Raipur. छत्तीसगढ़ के 2000 करोड़ के शराब घोटाला मामले में ईडी की विशेष अदालत ने त्रिलोक ढिल्लन और नितेश पुरोहित की ज़मानत याचिका को ख़ारिज कर दिया है। अनवर ढेबर, ए पी त्रिपाठी, त्रिलोक ढिल्लन और नितेश पुरोहित इस मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। इन सभी की अगली पेशी चार जुलाई को है।
ढिल्लन और पुरोहित की ज़मानत याचिका ख़ारिज
शराब घोटाला मामले में ईडी के द्वारा गिरफ़्तार त्रिलोक ढिल्लन और नितेश पुरोहित की ज़मानत याचिका पर सुनवाई विशेष अदालत के जज अजय सिंह राजपूत ने की। त्रिलोक ढिल्लन की ओर से एडवोकेट ए के सिंह जबकि नितेश पुरोहित की ओर से एडवोकेट मतीन सिद्दीक़ी और एडवोकेट प्रफुल्ल भारत ने अदालत में तर्क रखे। पुरोहित की ओर से ज़मानत याचिका के पक्ष में तर्क देते हुए एडवोकेट मतीन सिद्दीक़ी और प्रफुल्ल भारत ने पुरोहित के स्वास्थ्य और मानसिक अस्वस्थ ( स्मृति लोप ) के आधार पर ज़मानत का आग्रह किया। विशेष अदालत ने सभी पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद ढिल्लन और पुरोहित की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दिया।
क्या है शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा ही शराब दुकानें संचालित की जाती हैं। ईडी का आरोप है कि, राज्य की आठ सौ से अधिक शराब दुकानों से नक़ली होलोग्राम लगा कर शराब बेची गई, इस शराब का कोई राजस्व राज्य के ख़ज़ाने में जमा नहीं होता था। ईडी के रिमांड नोट के अनुसार अनवर ढेबर इस घोटाले का किंगपिन था। अनवर का राज्य की लिकर पॉलिसी से लेकर शराब दुकानों तक नियंत्रण था। अनवर ढेबर को इसके एवज़ में एक निश्चित प्रतिशत मिलता था, जबकि इसका सबसे बड़ा हिस्सा “पॉलिटिकल बॉस” को जाता था।ईडी के अनुसार इस घोटाले से 2000 करोड़ रुपए की सीधी चपत राज्य सरकार को लगी।
अनवर, ढिल्लन और पुरोहित अस्पताल दाखिल
रायपुर अदालत में इस मामले की पेशी शनिवार को थी, लेकिन ए पी त्रिपाठी को छोड़ कर शेष अन्य तीन अभियुक्तों ने हाज़िरी नहीं दीँ। इन तीन अभियुक्तों में अनवर ढेबर, त्रिलोक ढिल्लन और नितेश पुरोहित शामिल हैं। खबरें हैं कि तीनों ही अस्पताल दाखिल हैं।