Narmadapuram. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 15 बायसन को सीधी के संजय टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा रहा है। जहां ये बायसन एक बार फिर अपनी तादाद बढ़ाकर संजय गांधी टाइगर रिजर्व को गुलजार करेंगे। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बीते तीन दिनों में 14 बायसन को शिफ्ट किए गए। अब केवल एक और बायसन को सुरक्षित भेजा जाना बाकी है। सीधी के संजय गांधी टाइगर रिजर्व में बायसन को दोबारा बसाने यह प्रोजेक्ट चलाया गया है। जिसमें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 15 और कान्हा नेशनल पार्क से 35 बायसन को शिफ्ट किया जा रहा है।
फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों ने डाला डेरा
इस प्रोजेक्ट के लिए वनविभाग के कई अधिकारी जंगल में डेरा डाले हुए हैं। बायसन का रेस्क्यू किया जा रहा है कि और उन्हें वाहन के जरिए सीधी रवाना किया जा रहा है। बता दें कि भारतीय गौर यानि बायसन काफी मोटे और बड़े होते हैं। इनमें इतनी ताकत होती है कि ये चाहें तो पर्यटकों से भरी पूरी जिप्सी को पलटा सकते हैं। मध्यप्रदेश के जंगलों में भारतीय गौर बहुतायत में पाए जाते हैं। इनकी सबसे ज्यादा संख्या सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में ही है। अकेले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 5 हजार से ज्यादा बायसन मौजूद हैं।
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वन्य प्राणी विशेषज्ञों की देखरेख में हो रहा विस्थापन
बता दें कि बायसन को विस्थापित करने में प्रदेश के कई टाइगर रिजर्व से वन्यप्राणी चिकित्सक, देहरादून का चिकित्सा दल और जबलपुर की यूनिट भी तैनात की गई है। इस दल ने एसटीआर से खेपों में अब तक 14 बायसन को शिफ्ट कर लिया है। सोमवार को 4 बायसन, मंगलवार को 4 और बुधवार को 6 बायसन का रेस्क्यू कर उन्हें सकुशल सीधी के संजय टाइगर रिजर्व भेजा जा चुका है।
25 साल से बायसन विहीन था संजय टाइगर रिजर्व
बता दें कि संजय गांधी टाइगर रिजर्व में आखिरी बार 1998 में बायसन देखे गए थे, भारतीय गौर की आबादी को यहां पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से बायसन को लाया जा रहा है। बायसन जंगली भैंसे के समान ही काफी बड़े और मोटे होते हैं। हालांकि इनकी पहचान घुटनों तक सफेद रंग से होती है। वहीं इनके सींग भी सीधे और ऊपर की ओर होते हैं। ये इतने ताकतवर होते हैं कि बाघ भी आसानी से इनका शिकार नहीं कर पाते।