नितिन मिश्रा, DURG–BHILAI. भिलाई में इंजीनियरिंग के छात्रों ने एक नया सॉफ्टवेयर बनाया है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए पुलिस मुजरिमों को पकड़ने ने आसानी होगी। इस सॉफ्टवेयर का नाम फेशियल रिकॉग्नाइजेशन है। यह 64 बिंदुओं पर अपराधियों की स्कैनिंग करता है। शुरुआती समय में इसमें पिछले दस सालों के 5 हजार अपराधियों के डेटाबेस तैयार किए गए हैं।
इस प्रकार काम करता है सॉफ्टवेयर
मुजरिमों को पकड़ने के लिए पुलिस की सहायता करने कोर्डिंग वाईजार्ड ग्रुप के द्वारा फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सॉफ्टवेयर बनाया गया है। इसकी मदद से पुलिस अपराधियों को आसानी से पकड़ सकेगी। सॉफ्टवेयर में अपराधियों की फोटो और डेटाबेस अपलोड कर सिस्टम को कैमरे से जोड़ना होगा। जिसके बाद कैमरे की रेंज में आते ही पुलिस को एक मैसेज आएगा। उसी मैसेज की मदद से पुलिस अपराधियों के पकड़ सकेगी। इस सॉफ्टवेयर में दुर्ग जिले के पिछले 10 सालों के 5 हजार अपराधियों का डेटाबेस तैयार किया गया है। इस ऐप में प्रदेश के अन्य जिलों के अपराधियों की एंट्री भी दर्ज की जा सकती है।
64 बिंदुओं पर करता है काम
फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के छात्र विपिन गौतम शुभम भगत, राजा सिंह, यशवर्धन सिंह, प्रथम साहू ने पुलिस की मदद के साथ बनाया है।
यह सॉफ्टवेयर 64 बिंदुओं पर अपराधी की स्कैनिंग करता है। यह उन बिंदुओं पर स्कैनिंग करता है जो किसी दूसरे चेहरे से मेल जा खाते हों। अपराधी की बॉडी लैंग्वेज और गतिविधियों के आधार पर यह स्कैनिंग करता है। इंजीनियरिंग के इन छात्रों महीने भर में इस सॉफ्टवेयर को तैयार कर लिया है। पुलिस द्वारा रात्रि गश्त के समय अपराधियों की पहचान करने में भी यह काम आएगा।