सोमवार और सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग 57 साल बाद बना, रात ढाई बजे से महाकल के दर्शन शुरु हुए, शाम 4 बजे निकलेगी भगवान की सवारी

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BP Shrivastava
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सोमवार और सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग 57 साल बाद बना, रात ढाई बजे से महाकल के दर्शन शुरु हुए, शाम 4 बजे निकलेगी भगवान की सवारी

UJJAIN. सावन का महीना चल रहा है और आज (17 जुलाई) सावन का दूसरा सोमवार है और इस दिन सोमवती अमावस्या भी है। यह शुभ संयोग 57 साल बाद बना है, जब श्रावण मास के सोमवार के दिन सोमवती हरियाली अमावस्या पड़ी है। इससे पहले यह योग 1966 में बना था। आज अल सुबह ढाई बजे महाकालेश्वर मंदिर के पट खोल दिए गए। जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु भस्म आरती में शामिल हुए। भारी भीड़ के कारण प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था को बंद कर दिया गया था और नंदी हॉल में प्रवेश भी प्रतिबंधत रहा। आज भगवान महाकाल चंद्रमौलेश्वर रूप दर्शन दे रहे हैं। भगवान महाकाल की सवारी शाम चार बजे निकाली जाएगी।



चंद्रमौलेश्वर रूप में महाकाल भगवान



सावन के दूसरे सोमवार (17 जुलाई) को अल सुबह जल से बाबा महाकाल को स्नान कराया। इसके बाद दूध, दही, घी, शक्कर, शहद फलों के रस से बने पंचामृत पूजन किया। भांग, चंदन, ड्रायफ्रूट से दिव्य श्रृंगार किया। इसके बाद भस्म अर्पित की गई। रजत का त्रिपुण्ड, त्रिशूल और चंद्र अर्पित कर शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ फूलों की माला भी धारण कराई। चंद्रमौलेश्वर रूप में दिखाई दिए महाकाल भगवान को फल और मिष्ठान का भोग लगाया। महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। ऐसी मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।



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आधी रात के बाद से लगने लगी लाइन



महाकाल मंदिर में दो महीने तक चलने वाले महाउत्सव के दूसरे सोमवार को बड़ी संख्या में दर्शनों के लिए आधी रात के बाद से लाइन लगना शुरू हो गई थी। महाकाल मंदिर प्रबंधन के मुताबिक दूसरे सोमवार के दिन भी पहले की तरह व्यवस्था रहेगी। सोमवती अमवस्या होने के चलते 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इस दौरान भक्तों को 40 मिनट में भक्तों को दर्शन मिल सकेंगे। सोमतीर्थ कुंड पर श्रद्धालुओं को लिए फव्वारे लगाए हैं। अमावस्या पर्व और महाकाल की सवारी पर भीड़ प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण होगा।



57 वर्ष बाद विशेष संयोग



ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 17 जुलाई सोमवार को विशेष संयोग में सोमवती हरियाली अमावस्या का पुण्य काल आ रहा है। इसी दिन महाकाल की सवारी भी है। इससे पहले यह स्थिति 1966 में बनी थी। तब भी सावन महीने में अधिक मास के दौरान सोमवार को अमावस्या का योग बना था। पौराणिक मान्यताओं व शास्त्रीय गणना के अनुसार इस योग-संयोग में सोमवती हरियाली अमावस्या का होना साधना, उपासना, दान और ग्रहों की अनुकूलता के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।



सोम तीर्थ और शिप्रा में स्नान के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे भक्त



स्कंद पुराण के अवंतिखंड में सोमेश्वर तीर्थ की पारंपरिक मान्यता है। सोमवार के दिन अमावस्या आने पर यहां सोमेश्वर का पूजन किया जाता है। स्नान की परंपरा और दान की मान्यता बताई गई है। मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में भी सोमवती अमावस्या पर प्रदेश भर से श्रद्धालु अल सुबह से ही स्नान के लिए पहुंचने लगे


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