नितिन मिश्रा, RAIPUR. बस्तर में ही अब बैलाडीला का लोहा गलेगा। यहां 25 हजार करोड़ की लागत से स्टील प्लांट तैयार किया गया है। एनडीएमडीसी की उत्पादन क्षमता 3 मिलियन टन से भी ज्यादा है। दरअसल 60 के दशक में बस्तर महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव ने स्टील प्लांट की स्थापना की मांग की थी। उनकी इच्छा थी की बस्तर का लोहा बस्तर में ही गले।
बस्तर में ही गलेगा बस्तर का लोहा
बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में स्थित बैलाडीला खदान से भरी मात्रा में लौह अयस्क निकलता है। यह बात किसी से नहीं छुपी है कि बस्तर में खनिज पदार्थों का भंडार है। लेकिन यहां रहने वाले लोगों के पास पर्याप्त रोजगार नहीं है। जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बस्तर महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव ने बस्तर का लोहा बस्तर में गलाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने बस्तर के निजाम को बैलाडीला से निकलने वाले लौह अयस्क की पहाड़ियों को हैदराबाद को निजाम को सौंपने का विरोध भी किया था। 60 के दशक में ही महाराजा ने लौह अयस्क का खनन शुरू होने के बाद ही स्टील प्लांट खोले जाने की मांग की थी। जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। इस प्लांट को पूरा होने में 19 साल लग गए। इसके लिए पहली बार सितंबर 2003 में उप प्रधानमंत्री रहे लालकृष्ण आडवाणी ने रोमेल्ड तकनीक पर आधारित स्टील प्लांट की आधारशिला रखी थी। लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया था। इसके बाद 2008 में फिर से उसे समय केंद्रीय इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने इसकी आधारशिला रखी और प्लांट की स्थापना शुरू हुई।
राज्य गठन के बाद शुरू हुई प्रक्रिया
छत्तीसगढ़ गठन के बाद केंद्र और राज्य सरकार के हस्ताक्षेप के बाद नगरनार में एनडीएमडीसी द्वारा स्टील प्लांट की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। प्लांट को स्थापित करने का विरोध भी हुआ। जिससे प्लांट तैयार होने में देरी भी हुई। लेकिन अब यह प्लांट स्थापित हो चुका है। यह स्टील प्लांट 25 हजार करोड़ की लागत से स्थापित हुआ है। इस स्टील प्लांट में एनडीएमडीसी द्वारा सालाना तीन मिलियन टन से ज्यादा की उत्पादन क्षमता है। कोरोना काल की वजह से इसका निर्माण कार्य रुक गया था। जिसके कारण कमीशनिंग नहीं हो पाई। लेकिन अब जल्दी ही कमीशनिंग की तैयारी की जा रही है।