BHOPAL. ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला अदालत ने बड़ा फैसला देते हुए हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी है। व्यासजी का तहखाना साल 1993 से बंद था। ज्ञानवापी के मुद्दा ठंडा भी नहीं हुआ था कि मध्य प्रदेश की जामा मस्जिद सुर्खियों में आ गई। संस्कृति बचाओ मंच ने एक बार फिर भोपाल की जामा मस्जिद में शिव मंदिर होने का दावा किया है। इसको लेकर मंच के पदाधिकारियों ने ज्ञानवापी केस में वकील विष्णु शंकर जैन से मुलाकात की और जामा मस्जिद के नीचे शिव मंदिर होने के प्रमाण प्रस्तुत किए।
दरअसल, ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन पिछले दिनों भोपाल आए थे। उन्होने ने कहा कि अगर किसी मंदिर को मस्जिद के रूप में कंवर्ट कर यूज किया जा रहा है तो हम उसके लिए लड़ाई लड़ेंगे। अध्ययन करेंगे और फैक्ट मिले तो सिविल कोर्ट में याचिका लगाएंगे।
सीएम मोहन से भी मामले की जांच कराने की मांग
संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि पिछले दिनों एडवोकेट विष्णु शंकर जैन भोपाल आए थे। तब उन्हें भोपाल की जामा मस्जिद के नीचे शिव मंदिर होने के सारे प्रमाण प्रस्तुत किए। जिनकी हार्ड कॉपी उन्हें भेजी जा रही है। इसके बाद वे कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। हमने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी मामले की जांच कराने की मांग की है। साथ ही पुरातत्वविदों से निवेदन किया है कि जामा मस्जिद से जुड़े दस्तावेज वे दे सकते हैं।
संस्कृति बचाओ मंच ने इस आधार पर किया दावा...
चंद्रशेखर तिवारी ने बताया मस्जिद से जुड़े कई दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं। इनमें 114 साल पुराना दस्तावेज भी महत्वपूर्ण है। अंग्रेजों के भोपाल स्टेट गजेटियर-1908 में भी मस्जिद में शिव मंदिर होना बताया गया है। इसके 50 साल के बाद 1958 में मस्जिद का वक्फ रजिस्ट्रेशन हुआ था।
चंद्रशेखर तिवारी के अनुसार भोपाल की पहली महिला शासक कुदसिया बेगम ने 1832 से 1857 ई. के बीच ये मस्जिद बनवाई थी। इसका जिक्र उर्दू में लिखी उनकी 688 पेज की किताब 'हयाते कुदसी' में किया गया है। ये बुक हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ट्रांसलेट की गई है। इसमें भी मस्जिद में शिव मंदिर होना बताया है। दस्तावेज जुटाने के बाद वकीलों के पैनल के जरिए कोर्ट में पिटीशन लगाई जाएगी।
बता दे कि कि करीब डेढ़ साल पहले भी जामा मस्जिद के नीचे शिव मंदिर होने का मामला उठा था। यह मुद्दा संस्कृति बचाओ मंच ने उठाया था, इसके बाद मुस्लिम पक्ष भी सामने आया था और जामा मस्जिद से जुड़े सारे दस्तावेज अपने पास होने का दावा किया था।