के अतिरिक्त रोजगार और सिर्फ राजस्थान में लागू इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना को एक ही कानून में समाहित कर दिया जाएगा। इसी कानून के तहत न्यूनतत आय गारंटी योजना लागू की जाएगी, जिसे सम्भवतः “महात्मा गांधी मिनिमम गारंटी इनकम स्कीम“ नाम दिया जाएगा।
कानून बनने से किसे मिलेगा फायदा
दरअसल राजस्थान में बुजुर्गों, महिलाओं, एकल व विधवा महिलाओं तथा दिव्यांगों के लिए विभिन्न तरह की पेंशन योजनाएं संचालित हैं। इन योजनाओं से करीब 90 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं और सरकार इन पर करीब नौ हजार करोड़ रूपए खर्च कर रही है। इस बार के बजट में गहलोत ने सभी पेंशन योजनाओं की न्यूनतम राशि एक हजार रूपए कर दी है। इसके साथ ही इस पेंशन में हर साल 15 प्रतिशत इंक्रीमेंट का प्रावधान भी कर दिया है। इसके साथ ही राजस्थान में मनरेगा के तहत सौ दिन का रोजगार पूरा करने वाले परिवारों को 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार दिया जाता है। वहीं काथौड़ी, सहरिया व अन्य विशेष योग्यजनों को 100 दिन का अतिरिक्त रोजगार दिया जाता है। वहीं पिछले वर्ष ही सरकार ने मनरेगा की तर्ज पर शहरी बेरोजगारों के लिए भी इंदिरा शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू की हुई है। इसके तहत 125 दिन का रोजगार दिया जाता है। लेकिन ये सभी योजनाएं अभी प्रशासनिक आदेश से संचालित हैं।
जरूरतमंद परिवारों की न्यूनतम आय होगी सुनिश्चित
सीएम गहलोत अब इन योजनाओं को ही कानून के दायरे में ला रहे हैं। ऐसे में इन योजनाओं में भविष्य में बदलाव करना या इन्हें बंद करना आसान नहीं होगा। कानून के मसौदे पर काम कर रही संस्थाओं से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता कमल टांक कहते हैं कानून बनने से जरूरतमंद परिवारों की न्यूनतम आय सुनिश्चित हो सकेगी, क्योंकि प्रशासनिक आदेश तो रद्द या बदला जा सकता है, लेकिन कानून में बदलाव के लिए एक निश्चित प्रक्रिया से गुजरना होता है जो आसान नहीं होती।
सरकार पर नहीं आएगा अतिरिक्त भार
इस कानून को लागू किए जाने से सरकार पर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं आएगा, क्योंकि इन योजनाओं पर सरकार पहले ही पैसा खर्च कर रही है। इनके बजटीय प्रावधान भी किए जा चुके हैं। अब बस इन्हें कानून के रूप में लागू किया जाना है।
चुनाव से पहले गहलोत का मास्टर स्ट्रोक
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में करीब 90 लाख लोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, वहीं मई 2023 के नवीनतम आंकड़ों की बात करे तो करीब 1.13 करोड़ परिवारों के मनरेगा के कार्ड बने हुए हैं, जिनमें से 23.85 लाख परिवार रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में यह कानून सीधे तौर पर एक बहुत बड़े वर्ग को प्रभावित कर रहा है। यह वो वर्ग है जिसका वोटिंग प्रतिशत भी अच्छा रहता है। ऐसे में चुनाव से ऐन पहले यदि गहलोत इस तरह का कोई कानून लाते हैं तो उन्हें और उनकी पार्टी को बड़ा राजनीतिक फायदा मिल सकता है।
कांग्रेस को भा रही अलग-अलग तरह की गारंटी
वैसे भी अलग-अलग तरह की गारंटियां कांग्रेस को इन दिनों भा रही हैं। कर्नाटक चुनाव में दी गई 5 गारंटी का बड़ा लाभ पार्टी को मिला। वहीं राजस्थान में भी मुख्यमंत्री गहलोत महंगाई राहत कैम्पों के जरिए अपनी सरकार की दस फ्लैगशिप योजनाओं का लाभ देने की गारंटी दे रहे हैं। इसी तरह की गारंटियों के वादे पिछले दिनों कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से मध्य प्रदेश और हरियाणा की जनता से भी किए गए थे।