Bilaspur. शहर विधायक शैलेष पांडेय को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने इस बार भी उनके अपने शहर बिलासपुर में आयोजित शासकीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में सम्मान नहीं दिया है। बिलासपुर में तखतपुर विधानसभा से विधायक श्रीमती रश्मि आशीष सिंह शासकीय कार्यक्रम की मुख्य अतिथि होंगी। कांग्रेस विधायक शैलेष पांडेय को अब तक के विधायक कार्यकाल में भूपेश बघेल सरकार ने गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के शासकीय समारोह में एक बार भी झंडा फहराने या कि मुख्य अतिथि नहीं बनाया है।
शैलेष के साथ लगातार जारी है यह क्रम
विधायक शैलेष पांडेय ने 2018 में बेहद प्रभावी मंत्री अमर अग्रवाल को करारी शिकस्त दी थी।बेहद लोकप्रिय और मृदभाषी शैलेष पांडेय का यह पहला चुनाव था। लेकिन उन्हे बतौर विधायक इस कार्यकाल में उनके अपने शहर में आयोजित प्रमुख शासकीय कार्यक्रम में कभी भी मुख्य अतिथि नहीं बनाया गया।पुलिस ग्राउंड के मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि को लेकर शैलेष पांडेय के विधायक बनते ही यह विलक्षण संयोग का दोहराव जारी है।
भूपेश सरकार ने अब तक किन्हें बनाया है मुख्य अतिथि
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सबसे पहले 26 जनवरी 2019 में बिलासपुर के बग़ल की विधानसभा से विधायक श्रीमती रश्मि आशीष सिंह को मुख्य अतिथि बनाया।15 अगस्त 2019 को प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू,26 जनवरी 2020 को कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे,15 अगस्त 2020 को कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल,26 जनवरी 2021 को कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल,15 अगस्त 2021 को प्रभारी मंत्री जय सिंह अग्रवाल,26 जनवरी 2022 को रायपुर पश्चिम से विधायक विकास उपाध्याय, 15 अगस्त 2022 को तखतपुर विधायक श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, 26 जनवरी 2023 को रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय, और इस बार याने 15 अगस्त 2023 को तखतपुर विधायक श्रीमती रश्मि आशीष सिंह।
व्यवस्था क्या कहती है
राज्य के ज़िला मुख्यालयों में आयोजित गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के प्रमुख शासकीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कौन बने, इस पर अंतिम सहमति मुख्यमंत्री ही देते हैं। सीएम के अतिरिक्त कैबिनेट मंत्री जिस ज़िला मुख्यालय में मुख्य अतिथि तय किए जाते हैं, वहाँ विधायक स्वाभाविक रूप से मुख्य अतिथि नहीं बनते। लेकिन विधायक भी उनकी विधानसभा में आयोजित प्रमुख शासकीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनते हैं। भूपेश सरकार ने इस बार जो लिस्ट जारी की है उसी में 18 विधायकों के नाम है।इनमें दस विधायकों को संसदीय सचिव दर्जा दिया गया है।
गुटीय राजनीति का नतीजा है ?
विधायक शैलेष पांडेय को लेकर ना केवल कांग्रेस के भीतर बल्कि यह सार्वजनिक है कि, वे गुटीय राजनीति के शिकार होते रहे हैं। यह भी ग़ौरतलब है कि, उनके अपने दल के विरोधियों की तमाम कोशिशों के बावजूद वे अपना प्रसंग और अहमियत लगातार मज़बूत करते गए हैं। विधायक शैलेष पांडेय को डिप्टी सीएम सिंहदेव का समर्थक माना जाता है, यह चर्चा सार्वजनिक है कि, विधायक शैलेष पांडेय के समर्थक जिन स्थितियों का सामना करते हैं या कि, विधायक शैलेष पांडेय को ज़्यादा मेहनत से जूझना पड़ता है उसके पीछे कारण विधायक शैलेष पांडेय का डिप्टी सीएम सिंहदेव का समर्थक होना है।