युवती को गोली लगने के बाद 5 घंटे तक घुमाता रहा बीजेपी नेता, सबूत मिटाने के लिए ऑफिस में की थी सफाई

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Puneet Pandey
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युवती को गोली लगने के बाद 5 घंटे तक घुमाता रहा बीजेपी नेता, सबूत मिटाने के लिए ऑफिस में की थी सफाई

JABALPUR. बीजेपी नेता प्रियांश विश्वकर्मा ने शुक्रवार को युवती को गोली लगने के बाद सबूत मिटाने की कोशिश की थी और युवती को 5 घंटे तक घायल हालत में लेकर घुमाता रहा। बाद में युवती को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गोली लगने की घटना दिन में 1 बेज की है और युवती को शाम 6 बजे अस्पताल में भर्ति कराया गया था। पुलिस ने प्रियांश विश्वकर्मा के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। प्रियांश के दफ्तर में शुक्रवार को गोली लगने से एमबीए की एक छात्रा घायल हो गई थी। घायल युवती का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। पुलिस के मुताबिक धनवंतरी चौकी के पास प्रियांश विश्वकर्मा का दफ्तर है। वह रेत कारोबारी है और जमीन खरीदी-बिक्री का काम भी करता है।



घायल युवती को घुमाता रहा



घटना शुक्रवार दोपहर करीब एक बजे की है। युवती को गोली लगने के बाद अस्पताल ले जाने के बजाय प्रियांश ने घटना छिपाने के लिए ऑफिस की सफाई की वहां लगे सीसीटीवी की हार्ड डिस्क भी निकाल ली। इतना सब करने के बाद घायल लड़की को 5 घंटे तक कार में लेकर घूमता रहा। बाद में अस्पताल में भर्ती कराया और फरार हो गया। पुलिस द्वारा की गई शुरुआती जांच में गोली प्रियांश के हाथ से ही चलने की बात का खुलासा हुआ है। पुलिस के मुताबिक घटना दिन की है और शुक्रवार रात करीब 9 बजे युवती को गोली लगने की जानकारी मिली, जिसके बाद पुलिस अस्पताल पहुंची।



युवती ने बदला बयान



पुलिस के अनुसार पहले युवती ने कहा था कि दोपहर करीब 1:30 बजे दफ्तर में बातचीत के दौरान प्रियांश पिस्टल दिखा रहा था। इसी बीच, अचानक गोली चल गई। लेकिन, दूसरी बार पूछताछ में युवती ने कहा कि दोपहर में दोनों ऑफिस में बैठे थे। इसी दौरान, प्रियांश के हाथों से गोली चली और वह मौके पर ही बेहोश हो गई। पुलिस का कहना है कि घायल युवती बीजेपी नेता प्रियांश विश्वकर्मा की दोस्त है। युवती के घरवालों को भी दोनों की दोस्ती के बारे में पता था। युवती ने पहले गलत बयान दिया साथ ही उसके परिवारवाले भी पहले केस दर्ज कराने के लिए तैयार नहीं थे। 



फायर के चार निशान मिले



पुलिस ने जब घटना स्थल की जांच की तो मौके से फायर के चार निशान मिले हैं। पुलिस को पता चला है कि प्रियांश की बंदूक भी लाइसेंसी नहीं है।जांच में पता चला है कि गोली चलने के बाद उसने युवती को अस्पताल ले जाने के बजाय सबूत मिटाने की कोशिश की। गोली लगने से फैल गए खून के धब्बों को साफ किया। वहां लगे सीसीटीवी की हार्ड डिस्क भी निकाली। इतना ही नहीं उसने युवती के परिजनों को भी घटना की गलत जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक प्रियांश ने युवती के परिवार वालों पर इतना दबाव बनाया कि पहले वे कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। वह परिजनों से कह रहा था कि रिपोर्ट मत कराओ। उन्होंने पुलिस से आश्वासन मिलने के बाद रिपोर्ट कराई।


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