KANKER. बस्तर के कई शहरों में सुबह से ही सड़कों पर सन्नाटा छाया रहा। दुकानों में ताले लटके दिखाई दिए। दरअसल, सर्व अन्य पिछड़ा वर्ग समाज ने अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर बस्तर बंद बुलाया था। इसका सबसे ज्यादा असर कांकेर जिले में देखने को मिला। कांकेर मुख्यालय के अलावा चारामा, भानुप्रतापुर, पखांजुर, अन्तागढ़, नरहरपुर ब्लॉक में भी बंद का असर देखने को मिला। ग्रामीण क्षेत्रों में भी व्यापारियों ने खुद ही दुकानें और बाजार बंद रखे। सर्व पिछड़ा वर्ग समाज के बंद को चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने भी समर्थन दिया।
मांगों पर नहीं दिया जा रहा ध्यान'
सर्व पिछड़ा वर्ग समाज का कहना है कि हम लगातार विभिन्न स्तर पर मांगें रख चुके हैं, लेकिन हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से सर्व पिछड़ा वर्ग समाज आक्रोशित है। विरोध कर रहे समाज के लोगों का कहना है कि बस्तर संभाग की त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में भारत सरकार के जनसंख्या गणना के आधार पर जिन ग्राम पंचायतों में अन्य पिछड़ा वर्ग की बहुलता है। ऐसे ग्राम पंचायतों में सरपंच का पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित करने की मांग की जा रही है। बस्तर संभाग में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए सभी आश्रम/छात्रावास में अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और छात्रवृत्ति एक समान देने की मांग भी की गई है।
ये खबर भी पढ़िए..
इस मांगों को लेकर विरोध कर रहा सर्व पिछड़ा वर्ग समाज
दरअसल, छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग के 52 प्रतिशत आबादी के आधार पर 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग की जा रही है। प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का स्वतंत्र मंत्रालय की स्थापना की घोषणा की गई है, जिसे तत्काल लागू करने की मांग की जा रही है। बस्तर संभाग के हर जिले में वर्तमान में लागू 14 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण रोस्टर शत प्रतिशत लागू करने और वर्तमान में हो रही विभागीय भर्तियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यार्थियों के साथ न्याय करने करने के साथ बस्तर संभाग के अन्य पिछड़ा वर्ग को परंपरागत वनवासी होने के नाते पांचवीं अनुसूची में शामिल करने की भी मांग भी की जा रही है।