इंदौर में BJP की अब C कैटेगरी की सीटों पर प्रत्याशी का इंतजार, विधानसभा एक पर सभी की नजरें, विधानसभा दो और चार A कैटेगरी में

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Pratibha Rana
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इंदौर में BJP की अब C कैटेगरी की सीटों पर प्रत्याशी का इंतजार, विधानसभा एक पर सभी की नजरें, विधानसभा दो और चार A कैटेगरी में

संजय गुप्ता, INDORE. मप्र की 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी 39 की सूची जारी कर चुकी है और अब दूसरी सूची जल्द आने की तैयारी है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार बीजेपी ने विधानसभा की 230 सीटों को उनकी जीत के पुराने रिकार्ड के अनुसार ए, बी, सी और डी कैटेगरी में बांटा हुआ है। इसमें डी कैटेगरी वह है जहां बीजेपी बीते चुनाव में हारी थी। सी कैटेगरी में भी वह सीट है जो कांग्रेस से हारे थे या फिर जहां स्थिति कमजोर है। बी कैटेगरी में वह सीट है जो बीजेपी के पास है लेकिन यहां नजर हटी और दुर्घटना घटी वाली स्थिति हो सकती है, इसलिए ध्यान देना है। वहीं एक कैटेगरी में बीजेपी के गढ़ वाली सीट है, जहां उन्हें अधिक चिंता की जरूरत नहीं है। 



D कैटेगरी के लिए प्रत्याशी घोषित कर चुकी बीजेपी



इंदौर जिले की नौ विधानसभा सीट में से केवल राउ ही ऐसी इकलौती सीट है, जो बीजेपी लगातार दो बार से हार रही है। साल 2008 में यह सीट बनी थी, जब बीजेपी के जीतू जिराती ने कांग्रेस के जीतू पटवारी को हराया था, लेकिन साल 2013 में बीजेपी के जिराती और फिर 2018 में मधु वर्मा यहां से चुनाव हारे। साल 2023 के लिए बीजेपी ने वर्मा को फिर से प्रत्याशी बनाया है। 



C कैटेगरी में यह सीट, इन पर प्रत्याशी का इंतजार



बीजेपी ने सी कैटेगरी में उन सीट को रखा है, जो फिलहाल कांग्रेस के पास है और बीजेपी कमजोर है, लेकिन यह सीट बीजेपी लगातार नहीं आ रही है, यहां कभी कांग्रेस की तो कभी बीजेपी की जीत हो रही है। इसमें विधानसभा एक और देपालुपर शामिल है। हालांकि सांवेर की भी यही स्थिति है लेकिन यहां से तुलसीराम सिलावट का टिकट तय है, इसलिए यहां टिकट घोषित करने के लिए बीजेपी जल्दबाजी में नहीं है।



इंदौर एक में कई दावेदार



बात इंदौर एक की करें तो साल 2003, 2008 और 2013 में बीजेपी लगातार जीती लेकिन 2018 में बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता, कांग्रेस के संजय शुक्ला से आठ हजार वोट से हार गए और यहां जिस तरह की स्थिति है, उसमें भी शुक्ला की ही स्थिति बीजेपी से बेहतर दिख रही है। वहीं बीजेपी को यहां सबसे ज्यादा चिंता भीतरघात की है, पूर्व विधायक गुप्ता के खिलाफ कार्यकर्ता नारेबाजी से लेकर रैली तक निकाल चुके, हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। उधर दावेदारों में उनके साथ ही संघ से गोपाल गोयल का नाम चला तो वहीं युवा दावेदार दीपक उर्फ टीनू जैन का भी नाम चल रह है। लेकिन गुप्ता के पक्ष में यही कि नरेंद्र तोमर और सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी है और फिर जब राउ में हारे हुए वर्मा को टिकट दिया तो फिर उन्हें क्यों नहीं? यह बात भी उठ रही है।



यही हाल देपालपुर की सीट का भी



यही हाल देपालपुर का भी है, यहां भी बीजेपी का रिकार्ड एक बार हार और एक बार जीत का रहा है। लेकिन इस बार कांग्रेस विधायक विशाल पटेल की स्थिति ठीक बताई जा रही है। वहीं मनोज पटेल फिर से टिकट मांग रहे हैं तो बीजेपी से आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा की नजरें हैं क्योंकि यहां राजपूत समाज अधिक है, साथ ही कैलाश विजयवर्गीय के खास चिंटू भी लगे हुए हैं। हालांकि कांग्रेस से भी मोती पटेल का नाम चल रहा है, ऐसे में अंदरखाने में यह भी चल रहा है कि कांग्रेस मोती पटेल को यहां से टिकट दे सकती है और विशाल को महू जाने के लिए बोल सकती है क्योंकि वहां अभी दमदार प्रत्याशी नहीं है। 



B कैटेगरी की सीट में यह शामिल-



विधानसभा तीन-



अब बी कैटेगरी की बात करें तो इसमें बीजेपी ने मुख्य तौर पर तीन और पांच को रखा है। तीन नंबर विधानसभा हालांकि बीजेपी 2013 और 2018 दोनों बार जीती है, लेकिन हर बार प्रत्याशी बदलकर, पहले ऊषा ठाकुर जीती तो फिर मौजूदा विधायक आकाश विजयवर्गीय। यह विधानसभा पांच-छह हजार वोट से ही हार-जीत वाली है। ऐसे में किसी भी एक वर्ग के नाराज होने से एकदम पलटी हो सकती है। मोटे तौर पर आकाश का नाम तय है लेकिन यदि पार्टी विधानसभा दो विधायक रमेश मेंदोला को पांच नंबर में पहुंचाती है तो फिर दो नंबर में आकाश जा सकते हैं और यहां एक बार फिर ऊषा ठाकुर नजर आ सकती है। कांग्रेस से मुख्य दावेदारी पिंटू जोशी की है, लेकिन दौड़ में अश्विन जोशी और अरविंद बागड़ी भी है। पिंटू जोशी ताल ठोक चुके हैं कि मैं चुनाव लडूंगा और जीतूंगा भी, अब दावा मेरा बनता है, बीते बार अश्विन भाई लड़ चुके हैं और पार्टी उन्हें मौका दे चुकी है।



विधानसभा पांच और सांवेर-



विधानसभा पांच कहने को तो बीजेपी के पास साल 2003 से ही लगातार चार बार से बनी हुई है और महेंद्र हार्डिया जीत रहे हैं लेकिन बीती जीत केवल 1132 वोट ने बीजेपी को चौकन्ना कर दिया है और यहां उनकी दावेदारी का विरोध भी खुलकर हो रहा है। यानि यदि मेहनत नहीं की तो सीट निकल सकती है। यहां से दावेदारों की बात करें तो बीजेपी नगराध्यक्ष गौरव रणदिवे का नंबर सबसे आगे हैं, वहीं पीछे-पीछे संघ से चले नए नाम अशोक अधिकारी का है तो साथ ही डॉ. निशांत खरे और मिलिंद महाजन भी दावेदारों में शामिल है। संगठन मंत्री हितानंद शर्मा और खुद सीएम के चलते रणदिवे का नाम लेकिन प्रमुखता से है। कांग्रेस से स्वप्निल कोठारी, सत्यनारायण पटेल और अमन बजाज की दावेदारी है। वहीं सांवेर वैसे कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीट आती-जाती रही है लेकिन जिस तरह से सिलावट उपचुनाव 50 हजार से जीते, उससे बीजेपी संतुष्ट है और उनका टिकट भी तय है। कांग्रेस से प्रेमचंद गुड्‌डु की बेटी रीना बौरासी और बंटी राठौर की दावेदारी है।



विधानसभा महू



बीजेपी यहां साल 2008, 2013 और 2018 में जीत चुकी है, लेकिन मंत्री और विधायक ऊषा ठाकुर की स्थिति इस बार ठीक नहीं बताई जा रही और वह खुद भी विधानसभा एक या तीन से टिकट चाह रही है। वहीं महू में स्थानीय प्रत्याशी की मांग उठ रही है। महू में बीजेपी के लिए दावेदारों में ठाकुर के साथ ही कंचन दिनेश चौहान का नाम चल रहा है तो वहीं डॉ. निशांत खरे का भी नाम है, साथ ही राज्य सभा सांसद कविता पाटीदार भी दावेदार है, पीछे-पीछे मनोज ठाकुर, लोकेश शर्मा जैसे भी नाम है। कांग्रेस से अंतरसिहं दरबार के साथ जिलाध्यक्ष ग्रामीण सदाशिव यादव मुख्य दावेदार है। दरबार तीन बार लगातार चुनाव हार चुके हैं।



इंदौर की A कैटेगरी की सीट-



इंदौर विधानसभा चार-



इसमें विधानसभा दो और चार शामिल है। इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी का गढ़ बनाने का श्रेय बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को है। वह पहला चुनाव साल 1990 में विधानसभा चार से ही लड़े थे और जीते थे फिर 1993 में यहां से लक्ष्मणसिंह गौड़ लड़े और अपने कट्‌टर हिदूंवादी छवि से इसे अयोध्या में तब्दील कर दिया, उनके निधन के बाद से 2008, 2013 और 2018 में उनकी पत्नी मालिनी गौड़ लगातार भारी मतों से जीत रही है। लेकिन इस बार उनके नाम को लेकर भी विरोध की सुगबुगाहट शुरू हो गई है और बीजेपी में अंदरूनी स्तर पर बात चल रही है कि एक परिवार से कब तक टिकट मिलेंगे, 30 साल से एक ही परिवार को टिकट मिल रहा है। दावेदारों की बात करें को यहां से लंबी लाइन है और जिसे भी टिकट मिले यह उसके लिए लॉटरी लगने वाली बात ही है। कांग्रेस से राजा मंधवानी और अक्षय बम का नाम दावेदारों में हैं। 



इंदौर विधानसभा दो-



उधर विधानसभा दो पर 1993 में कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव लड़कर जीत हासिल की और इसके बाद से वह लगातार साल 2003 तक चुनाव लड़े और भारी मतों से जीते, इसके बाद आए रमेश मेंदोला ने 2003, 2013 और 2018 में लगातार जीत के रिकार्ड बनाए और कभी 90 हजार तो कभी 71 हजार से जीते। यहां से वही तगड़े दावेदार है, पार्टी यदि सीट बदलती है तो फिर आकाश आ सकते हैं, लेकिन गढ़ बीजेपी का ही है। वहीं कांग्रेस से चिंटू चौकसे निगम नेता प्रतिपक्ष का चुनाव लड़ना भी तय है।

 


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