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बीजेपी के एक युवा फायर ब्रांड लीडर हैं। लोकप्रिय भी हैं। पीएससी में भर्ती मसले पर गति दुर्गति करते देख उन्हें पुलिस साहब बुलाए, बोले- बयान दीजिए। आप ट्विटर पर बहुते अलांग-बलांग ठेल रहे हैं, सबूत दीजिए, हमको जांच करना है। मुस्कुराते नेता जी ने मस्त पांच पन्ने का बयान लिखवाया है। बयान की शुरुआत में लिखा है, ये जो शिकायत मेरे खिलाफ किया है, वह बारहवीं फेल है, मसला पीएससी में गड़बड़ी का है तो शिकायत कोई बारहवीं फेल कैसे करेगा। बताते हैं कि बयान में और भी बहुत कुछ लिखा गया है। नेताजी बोले कि ये लो बयान और मेरे बयान की कॉपी दो। पुलिस साहब बयान पढ़कर परेशान है, नेताजी को कॉपी ही नहीं दे रहे हैं। युवा तुर्क के तेवर वैसे ही तल्ख़ रहते हैं, तिस पर बयान भी बवालिया टिका दिए हैं। निकलते निकलते एक सवाल और दहकता छोड़ गए, नेताजी ने पूछा- साहेब, वो पीएससी अध्यक्ष को भी बुलवाओगे न..! आखिर आरोप तो उन पर है और आप जांच कर रहे हो।
कांग्रेसियों के सम्मेलन में जेबकतरे क्यों?
हालिया दिनों नए नवेले कांग्रेसियों यानी एनएसयूआई का सम्मेलन हुआ, वहीं अपने राजीव भवन में। कुछ देर बाद अचानक एक कोने में ढांय-ढिशुम की आवाज आने लगी। पता चला कि सम्मेलन में पॉकेटमार घुस आया था। नजर पड़ी तो जूतमपैजार का मामला हो गया। मसला गंभीर है, कांग्रेसियों के सम्मेलन में जेबकतरे बार-बार कैसे आ जाते हैं। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए, बताइए राजीव भवन में भी आ गए।
ओम भाईसाब और उनकी हाजिर जवाबी?
ओम भाईसाब जो हैं अपने, वो टोटल कमांड ले लिए हैं। हर जगह छाप हुए हैं। इंटरव्यू हो या प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया के लिए एकदम हाजिर रहते हैं। भाईसाब के पास हर सवाल का जवाब रहता भी है। मसलन धान का समर्थन तो जवाब आएगा मैनिफेस्टो का इंतजार करो, शराबबंदी पर रुख़ पूछो तो जवाब आएगा मैनिफैस्टो का इंतजार करो। सीएम फेस कौन तो जवाब आएगा संसदीय बोर्ड के फैसले का इंतजार करो। ओम सर को उनके करीबियों ने बताया है कि इस हाजिर जवाबी से सब मुग्ध हैं, लेकिन वाकई ऐसा ही है? ओम भाईसाब को पता कराना चाहिए।
भइया यूं ही नहीं बोलते...
अपने भइया यूं ही कोई काम तो करते नहीं। अब पाटन में बोल आए हैं कि मैं तो नामांकन दाखिल करने आऊंगा चुनाव तो कार्यकर्ता लड़ेगा, वे प्रदेश में 89 सीट पर फोकस रहेंगे। भइया ने ये बात यूं ही नहीं बोली है। वे बगैर बोले बीजेपी की फिर खींच लिए हैं कि जाओ, धत्त तुम्हारी क्या चिंता जी..! लेकिन भीतरखाने से यह भी मसला है कि शुभचिंतक थोड़े परेशान हैं। बोल रहे हैं ऐसा मीडिया में नहीं बोलना था। वैसे भतीजे साहब को इससे बेहतर चुनौती कोई चाचा क्या ही देता।
इस निर्देश का निशाना कौन?
पीएचक्यू का एक दिशा निर्देश खूब चर्चा में है। मसला है कि बीस बिंदु में पीएचक्यू ने सिपाही से लेकर आला अधिकारियों के लिए सोशल मीडिया पर टोटल ब्रेक लगा दिया है। इससे वर्दी के साथ हुड़-हुड़ दबंग वाले वर्दीधारी उदास हैं। लेकिन आखिर आदेश अभी क्यों निकला? जवाब इस निर्देश के 9,13,17 और 19वें बिंदु में है। वैसे किस्सेबाजों की फेंकी दूर की कौड़ी है कि चुनाव आ रहा है। पुलिस सुधार आंदोलन में बर्खास्तगी के बाद पूर्व सिपाही साहब लोग चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में गदर के सनी देओल की तरह सोशल मीडिया पर अनुशासन के हैंडपंप उखड़ने लगें तो क्या होगा, तो यह दिशा निर्देश जारी किए गए। माने किसी एसपी साहब को थोड़ी टारगेट किए हैं।
गोबर लाबे त मिलही मनरेगा में काम नई तो धर ले लोटा
मध्य छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों से अजीबोगरीब खबर आ रही है। ये भइया की फ्लैगशिप योजना गौठान से जुड़ा मसला है। गौठान में गोबर नई है। नतीजतन सरपंच को साहब लोग चमकाए, साहब लोग को बड़े साहब लोग चमकाए, चमकास्टिक का सिलसिला मल्लब उपरे से जारी है। अब गोबर किधर से आए। सरपंचों ने इसका रास्ता निकाला है। बोले कि सुना रे बाबू, मनरेगा में काम चाही तो गोबर लान नई लाबे तो धर ले लोटा। परेशान तो सरपंच साहब लोग अब भी हैं, लेकिन कम परेशान हैं। अइसे थोड़े बोल गए हैं लोग कि परेशानी दुख तकलीफ बांटने से कम होती है।
दिस इज द मेन रीजन एमएलए सर
आंख वाले डॉक्टर की पढ़ाई कर विधायक बने विनय बाबू ने राजीव भवन में पीसी लेकर पूर्व विधायक श्यामबिहारी जायसवाल के खिलाफ आरोप लगाए कि सरकारी जमीन में भारी धांधली गचरपेंच है। आरोप गंभीर हैं भी, रायपुर में ऐसा आरोप राजीव भवन से विधायक जी लगाएंगे तो भौकाल तो टाइट होता ही है। लेकिन अब श्याम बिहारी जी की बारी थी। रायपुर के कई पत्रकारों के मोबाइल में धकाधक मैसेज आए, जिसमें विधायक विनय जायसवाल के लिए मुसीबत बढ़ाने वाले मामले मसहले थे। कहीं सड़क का मसला है तो कहीं नगर निगम का। विनय जी रायपुर आकर पीसी का तोप इसलिए ही दागे, क्योंकि श्याम बिहारी जी रोज भ्रष्टाचार का गोला बारूद क्षेत्र में दाग रहे थे। विधायक जी विरोधी के भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों के गोला बारूद के धुएं से परेशान थे तो उन्हें लगा कि जमीन पर गोलमाल का मसला है। बहुत जोर धमाका करेगा। लेकिन छोटा प्रदेश होने से यही तो नुकसान है, तुरते आगू-पाछू का मसला सामने आता है।
कर्नाटक का मसला और डीएसपी भूरेलाल
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार आते ही न्याय हुआ पर पूरा नहीं हो पाया। कर्नाटक पुलिस ने केवल शेड्यूल ऑफेंस को हटाया है और बाकी घटना को सही मान लिया है। दूजा यह कि जब तक अधूरा न्याय होता, उसके पहले स्पेशल कोर्ट में परिवाद पंजीबद्ध हो चुका है। पूरा मसला जो हुआ है और जो होना है उसमें विधि के अनुभवी और ग़ैर अनुभवी सबकी नज़रें टिकी हैं। इधर नजरें उस ओर भी हैं, जहां से आज तो कुछ दिख नहीं रहा है, लेकिन सतह के नीचे लहरों में बहुते तेजी है। जी हां, ईडी की ही बात है। बहुत कुरेदने पर गंगाजल के डीएसपी भूरेलाल के अंदाज में कहा गया- ई त साला होना ही था.. लेकिन इसके बाद ही कहा गया है - अभी पिक्चर बाकी है पत्रकार जी..फुल इस्टमेन कलर, थ्रिलर सस्पेस से भरपूर जोरदार एक्शन.. देखते जाइए।
शौक ए दीदार है तो नजर पैदा कर
छत्तीसगढ़ के कई विधायक मुंबई के सम्मेलन में भाग लेने गए थे। छत्तीसगढ़ के दिग्गज बीजेपी नेता, जिन्होंने केंद्र में मैराथन पारी खेली है, वे अब महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस जी ने छत्तीसगढ़ के विधायकों को बुलाया और जलपान कराया। छत्तीसगढ़ की हर हलचल से मुकम्मल वाकिफ रमेश बैस ने इस मुलाकात में छत्तीसगढ़ और विधायकों का हाल-चाल जाना। रमेश बैस जी के समर्थक बैस जी के राजनीतिक भविष्य को लेकर उम्मीदें यूं ही नहीं रखते।
सुनो भई साधो
- आईजी डीआईजी की लिस्ट तैयार होते होते रुक जाती है, एडिशनल एसपी लिस्ट का भी मसला कुछ ऐसा ही है, कहां से रुक रही है लिस्ट?