'लाड़ली बहना' घटीं, कांग्रेस के चुनावी पाखंड के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार, जानें कितनी और क्यों कम हुई हितग्राहियों की संख्या

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Vikram Jain
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'लाड़ली बहना' घटीं, कांग्रेस के चुनावी पाखंड के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार, जानें कितनी और क्यों कम हुई हितग्राहियों की संख्या

BHOPAL. मध्यप्रदेश में नई मोहन सरकार में पहली बार लाड़ली बहनों के खाते में 1250 रुपए आ गए। बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिंगल क्लिक से 1.29 करोड़ लाड़ली बहनों के खातों में 1576.61 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। शिवराज सरकार की अपेक्षा नई सरकार में जनवरी में 1.57 लाख लाड़ली बहना घट गईं। साथ ही हितग्राहियों की संख्या घटने के कारण भी सामने आए है। इधर योजना को लेकर कांग्रेस के आरोपों को झूठा बताते हुए बीजेपी ने पलटवार किया है।

कांग्रेस को आरोपों पर बीजेपी ने दी सफाई

वहीं लाड़ली बहनों की संख्या कम होने को लेकर बीजेपी से नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस को आरोपों पर सफाई देते हुए पलटवार किया है। बीजेपी ने कहा कि झूठ की फैक्ट्री से फेक प्रोडक्ट निकालने में कांग्रेसी बहुत फास्ट हैं। बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि उमंग सिंघार जी कम से कम नेता प्रतिपक्ष की गरिमा के अनुरूप जांच परखकर तो आप प्रतिक्रिया देते... लाड़ली बहनों की संख्या कम होने की वास्तविक स्थिति तो पता कर लेते...चलिए खैर सत्य और तथ्य इस ट्वीट में संलग्न है उस पर नजर जरूर डालिए।

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आशीष अग्रवाल ने विभाग के जारी किए आंकड़े भी शेयर किए। उन्होने लिखा कि पंजीकृत आवेदन की सूची में किसी भी प्रकार की काट छांट नहीं की गई, न ही किसी हितग्राही को योजना से बाहर किया गया है। संख्या में जो अंतर आ रहा है वह मृत्यु, लाभ परित्याग, उम्र अधिक होने से पात्रता सीमा से बाहर होने के कारण आ रहा है। अतः आपका ट्वीट पूर्णतः भ्रामक है। आपको झूठ फैलाने पर माफी मांगनी चाहिए और लाड़ली बहनों के खाते में राशि पहुंचाने के लिए बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिए।

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जानें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा था....

कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बुधवार सुबह सोशल मीडिया पर लाडली बहन योजना से लाभार्थी की छठनी को बीजेपी पर आरोप लगाए थे। उमंग सिंघार ने लिखा था कि नई सरकार ने घटाई 2 लाख लाड़ली बहना‼️ झूठे विज्ञापनों की सच्चाई। कर्ज का बोझ नहीं ढो पा रही विज्ञापन से बनी बीजेपी सरकार, प्रदेश की लाखों लाडली बहनों से झूठ बोल कर वोट ले लिए और अब उन्ही में से 2 लाख बहनों की छंटनी कर दी, जब सितंबर में शिवराज सीएम थे, तब लाडली बहनों की संख्या 1.31 करोड़ थी, अब नए सीएम मोहन यादव ने इस संख्या को छांटकर 1.29 करोड़ कर दिया है यानी 2 लाख तो नई सरकार बनते ही घटा दी।

सरकारी विज्ञापन इसका प्रमाण है, जनता खुद देखे.. लोकसभा चुनाव के बाद ये संख्या कितनी बचेगी, ये तो नए CM @DrMohanYadav51 ही तय करंगे। नए CM क्यों चाहेंगे कि लाड़ली बहना के 'प्यारे भैया' शिवराज जी ही बने रहें और मोहन यादव जी आपकी योजना को कर्ज लेकर ढोते रहें! 'लाड़ली बहना योजना' को लेकर लोगों की शंका गलत नहीं है कि CM बदलते ही इस योजना पर तलवार लटकी है। सरकार भले #BJP की है, पर CM का चेहरा तो नया है! अब लाड़ली बहनों को भी समझ आ रहा है कि ये #BJP का चुनावी पाखंड था, जिसका रंग उतरने लगा है।

इन कारणों से घटीं लाड़ली बहनों की संख्या

दरअसल, लाड़ली बहना योजना की हितग्राहियों की संख्या घटने के पीछे तीन कारण सामने आए हैं। पहला मौत, दूसरा स्वेच्छा से योजना का परित्याग (योजना का लाभ छोड़ना) और तीसरा कारण उम्र 60 साल से ज्यादा होना। हितग्राहियों की संख्या को देखे तो दिसंबर में 1 करोड़ 30 लाख 84 हजार 756 हितग्राही थी। जो जनवरी में घटकर 1 करोड़ 29 लाख 26 हजार 835 हैं। बुधवार को मोहन सरकार ने 1 करोड़ 29 करोड़ से ज्यादा लाड़ली बहनों के खातों में 1576.61 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए।

महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताई संख्या घटने की 3 वजह

1. लाड़ली बहना योजना के शुरू होने के बाद कई पात्र महिलाओं की मौत हुई है। जिसके चलते उनके नाम काटे गए है। मृत हितग्राहियों की संख्या 154 हैं।

2. योजना के अनुसार 60 साल तक की उम्र में की महिलाओं को इस योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए 60 साल से ज्यादा उम्र होने पर कट ऑफ डेट एक जनवरी तय की गई है। इसलिए पिछले 6 माह में जो महिलाएं 60 साल की उम्र पूरी कर चुकी हैं, उनके नाम एक जनवरी 2024 की स्थिति में योजना से बाहर कर दिए गए। जिनकी संख्या 1 लाख 56 हजार 253 हैं>

3. जिन हितग्राहियों के अकाउंट नंबर बदल गए या जिन्होंने योजना का लाभ लेने से मना किया गया, उनके भी नाम सूची से काट दिए गए हैं। विभाग के अनुसार स्वेच्छा से योजना के लाभ परित्याग करने महिलाओं की संख्या 18 हजार 136 हैं। इसके साथ समग्र/ आधार डी लिंक होने के कारण 804 को लाभ नहीं दिया गया।

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