मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति को धर्म के धागे से बांधने की कोशिश में बीजेपी, 100 करोड़ रुपए में एक करोड़ आबादी को मोदी देंगे मंत्र

author-image
Arun Dixit
एडिट
New Update
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति को धर्म के धागे से बांधने की कोशिश में बीजेपी, 100 करोड़ रुपए में एक करोड़ आबादी को मोदी देंगे मंत्र

BHOPAL. एक प्रचलित कहावत है जिसे सियासत में खूब इस्तेमाल किया जाता है। धर्म की अफीम चटाकर सियासतदार अपना काम निकाल लेते हैं। चुनावों में ये नजारा खूब नजर आता है। मध्यप्रदेश में भी कुछ इसी तरह की सियासत हो रही है। सागर में बनने वाले सौ करोड़ के रविदास मंदिर के सहारे एक करोड़ से ज्यादा की अनुसूचित जाति की आबादी को साधा जा रहा है। बुनियादी मुद्दों के इतर धर्म के बल पर इस वर्ग को अपने पाले में लाने की कोशिश है। इस कवायद को परिणाममूलक बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के हाथों से मंदिर का शिलान्यास कराया जा रहा है। इसके पीछे सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली 80 सीटें हैं जहां एससी आबादी जीत-हार तय करती है। प्रदेश में 35 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं। आइए आपको दिखाते हैं मध्यप्रदेश में चल रहा सियासत का अनुसूचित जाति को साधने का एजेंडा। 





एससी वोट बनेंगे गेम चेंजर





इस चुनाव में एससी वोटर गेम चेंजर बनने वाले हैं। आठ करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में भले ही इस वर्ग की आबादी एक करोड़ से कुछ ज्यादा यानी 16 से 17 फीसदी है, लेकिन इनके चुनाव में बड़े मायने हैं। यदि विधानसभा चुनाव में ये दांव चला तो चुनाव के नतीजे बहुत अलग हो सकते हैं। प्रदेश में अनुसूचित जाति के वोटर्स करीब 80 सीटों को प्रभावित करते हैं। सीधे तौर पर 35 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं। साल 2018 में बीजेपी को 41.02 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 40.89 फीसदी वोट हासिल हुए। बीएसपी 5.01 फीसदी वोट पाने में कामयाब रही। बीजेपी-कांग्रेस में महज 5 सीटों का अंतर रहा। 2018 में एससी की 35 सीटों में से कांग्रेस को 18, बीजेपी को 15 और बीएसपी को 2 सीटें हासिल हुईं। बीएसपी करीब 25 सीटों पर जीत-हार में अहम रोल अदा करती है। यदि बीएसपी और कांग्रेस मिलते हैं तो इनके पास 46 फीसदी वोट बैंक होगा जिससे एससी वोटर्स को प्रभावित किया जा सकता है। यानी ये समीकरण अनुसूचित जाति को बड़े गेमचेंजर के रूप में बताता है। 





वोट का बंटवारा-बीजेपी का सहारा





साल 2008 के चुनाव नतीजे ये स्पष्ट तौर पर दिखाते हैं कि बीजेपी की सरकार रिपीट होने का सबसे बड़ा कारण वोटों का बंटवारा रहा है। इस चुनाव में बीजेपी को 37 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस 32 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई थी। बीएसपी को इस चुनाव में बड़ी कामयाबी मिली थी। बीएसपी का वोट शेयर 9 फीसदी रहा था। बीजेपी को 143 विधानसभा सीटें हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस महज 71 सीटों पर सिमट गई थी। बीएसपी के पाले में 7 सीटें आईं थी। यदि कांग्रेस और बीएसपी के वोटों का बंटवारा न हुआ होता तो हालात कुछ और होते। यानी अनुसूचित जाति के वोट बैंक का बंटना बीजेपी की जीत का बड़ा कारण रहा था। कांग्रेस और बीएसपी का वोट शेयर मिला दें तो वो 41 फीसदी होता है जो कि बीजेपी से चार फीसदी ज्यादा है। यदि बीएसपी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा होता तो आंकड़ों के हिसाब से इस गठबंधन को करीब 130 सीटें हासिल हो सकती थीं। यही कारण है कि बीजेपी ने इस समीकरण पर अगले पांच साल में बहुत काम किया और साल 2013 में 45 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ। जबकि कांग्रेस का 36 फीसदी और बीएसपी का वोट शेयर 6 फीसदी रहा। इस चुनाव में बीजेपी को 165,कांग्रेस को 58 और बीएसपी को 4 सीटें हासिल हुईं। कांग्रेस ने इस चुनाव से सबक लिया और इस वोट बैंक पर ज्यादा ध्यान दिया। नतीजा ये रहा कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने एससी की सीटें बीजेपी से ज्यादा हासिल की। अब 2023 में इस वर्ग को साधना सबसे बड़ी चुनौती है। 





मंदिर के शिलान्यास के साथ एससी वर्ग की वोट की नींव





12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सागर आ रहे हैं। इस दिन वे 100 करोड़ से बनने वाले संत रविदास मंदिर का शिलान्यास करेंगे। बुंदेलखंड एससी वोटर्स का कोर एरिया है। 2018 में कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड  सीटों में सेंध लगाकर ही बीजेपी के विजय रथ को रोका था। यही कारण है कि सागर में इस मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। मोदी को बुलाकर बीजेपी इस वर्ग के वोटर्स को साधने की नींव रखना चाहती है। इन वोटों को पाए बिना उसका फिर सरकार में आना कामयाब होता नजर नहीं आता। अनुसूचित जाति से संपर्क बढ़ाने के लिए ही प्रदेश के पांच अंचलों से समरसता यात्रा निकाली गई है। जो प्रदेश के 50 हजार गांवों से होती हुई 12 अगस्त को सागर में समाप्त होगी। इसी दिन मोदी मंदिर का शिलान्यास करेंगे। 





नमो मंत्र को विफल करने आएंगे मल्लिकार्जुन





इन वोटर्स पर कांग्रेस की भी नजर है। कांग्रेस ये अच्छे जानती है कि 2013 का चुनाव की हार में बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग का बड़ा रोल रहा था। मोदी के बाद यहां पर कांग्रेस के अध्यक्ष और अनुसूचित जाति के सबसे बड़े नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा होनी है। पहले ये 13 अगस्त को थी, लेकिन मोदी के कार्यक्रम के बाद इसे आगे बढ़ा दिया गया। मल्लिकार्जुन खड़गे 22 अगस्त को सागर आ रहे हैं। उनकी कोशिश मोदी के मंत्र को विफल कर एससी वोटर्स में अपने सूत्र में पिरोना है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह कहते हैं कि बीजेपी सरकार ने अनुसूचित जाति के बुनियादी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया है और मंदिर, समरस्ता यात्रा में सीएम नाचने गाने का काम कर रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।



MP News मध्यप्रदेश एमपी न्यूज BJP बीजेपी Trying to tie Madhya Pradesh Scheduled Castes SCs with the thread of religion Modi will give mantra to one crore population एससी को धर्म के धागे से बांधने की कोशिश