मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में सरकार बदली है और होना तो यह चाहिए था कि नई सरकार अपने संकल्प पत्र में दी गई बड़ी योजनाओं को लागू कर लोकसभा चुनाव में जाती, लेकिन समय बेहद कम है और चुनाव ऐसे समय पर हैं जब सरकार नया बजट भी पेश नहीं कर पाएगी। पिछली सरकार कांग्रेस की थी, इसलिए उन योजनाओं को आगे बढ़ा नहीं सकती, इसलिए पूरा फोकस केंद्र की स्कीम्स पर ही है और उन्हें ही जोर- शोर से लागू करने पर जोर दिया जा रहा है।
केंद्रीय योजनाओं पर फोकस
- राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद अब सभी विभाग केंद्र सरकार की योजनाओं पर फोकस कर रहे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के समय केंद्र की जिन स्कीम्स को एक तरफ रख दिया गया था या धीमी गति से काम किया जा रहा था। उन्हें अब दम से लागू किया जा रहा है। जैसे -
- केंद्र की आयुष्मान भारत योजना, जो कांग्रेस सरकार की चिरंजीव योजना के पीछे छिप गई थी अब आयुष्मान चिरंजीव योजना के तौर पर चल रही है और नए रजिस्ट्रेशन इसी के तहत किए जा रहे हैं।
- सरकारी स्कूलों के लिए केंद्र की पीएम श्री योजना पर बहुत धीमी गति से काम हो रहा था। अब पूरा फोकस इस पर आ गया है और कल ही इसे लेकर विभाग के स्तर पर एक बड़ी बैठक हुई है
- पिछली सरकार के समय महंगाई राहत और सरकार की गारंटी शिविरों में जुटी सरकारी मशीनरी, अब केंद्र सरकार के विकसित भारत संकल्प शिविरों को सफल बनाने में जुटी हुई है।
- उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों के निर्देश दिए हैं कि केंद्र प्रवर्तक योजनाओं के जितने भी प्रोजेक्ट्स हैं। उन्हें समय पर पूरा किया जाए और उनके तहत जो निर्माण किए जाने हैं। इनमें क्वालिटी कंट्रोल का पूरा ध्यान रखा जाए।
- कांग्रेस की योजनाओं को बंद नहीं कर सकते, लेकिन इनके नाम पर वोट भी नहीं मांग सकते।
भजनलाल सरकार उलझन में
राजस्थान में सत्ता परिवर्तन हुआ है और भाजपा सरकार के लिए मुश्किल की बात यह है कि वह पिछली सरकार की योजनाओं को बंद भी नहीं कर सकती और उनके नाम पर वोट भी नहीं मांग सकती। यही कारण है कि कुछ छोटी-मोटी भर्तियों को छोड़कर अभी पिछली सरकार की किसी भी योजना पर कोई ब्रेक नहीं लगाया गया है। सरकार सिर्फ नाम बदल कर योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल रही है। वहीं जिन योजनाओं से सीधे बड़े वर्ग को लाभ पहुंच रहा था उनका भी नाम बदलकर उन्हें बेहतर ढंग से लागू किया जा रहा है। जैसे इंदिरा रसोई योजना को अब श्री अन्नपूर्णा योजना बनाकर उसमें सरकार का अनुदान बढ़ा दिया गया है। इसी तरह रियायती दर पर सिलेंडर दिए जाने की योजना को भी नाम बदलकर जारी रखा गया है और वादे के अनुसार ₹50 और कम कर दिए गए हैं।
खुद की योजनाएं लागू करने में बजट का संकट
नई सरकार ने अपने संकल्प पत्र में जिन बड़ी योजनाओं को लागू करने का वादा किया है उन्हें लागू करने में बजट का संकट है। अभी मौजूदा वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही चल रही है और केंद्र सरकार भी पूर्ण बजट के बजाय अंतरिम बजट या लेखानुदान पेश करेगी। जब तक केंद्र का बजट नहीं आ जाता तब तक राजस्थान सरकार भी अपना बजट पेश नहीं कर सकती। चुंकि बजट पेश नहीं किया जा सकता इसलिए नई योजनाएं भी लागू नहीं की जा सकती। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री दिया कुमारी वित्त विभाग के अधिकारियों को लेखा अनुदान की तैयारी करने के निर्देश दे चुकी हैं। लेखानुदान के जरिए पूर्ण बजट पारित होने तक के खर्चे करने की अनुमति विधानसभा से ली जाती है। इसमें कोई योजना शामिल नहीं होती है सिर्फ सरकार के रुटीन के खर्चे शामिल होते हैं।
नया बजट जून- जुलाई में आने की संभावना
नया बजट अब लोकसभा के चुनाव होने के बाद जून जुलाई में ही आने की संभावना है। वैसे भी फरवरी अंत या मार्च की शुरुआत में आचार संहिता लगने की संभावना है। ऐसे में मार्च तक सरकार पिछले बजट प्रावधानों के अनुसार ही चलेगी और अप्रैल से जून तक लेखानुदान में पारित खर्च के अनुसार काम चलाएगी यानी बड़ी नई योजनाओं के लिए अभी जुलाई तक का इंतजार करना पड़ सकता है। अभी सरकार सिर्फ वह वादे पूरे कर रही है जिन में कोई बहुत ज्यादा अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आ रहा है जैसे कानून व्यवस्था को ठीक करने या पेपर लीक के मामलों पर रोक लगाने के लिए एसआईटी का गठन आदि।
जानकार क्या बता रहे ?
बजट अध्ययन केंद्र राजस्थान के निदेशक नेसार अहमद का कहना है कि यह सरकार चाहे तो नई योजना ला सकती है, लेकिन राज्य सरकारों को केंद्र का बजट और योजनाओं का आवंटन भी देखना होता है। इसी के हिसाब से राज्य का बजट भी तैयार किया जाता है। अब क्योंकि केंद्र सरकार लेखाअनुदान ही लेकर आ रही है, इसीलिए यह सरकार भी लेखानुदान ला रही है। वैसे बजट तैयार करने के लिए अब समय भी काम बचा है।