BHOPAL: मध्य प्रदेश के कई जिलों में आई कंजंक्टिवाइटिस (आई फ्लू/ पिंक आई/आंख आना) के केसेस बढ़ते जा रहें हैं। राज्य के भोपाल, सागर, जबलपुर, टीकमगढ़, दमोह, रतलाम, झाबुआ का कुछ हिस्सा, उज्जैन भोपाल और इंदौर ऐसे शहर है जहां आई फ्लू के मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार, प्रदेश में पिछले 7 दिनों में 20,000 से अधिक लोग इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं। मरीजों की बढती संख्या को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), मध्य प्रदेश ने राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHOs) को निर्देश जारी किये हैं। साथ ही जनता के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। सभी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं नेत्र संक्रमण से बचाव करने के लिए आमजन में जन जागरूकता बढ़ाई जाए। द सूत्र ने बात की नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर ललित श्रीवास्तव से और जाने इस वायरल इंफेक्शन से बचाव और इलाज़ के तरीके...
क्यों होता हैं कंजंक्टिवाइटिस?
डॉक्टर ललित श्रीवास्तव ने बताया कि दरअसल मानसून में जिस तरह से बारिश हो रही है, उससे तापमान कम-ज्यादा हो रहा है। मौसम के बदलाव का असर बैक्टेरियम और वायरल स्प्रेड के रूप में होता है। इसी बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन के चलते कंजंक्टिवाइटिस के मामले सामने आ रहें हैं।
वायरल कंजक्टिवाइटिस और बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस
कंजक्टिवाइटिस बैक्टीरिया और वाइरस, दोनों के संक्रमण के कारण हो जाता है। इसके अधिकतर मामले एडेनोवायरस के कारण होते हैं। इसके अलावा हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस, वैरिसेला जोस्टर वायरस और अन्य वायरस जिसमें कोरोना वायरस भी सम्मिलित है, इसका कारण बन सकते है। वायरस और बैक्टीरिया दोनों से ही होने वाला कंजक्टिवाइटिस संक्रामक होता है। वायरल कंजक्टिवाइटिस अक्सर एक आंख में होता है, कुछ दिनों में दूसरी आंख में भी फैल जाता है। संक्रमित व्यक्ति की आंखों से निकलने वाले डिसचार्ज के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क में आने के द्वारा यह अन्य लोगों में फैल सकता है।
देखने से नहीं फैलता कंजंक्टिवाइटिस
लोगों में यह अफवाह है कि आंखों में देखने से यह बीमारी फैलती है, जबकि ऐसा नहीं है। लोगों को ये जानकारी होना जरूरी है कि यह आंखों में देखने से नहीं होता है, बल्कि मरीज को चश्मा उनकी सहूलियत के लिए दिया जाता है। आंखों में दर्द बना रहता है। रोशनी से परेशानी होती है। इसलिए उन्हें काला चश्मा पहनाया जाता है। एक-दूसरे की आंखों में देखने से संक्रमण नहीं फैलता है। इसके लिए जरूरी है कि हाइजीन का ख्याल रखें और अपनी इस्तेमाल चीजें दूसरों को इस्तेमाल नहीं करने दिया जाए।
ये लक्षण दिखें तो सतर्क हो जाएं
डॉक्टर ललित श्रीवास्तव ने यह बताया कि कंजक्टिवाइटिस काफी संक्रामक होता है, और बहुत तेजी से दूसरे लोगों में फैल सकता है। इसलिए ये लक्षण दिखें तो सतर्क हो जाएं:
- एक या दोनों आंखों का लाल या गुलाबी दिखाई देना।
साफ़-सफाई का रखें विशेष ध्यान
कंजक्टिवाइटिस को फैलने से रोकने के लिए साफ-सफाई रखना सबसे जरूरी है, इसके अलावा अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएं। जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं। अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें। अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि चीजों को रोज़ धोएं। स्विमिंग पूल, तालाब, पोखर आदि में नहाने से बचें। कॉन्टेक्ट लेंस पहनना बंद करें, अपने नेत्र चिकित्सक की सलाह पर ही इसे फिर प्रयोग करें। यदि आंखों के पास किसी भी तरह का स्राव होता है तो उसे गर्म पानी में भिगोये साफ़ गीले कपडे से साफ़ करें। कपड़े को फिर से प्रयोग करने से पहले गर्म पानी से धो लें।
सेल्फ मेडिकेशन से बचें और डॉक्टर के बताए अनुसार ही दवाइयाँ ले
डॉक्टर ललित श्रीवास्तव का कहना हैं की कंजक्टिवाइटिस मरीज़ के लिए बड़ा असुविधाजनक होता है हो सकता है, लेकिन बहुत ही कम मामलों में इससे दृष्टि प्रभावित होती है। ज्यादातर मामलों में कंजक्टिवाइटिस 4-7 दिन में अपने आप ही ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा, ''क्योंकि यह बिमारी 7 दिन में ठीक होती है, ऐसे में लोगों को भी ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। सेल्फ मेडिकेशन से बचें। अपनी मर्जी से आंखों में सूजन या लालिमा होने पर कोई भी ड्रॉप ना डालें और डॉक्टर को दिखाने के बाद ही इलाज कराएं।'' डॉक्टर के अनुसार बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस में एंटीबायोटिक्स आई ड्रॉप्स और ऑइंटमेंट (मरहम/जैल) के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों में आंखें सामान्य और स्वस्थ्य होने लगती हैं।