पांचवां मौसम सियासत का… गोद लेने वाली बात खल गई बॉस, क्योंकि बाजीराव से आगे निकल गए डॉक्टर साहब

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Harish Divekar
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पांचवां मौसम सियासत का… गोद लेने वाली बात खल गई बॉस, क्योंकि बाजीराव से आगे निकल गए डॉक्टर साहब

राज्य मंत्री के बयान पर मामा का गीता श्लोक

हरीश दिवेकर @BHOPAL

पतझड़, सावन, बसंत, बहार एक बरस के मौसम चार, मौसम चार। पांचवां मौसम प्यार का… अरे नहीं रुकिए, पांचवां मौसम अब राजनीति का होता है। हाड़ कंपा देने वाली इस सर्दी में इन दिनों तो बयानों की गर्मी है। ताजा बयान नए नवेले राज्य मंत्री बने दिलीप अहिरवार का है, जिसमें वे डॉक्टर साहब के 'ट्रीटमेंट' को उम्दा करार देते हुए पहले के 'डीन' को बेकाम बता रहे हैं। इस पर पूर्व डीन भी कहां चूकने वाले थे। उन्होंने गीता के एक श्लोक से 'प्रिय भक्त' के लक्षण बता दिए। उधर, अब अफसरों को तबादलों के डोज से कुछ राहत मिल गई है। चुनाव आयोग की गाइड लाइन उनके लिए राहत लेकर आई है। इस बीच मंत्रालय की एक तेजतर्रार महिला आईएएस अफसर को साइड लाइन करने की तैयारी है।

देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

वे सिर्फ गोद लेते थे...

'वर्तमान मुख्यमंत्री को देखो, पूर्व मुख्यमंत्री ने तो न जाने किस- किसको गोद लिया था। इसलिए उनका यह परिणाम है। वे सिर्फ गोद लेते थे, करते कुछ नहीं थे।' ये मजमून नए नवेले राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार का है। सर्द सुबह में दिया गया उनका यह बयान खालिस सियासतदानों को तीर की तरह चुभ गया है। इसके जवाब में मामा ने गीता के 12वें अध्याय का एक श्लोक सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने शत्रु मित्रादि में समभाव वाले स्थिर बुद्धि प्रिय भक्त के लक्षण बताए हैं। इन दो पंक्यिों और श्लोक के अलावा शिवराज ने आगे कुछ नहीं लिखा। इधर मंत्रीजी ने सफाई दी कि यह तो वे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के लिए कह रहे थे। अब राम जाने, तीर किधर था, मगर जानकार तो इसका अर्थ समझ ही गए।

डॉक्टर साहब की रफ्तार

चीते की चाल, बाज की नजर और बाजीराव की तलवार पर संदेह नहीं करते… अरे रुकिए तो तनिक। यहां बाजीराव की तलवार की जगह डॉक्टर साहब की सक्रियता है। मंत्रियों को विभागों का बंटवारा करने के बाद उनकी रफ्तार का यही अंदाज है। प्रदेश के अलग- अलग हिस्सों में वे हर दिन 'धमाका' कर रहे हैं। कभी समीक्षा, कभी निरीक्षण। 'नर' सेवा में भी वे पीछे नहीं हैं। जहां मौका मिलता है, संवेदना का कार्ड चल देते हैं। हर कोई कह रहा है कि यही रफ्तार रही तो डॉक्टर साहब पहले के 'डीन' से आगे निकल जाएंगे।

मंत्रीजी का विभाग पुराना

राजनीति और सोशल मीडिया मानो अब एक- दूसरे के पर्याय बन गए हैं, लेकिन बुंदेलखंड के एक मंत्रीजी ऐसे भी हैं, जिनके सोशल मीडिया अकाउंट पर अब भी पुराना ही विभाग दर्ज है। यूं तो मंत्रीजी का 'सहायक' अपने अपने आप को इंटेलेक्चुअल बताने की कोशिश करता है, लेकिन अब तक अपने माननीय का बायो नहीं बदल पाया। राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा है। लोग पूछ रहे हैं कि मंत्रीजी की टीम को बायो बदलने के लिए कब समय मिलेगा।

मामा का फंडा सबसे अलहदा

मामा ने प्रदेश में 18 साल तक राज किया है। उन्हें पब्लिसिटी के सारे फंडे पता हैं, वो जानते हैं कि पब्लिक का ध्यान अपनी ओर कैसे खींचा जाता है और सोशल मीडिया पर कैसे ट्रेंड किया जाता है। मामा की जादूगरी डॉक्टर साहब को भारी पड़ रही है। अब देखिए ना डॉक्टर साहब ने पहली कैबिनेट संस्कारधानी में रखकर माहौल बनाने का प्रयास किया। महाकौशल में होने वाली बैठक सोशल मीडिया में ट्रेंड हो पाती, उससे पहले ही मामा ने छक्का मारकर बाजी मार ली। दरसअल, उन्होंने सरकारी बंगले को मामा का घर बनाकर सोशल मीडिया का मंच लूट लिया। उधर डॉक्टर साहब की कैबिनेट की ब्रांडिंग मामा के घर के आगे फीकी पड़ गई।

सरकारी बंगलों का होगा नामकरण

हम एक बार फिर बात करेंगे मामा और उनके नवाचार की। मामा तो मामा हैं- जो करें सो कम… अब देखिए न मार्केट में बने रहने के लिए सरकारी बंगले का ही नामकरण कर दिया। अब ये बंगला बी-8, 74 के नाम से नहीं “मामा के घर” से जाना जाएगा। अब मामा ने सरकारी बंगले का नामकरण करने की शुरुआत की है तो हो सकता है कि अगले कुछ महीनों में चार इमली, 74 बंगला में रहने वाले नेताओं के बंगले आई ची कृपा, सांई धाम और रामाश्रय या फिर खुदा का घर के नाम से जाने जाएंगे।

ईमानदार आईपीएस की सीआर खराब

क्या आप यकीन मानेंगे कि प्रदेश में जिस आईपीएस अफसर के नाम से ईमानदारी की कसमें खाई जाती हैं, आज वही अफसर अपनी सीआर सुधरवाने को लेकर परेशान हैं। साहब की सीआर सिर्फ इसलिए खराब की गई कि वे अपने हुक्मरान से तालमेल नहीं बैठा पाए। जब से पुलिस महकमे में ये खबर वायरल हुई है, तब से खाकी में नाराजगी फैली हुई है। दरअसल साहब पर आज तक एक आने का दाग नहीं है और महकमे में उनका खासा सम्मान है। हालांकि साहब की ईमानदारी उनके हुक्मरानों की व्यवहारिकता के आड़े आती है, इसलिए वे मेन स्ट्रीम में नहीं रह पाते। यदि गलती से पदस्थ हो भी गए तो चंद महीनों में हटा दिया जाता है।

मैडम को साइड लाइन करने की तैयारी

मंत्रालय की तेज- तर्रार महिला आईएएस अफसर को साइड लाइन करने की तैयारी है। डॉक्टर साहब ने कुर्सी संभालते ही सबसे पहले उनके पति को पूल में डंप किया था। अब मैडम की बारी है। मैडम अभी दारु पानी वाले विभाग की मुखिया हैं, उन्हें हाल ही में हल्के विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है। मैडम पहले वाले विभाग में मन लगाकर काम कर रही हैं, इसलिए अतिरिक्त प्रभार वाले विभाग से कन्नी काटना चाहती हैं, लेकिन बड़ी साहिबा के कहने पर वे अतिरिक्त प्रभार लेने को तैयार हो गईं। माना जा रहा है कि धीरे से अतिरिक्त प्रभार वाले महकमे में मैडम का सेट कर दिया जाएगा और दारु पानी वाले विभाग से नमस्ते कर दी जाएगी।

ये जय सिंह कौन है भाई

इंदौर में जय सिंह के नाम के खासे चर्चे हैं। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये जय सिंह है कौन? इन साहब की खाकी वाले साहब लोगों से खासी पटती है। बताते हैं कि जब भी कोई बड़ा तोड़ बट्टा करना होता है तो जय सिंह को याद किया जाता है। फिर वो चाहे अवैध शराब के मामले में डीलिंग हो या फिर बड़े रियल एस्टेट के विवाद का मामला। जय सिंह के आते ही सब सेटल हो जाता है। वैसे साहब है तो जैनी, लेकिन नाम में सिंह लगाकर ठाकुर वाली अदाएं भी दिखाते हैं। जय सिंह की पकड़ इंदौर से भोपाल तक है। हाल ही में उनके खासमखास एक कप्तान जो कि महाकौशल के बड़े जिले में पदस्थ हैं, 2 करोड़ का तोड़- बट्टा करवाया है। हमने तो इशारा कर दिया, अब बाकी काम डॉक्टर साहब की इंटेलीजेंस विंग का है, वो ढूंढे कौन है जय सिंह!

तीन प्रमोटी संकट में

लोकायुक्त के रडार पर चढ़े तीन प्रमोटी अफसर संकट में दिखाई दे रहे हैं। सालों पहले आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति देने के मामले में लोकायुक्त के फरमान पर लोकायुक्त पुलिस ने मामला दर्ज किया था। जैसे- तैसे मामला सेट हो रहा था कि सरकार चली गई। अब तीन में से दो अफसर मामा के खास हैं, ऐसे में जो अभी मामा समर्थकों को निपटाने की जो हवा चल रही है, उसे देखते हुए तीनों की सांसें फूली हुई हैं। एक साहब तो मामा के कार्यकाल में भी प्रताड़ित रहे हैं। अब फिर नई मुसीबत आती दिख रही है।


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