संजय गुप्ता, INDORE. कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) के 36985 पदों पर भर्ती के करीब आठ माह से रुके हुए रिजल्ट को लेकर 15 लाख अभ्यर्थी अधर में लटके हुए हैं। इन्हीं परीक्षाओं आठ हजार से ज्यादा चयनित पटवारी भी है जो रिजल्ट के जांच घेरे में आने के बाद से ही नियुक्ति के लिए अटक गए हैं। इनसे मानसिक रूप से परेशान हो चुके उम्मीदवारों ने अब इच्छामृत्यु को लेकर सोशल मीडिया पर कैंपेन शुरू कर दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले पीएससी के राज्य सेवा परीक्षा 2019 के उम्मीदवारों ने भी ऐसी ही मांग रखी थी। बाद में उनके रिजल्ट जारी हुए थे।
यह लिखा है पत्र में-
श्रीमान नरेंद्र मोदीजी,
माननीय प्रधानमंत्री महोदय
प्रधानमंत्री कार्यालय, नई दिल्ली, भारत
विषय- इच्छामृत्यु की अनुमति देने के संबंध में
महोदयजी,
उपरोक्त विषय अतंर्गत लेख है कि मप्र कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा आयोजित परीक्षाएं- वन रक्षक व क्षेत्ररक्षक, जेल प्रहरी, जेल उप अधीक्षक, ग्रुप 5 स्टाफ नर्स व अन्य पद, ग्रुप 4 सहायक ग्रेड 3, स्टेनोग्राफर, समूह 1 उप समूह 1, कृषि विकास अधिकारी, हाई स्कूल टीचर (वर्ग1), एमपी पुलिस सहित आठ परीक्षाओं के रिजल्ट आठ माह से लंबित है। हम छात्रों द्वारा मंडल से संपर्क करके रिजल्ट जारी करने का निवेदन किया गया, लेकिन मंडल द्वारा विविध बहाने बनाएं जा रहे जिसके कारण हम समस्त मप्र के बेरोजगार छात्र अत्यधिक तनाव की स्थिति में हैं। ऐसी स्थिति में मांग करते हैं कि – उक्त परीक्षाओं के रिजल्ट शीघ्र जारी किए जाएं, अथवा हमे इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाए।
प्रार्थी- समस्त बेरोजगार छात्र
इन पदों के रुके हुए हैं रिजल्ट
1- ग्रुप टू सब ग्रुप 4 पटवारी- 9073 पद - मार्च-अप्रैल 2023 में परीक्षा- (रिजल्ट निकला लेकिन जांच के चलते भर्ती रोक दी)
2- वन रक्षक- 1772 पद- मई-जून 2023 में परीक्षा- रिजल्ट नहीं
3- ग्रुप 5- 4792 पद- जून 2023 में परीक्षा- रिजल्ट नहीं
4- ग्रुप 4- 3047 पद- जुलाई में परीक्षा- रिजल्ट नहीं
5- ग्रुप वन सब ग्रुप वन- 1978 पद- जुलाई में परीक्षा- रिजल्ट नहीं
6- एचएसटीएसटी (वर्ग1) - 8720 पद- अगस्त में परीक्षा- रिजल्ट नहीं
7- पुलिस कांस्टेबल- 7090 पद- रिजल्ट नहीं
इस विवाद के कारण रूके हुए हैं रिजल्ट
कर्मचारी चयन मंडल ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ भर्ती प्रक्रिया शुरू की लेकिन अगस्त 2023 में हाईकोर्ट ने आरक्षण सीमा 50 फीसदी से ज्यादा होने पर लगी आपत्ति पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश दिया कि ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी पर ही रिजल्ट जारी किया जाए, 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर नहीं। इसके बाद से ही परीक्षाओं के रिजल्ट होल्ड हो गए।
अब 87-13 फीसदी के फार्मूले से रिजल्ट जारी करने पर बनी है सहमति
द सूत्र की लगातार मुहिम के बाद कर्मचारी चयन मंडल और सामान्य प्रशासन विभाग के बीच बैठक में सहमति बनी है कि रूके हुए रिजल्ट 87-13 फीसदी फार्मूले से जारी किए जाएं। यानि 87 फीसदी पदों पर अंतिम रिजल्ट जारी कर दी जाएंगे और 13 फीसदी पदों को ओबीसी आरक्षण विवाद सुलझने पर बाद में जारी किया जाएगा, कोर्ट फैसले से ही तय होगा कि यह पद अनारक्षित कैटेगरी के पास जाएंगे या फिर ओबीसी के पास। इससे कम से कम 36985 पदों में से 87 फीसदी पदों के रिजल्ट तो जारी होकर नियुक्ति हो सकेगी।
क्या फायदा होगा इससे
इससे यह फायदा होगा कि रुके हुए 36985 पदों में से 87 फीसदी पद यानि 32 हजार से ज्यादा पर अंतिम रिजल्ट जारी हो जाएंगे और युवाओं को भर्ती मिल सकेगी। बाकी पांच हजार पद करीब प्रोवीजनल रिजल्ट के खाते में चले जाएंगे और कोर्ट के अंतिम आदेश के बाद तय होगा कि यह पद ओबीसी खाते में जाएंगे या फिर अनारक्षित कैटेगरी के उम्मीदवारों के खाते में।
एक लाख सरकारी भर्ती के वादे में निकले थे पद
मप्र की शिवराज सरकार ने चुनाव के पहले एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती का वादा किया था और इसके लिए कर्मचारी चयन मंडल भोपाल ने 42 हजार से ज्यादा पदों के लिए भर्ती निकाली। इसमें से केवल 5321 पदों के लिए ही रिजल्ट जारी हुआ और भर्ती हुई, बाकी 36985 पदों की भर्ती आरक्षण विवाद में रुक गई। इसमें वह चयनित पटवारी भी है जिनके रिजल्ट पर जांच बैठी हुई है।