BHOPAL. मध्य प्रदेश में बीजेपी की नई सरकार के सीएम मोहन यादव (MP CM Dr. Mohan Yadav)का स्टाइल थोड़ा डिफरेंट है। उनके कामकाज का अंदाज थोड़ा जुदा है। सरकार का अभी सत्ता में आए एक महीने का कार्यकाल भी नहीं हुआ है, लेकिन वह कई बड़े फैसले ले चुके है। मोहन सरकार फिलहाल प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है। इस बीच मोहन सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल मोहन यादव सरकार की कैबिनेट (Cabinet of Mohan Yadav government) ने शपथ के बाद अब पदभार भी संभालना शुरू कर दिया,लेकिन कैबिनेट के दिग्गजों के साथ 22 मंत्रियों के पास बंगले नहीं हैं। सरकारी बंगलों के 22 में से 14 बंगले खाली हैं। अब ऐसे में मंत्रियों को बंगले उपलब्ध कराना सीएम मोहन के लिए टेंशन बन गई है।
मंत्रियों को आवास देना बनी टेंशन
जानकारी के अनुसार कैबिनेट के दिग्गजों के साथ 22 मंत्रियों को बंगला चाहिए, जबकि 14 बंगले ही ऐसे हैं, जिन्हें नए सिरे से आवंटित किया जा सकता है। इसमें भी कुछ बंगलों में ऐसे नेता रह रहे हैं जो मंत्री नहीं बन पाए, लेकिन विधायक हैं। नए मंत्रियों के लिए बंगलों की मुश्किल बढ़ने वाली है। प्रतिमा बागरी, नरेंद्र शिवाजी पटेल, लखन पटेल समेत कई अन्य मंत्री खुद गृह विभाग में जाकर अपनी अर्जी लगा चुके हैं। सीनियर मंत्रियों ने सीधे सीएमओ से संपर्क किया है। कुछ मंत्री तो ऐसे भी है, जो होटल और निजी निवास में रहकर अपने काम कर रहे है। ऐसे में अब सीएम मोहन यादव को जल्द से जल्द इन मंत्रियों के लिए फैसला लेना होगा। वहीं नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को पूर्व में लिंक रोड नंबर एक पर सी-टाईप बंगला आवंटित हुआ है। अब वे मंत्री हैं, इसलिए उन्हें दूसरे आवास की दरकार है।
इनपर सभी की नजर
रिक्त होने की स्थिति में नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, ऊषा ठाकुर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, कमल पटेल, हरदीप सिंह डंग, एनपी प्रजापति, ओम प्रकाश सकलेचा, प्रभुराम चौधरी, अरविंद भदौरिया, बृजेंद्र प्रताप सिंह, ओपीएस भदौरिया और प्रदीप जायसवाल के बंगलों पर ज्यादातर मंत्रियों की नजर है। वहीं पूर्व में तुलसी सिलावट, विजय शाह, जगदीश देवड़ा, गोविंद सिंह राजपूत, विश्वास सारंग, प्रद्युम्न सिंह तोमर और इंदर सिंह परमार के पास ही बंगला है।