बेताबियां… हे प्रभु! इस बार सीएम बना दो, जो बन सकेगा वो करूंगा

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Harish Divekar
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बेताबियां… हे प्रभु! इस बार सीएम बना दो, जो बन सकेगा वो करूंगा

कल तय हो जाएगा मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री

हरीश दिवेकर @ BHOPAL

मध्य प्रदेश में धुंध छाई है… मौसम में भी और सियासत में भी। हालांकि दो दिन बाद सब साफ हो जाएगा। मौसम भी और सीएम का नाम भी। फिलवक्त नेता, अफसर और दलाल सब बेचैन हैं। सब अपने खेमे का मुख्यमंत्री बनाने को बेताब हैं। किसी न किसी तरह पंत प्रधान को खुश करने की कोशिशें चल रही हैं। मंदिरों के फेरे लग रहे हैं। इधर कमल दल ही नहीं, कमलनाथ के दल में भी कुर्सी की मारामारी चल रही है। अध्यक्ष की कुर्सी की खींचतान है। इस बीच हाईकमान ने एक नेताजी को दिल्ली तलब कर लिया। अभी तो पक्की खबर यह है कि एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को हाईकमान ने दिल्ली दरबार में बुलाया है। उधर, बड़ी मैडम और बड़े साहब को लेकर प्रशासनिक एवं पुलिस महकमे में चर्चा है। वे रहेंगे या जाएंगे, ये भी सीएम की कुर्सी पर ही निर्भर है। एक मंत्रीजी तो छह माह बाद की तैयारी में जुट गए हैं।

देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं। आप तो सीधे नीचे उतर आइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

नेता, अफसर, दलाल सब बैचेन

मामा जाएंगे या बचेंगे, सीएम कौन बनेगा… प्रहलाद पटेल, नरेन्द्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया या वीडी शर्मा…! इनके नामों की लिस्ट इतनी लंबी है कि सबको इतने कम समय में साध पाना मुश्किल है। ये बैचेनी है नेता, अफसर और दलालों की। जो सत्ता के साथ सुर- ताल मिलाने में माहिर माने जाते हैं। इनका एक ही फॉर्मूला होता है, जहां दम- वहां हम। ये सभी अपने- अपने हिसाब से सूंघने का प्रयास कर रहे हैं कि हॉट सीट पर कौन बैठेगा, जिससे पहले से नमस्ते करके गणित जमा लिया जाए। हकीकत तो ये है कि दिल्ली से हाईकमान का पैगाम लेकर आने वाले पर्यवेक्षकों को भी अब तक नहीं पता कि उन्हें किसके नाम का लिफाफा मिलने वाला है। तो भाई लोगों जब तक विधायक दल की बैठक नहीं हो जाती, तब तक आप भी किसी के नाम की पतंग उड़ा सकते हो।

दिल्ली नहीं, दिल में लैडिंग कर रहे

मामा को दिल्ली नहीं बुलाया तो वे प्रदेश में जगह- जगह दौरे कर लाड़ली बहनों के प्यार- दुलार का धन्यवाद देकर उनके दिल में उतरकर माहौल बनाने में लगे हैं। मामा के तुरुप की इस चाल से मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी खासे बेचैन हैं। उन्हें आज की रात बहुत भारी लग रही है कि कहीं मामा खेला करके लोकसभा चुनाव तक अपनी पारी न बढ़ा लें, क्योंकि सब जानते हैं कि मामा को एक बार कुर्सी पर फिर बैठने का मौका मिला तो फिर 2028 तक किसी और को मौका नहीं मिलने वाला।

हे राम...कर दो बेड़ा पार

नेतागीरी जो कराए सो कम है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इन दिनों 'सोशल खेल' चल रहा है। नहीं समझे न। देखिए, पहले तो इन राज्यों में सीएम पद के प्रमुख दावेदारों ने दिल्ली में तमाम बड़े नेताओं की वंदना की। अब उनकी सोशल मीडिया टीमें मोदी, शाह और नड्डा की हर पोस्ट को रीपोस्ट या डाउनलोड कर अपने माननीय के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट कर रही हैं। पहले पोस्ट करने की मानो होड़ सी लगी रहती है। सबकी कोशिश होती है कि पंत प्रधान की कोई भी पोस्ट पहले उनके यहां हो। ब्लॉग लिखे जा रहे हैं। दूसरा, राम मंदिर के फोटो- वीडियो की भी बाढ़ सी आई हुई है। सबकी कामना है कि हे प्रभु! इस बार नैया पार लगा दो, जो बन सकेगा सो करूंगा।

कमलनाथ की कुर्सी भी खींच रहे

कांग्रेस में माहौल गरम है। कल तक जो सामने खड़े नहीं होते थे, वे आज कांग्रेस की हार के पीछे कमलनाथ पर तंज कसने से बाज नहीं आ रहे हैं। भोपाल से दिल्ली तक दौड़- भाग चल रही है। कमलनाथ भी इस्तीफा देने का मन बना चुके हैं, इंतजार है तो बस चयन का। कमलनाथ अपने पसंदीदा को ही कुर्सी पर विराजमान करना चाहते हैं। बहरहाल ये देखना होगा कि अब तक प्रदेश कांग्रेस को अपने हिसाब से चलाते आ रहे कमलनाथ अपने चहेते को कुर्सी पर बैठा पाने में सफल होते हैं या नहीं।

तुम जो इतना मुस्करा रहे हो..

एक मंत्रीजी चुनाव हारने के बाद शेरो- शायरी करके अपना और कार्यकर्ताओं में उत्साह बनाए हुए हैं। मंत्रीजी भले ही ऊपर से सब कुछ 'ऑल इज वेल' बताने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन अंदर से टूट चुके हैं। दरअसल मोदी की सुनामी में जहां नए- नए चेहरे हजारों वोटों से जीत गए, वहीं उनकी हार हो गई। अब मंत्रीजी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनके धुर विरोधी मुखिया की कुर्सी से हट जाएं तो उनकी सरकार में मंत्री की तरह सुनवाई हो सके, वहीं वो इस प्रयास में भी जुट गए हैं कि ऐन केन प्रकारेण उन्हें कहीं से भी लोकसभा के मैदान में उतरने का मौका मिल जाए तो मोदी के नाम पर इस बार नैया पार लगा लेंगे।

मैडम रहेंगी या जाएंगी..

मैडम प्रशासन की और साहब पुलिस महकमे की हॉट कुर्सी पर बने रहेंगे या नए मुख्यमंत्री के आते ही विदा हो जाएंगे, इसे लेकर ब्यूरोक्रेसी में हलचल है। जहां हॉट सीट के दावेदार भावी मुख्यमंत्री का नाम जानने और सेटिंग जमाने में जुटे हुए हैं, वहीं मैडम के साहब भी इस कोशिश में लग गए हैं कि किसी भी तरह तक मार्च में रिटायरमेंट तक मैडम इस कुर्सी पर बनी रहें। उन्होंने अपने राजनीतिक घोड़े दौड़ाना शुरू कर दिए हैं। परेशानी उन ब्यूरोक्रेट्स की है जो ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि किसके नाम की आरती गाई जाए। मैडम का गुनगाण करते हैं और दूसरा कोई हॉट सीट पर आकर बैठता है तो बेवजह टारगेट पर आ जाएंगे। इसलिए अब अफसर सीएम और सीएस के नाम पर वैट एंड वॉच की स्थिति में आ गए हैं।


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