नितिन मिश्रा, BILASPUR. बिलासपुर में यादव समाज ने व्यापम के खिलाफ मोर्चा खोला है। दरअसल व्यापम की प्रतियोगी परिक्षा में राउत नाच को आदिवासी नाच बताने पर यादव समाज भड़क गया है। सोमवार को यादव समाज ने व्यापम के खिलाफ प्रदर्शन किया है। समाज के लोगों का कहना है संस्कृति और धरोहर के साथ अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या मसला है
दरअसल शनिवार को व्यापम के द्वारा श्रम निरीक्षकों की भर्ती परीक्षा का आयोजित की गई। उसमें एक प्रश्न में राउत नाच को आदिवासी नृत्य बताकर प्रश्न किया गया। इसके बाद यादव समाज आक्रोशित हो गया। समाज ने इसे धरोहर का अपमान मान व्यापम को आंदोलन की धमकी दे दी है। यादव समाज के प्रतिनिधियों ने व्यापम के द्वारा की गई इस गलती के विरोध में कलेक्ट्रेट में ज्ञापम सौंपा है। छत्तीसगढ़ यादव समाज के संरक्षक सोमनाथ यादव ने कहा कि यादवों की संस्कृति और धरोहर के साथ लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। यादवों के आठ द्वेषपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। पहले भी संस्कृति मंत्री ने राउत नाच को चरवाहों का नाच बताया था। इस प्रकार की गलती बार-बार बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हर बार हमारी संस्कृति का अपमान किया जा रहा है। व्यापम अपनी गलती में सुधार करे यही हमारी मांग है। परीक्षार्थियों के मन में प्रश्न को लेकर भी अब विरोधाभास आ गया है। इस प्रकार के प्रश्न अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं।
क्या है राउत नाच
राउत नाचा' या राउत नाच या राउत-नृत्य, यादव समाज का दीपावली में किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है। इसमें राउत लोग विशेष वेशभूषा पहनकर हाथों में सजी हुई लट्ठ लेकर टोली में गाते और नाचते हुए प्रदर्शन करते हैं। गांव के हर घर में नृत्य के बाद समृद्धि की कामना कर युक्त पदावली गाकर आशीर्वाद देते हैं। इसमें टिमकी, मोहरी, दफड़ा, ढोलक, सिंगबाजा आदि इस नृत्य के मुख्य वाद्य यंत्रों का उपयोग होता है। इसी बीच इसमें भक्तिमय, नीति, हास्य और पौराणिक संदर्भ के दोहे भी गाये जाते हैं। इस नृत्य में मुख्य रूप से पुरुषों की भूमिका होती है।