BHOPAL. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का मौसम है 17 नवंबर को मतदान होना है जिसका नतीजा 3 दिसंबर को सामने आएगा। बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के प्रत्याशी लगभग-लगभग फाइनल हैं। कांग्रेस टिकटें भी बदल रही है तो बीजेपी गुना और विदिशा की दो सीटें होल्ड करके रखे हुए है। इस बार के चुनाव में खून के रिश्तों के बीच भी जंग देखने को मिल रही है। कहीं दावेदारी में खूनी रिश्तों में खटास और रस्साकशी देखने को मिली तो वहीं अब चुनाव मैदान में खूनी रिश्ते आपस में जोर आजमाइश भी कर रहे हैं। डबरा, सागर, नर्मदापुरम, टिमरनी और देवतालाब की विधानसभा सीटों पर रिश्तों की बीच यह जंग देखी जा रही है।
डबरा में समधी-समधन के बीच जोर आजमाइश
डबरा में पूर्व मंत्री इमरती देवी और सुरेश राजे के बीच मुकाबला हो रहा है। इमरती देवी अपनी शिक्षा की वजह से चर्चाओं में रहीं तो सुरेश राजे पिछले दिनों लड़केबाजी के एक वीडियो के वायरल होने के बाद चर्चाओं में रहे। आरोप भी लगे कि इमरती देवी ने ही सालों पुराना उक्त वीडियो वायरल कराया था। लेकिन आपको बता दें कि ये दोनों ही प्रत्याशी आपस में समधी-समधन के रिश्ते की डोर से बंधे हुए हैं।
सागर में जेठ और बहू के बीच जंग
इसी तरह सागर में भी दोनों ही पार्टियों ने एक ही परिवार के सदस्यों को टिकट थमाया है। बीजेपी विधायक शैलेंद्र जैन बीजेपी उम्मीदवार हैं तो कांग्रेस ने उनके छोटे भाई सुनील जैन की पत्नी निधि को चुनाव मैदान में उतारा है। जेठ और बहू की इस जंग का स्थानीय जनता आनंद उठा रही है।
नर्मदापुरम में भाई से लड़ रहा भाई
नर्मदापुरम में भी घर की महाभारत एपिसोड जारी है। यहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा बीजेपी से चुनाव मैदान में हैं। वहीं उनके मुकाबले कांग्रेस ने उन्हीं के भाई गिरिजाशंकर को प्रत्याशी बनाया है। सीताशरण यहां से 5 और गिरिजाशंकर 2 मर्तबा विधायक रह चुके हैं। एक ही परिवार के सदस्यों को टिकटें मिलने से युवा वर्ग इस बार नोटा के विकल्प की ओर जाने की बात भी कह रहा है।
टिमरनी में चाचा-भतीजा
टिमरनी में मंत्री विजय शाह के भाई संजय शाह को बीजेपी ने कैंडिडेट बनाया है तो कांग्रेस ने उनके ही भतीजे अभिजीत शाह को मैदान में उतार दिया। बीते चुनाव में भी इन दोनों के बीच हुए मुकाबले में संजय शाहर विधायक निर्वाचित हुए थे। इसी तरह देवतालाब की सीट भी चाचा-भतीजे की लड़ाई का मैदान बनी हुई है। यहां से बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने उनके ही भतीजे पद्मेश गौतम को टिकट दिया है। इन दोनों विधानसभा क्षेत्र में वही गाना सुनाई दे रहा है, बुरे काम का बुरा नतीजा, क्यों भई चाचा? हां भतीजा।