चंपू ने सेटेलाइट के प्लॉट बेचे, गर्ग ने उसी पर 110 करोड़ का लोन लिया, चुकाए केवल 4 करोड़, प्लॉटधारक और बैंक दोनों उलझे

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Rahul Garhwal
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चंपू ने सेटेलाइट के प्लॉट बेचे, गर्ग ने उसी पर 110 करोड़ का लोन लिया, चुकाए केवल 4 करोड़, प्लॉटधारक और बैंक दोनों उलझे

संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफिया रितेश उर्फ चंपू अजमेरा और उद्योगपति कैलाश गर्ग दोनों अब ED की जांच में उलझ गए हैं। ED द्वारा मारे गए छापे से सेटेलाइट हिल कॉलोनी का मुद्दा और उछल गया है। ये पूरा खेल 110.50 करोड़ रुपए का है, ये लोन कैलाश गर्ग ने लिया और इसमें से बैंक केवल 4 करोड़ रुपए ही वसूल कर पाया। 3 बैंकों के 106.58 करोड़ रुपए डूब गए। इस मामले में CBI नवंबर 2020 में गर्ग पर FIR दर्ज कर चुका है।

CBI की FIR में क्या है ?

यूको बैंक की शिकायत पर CBI ने 5 नवंबर 2020 पर बैंक लोन घोटाले में मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी मंदसौर, सुरेश गर्ग (निधन हो चुका), कैलाश गर्ग और 2 अन्य अज्ञात लोक सेवक पर 120 बी और 420 की धारा में FIR दर्ज की। इसमें कहा गया कि बैंक लोन लिया गया और इस लोन को गर्ग परिवार द्वारा अपनी सिस्टर कंसर्न कंपनी में शिफ्ट कर दिया गया। ये बैंक लोन का फंड सिस्टर कंसर्न कंपनियों नारायण ट्रेडिंग कंपनी, रामकृष्णा सॉल्वेक्स, पद्मावती ट्रेडिंग, मंदसौर सेल्स कॉर्पोरेशन में शिफ्ट हुआ। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया कि इन कंपनियों के डायरेक्टर, लोन लेने वाली कंपनी से ही लिंक थे।

इन 3 बैंकों के 106.50 करोड़ रुपए डूबे

यूनियन बैंक एमजी रोड रीगल चिराहा ने 38.44 करोड़ का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ डूब गए, यूको बैंक न्यू पलासिया ने 34.28 करोड़ रुपए का लोन दिया और ये पूरा डूब गया। पंजाब नेशनल बैंक, मनोरमागंज ने 33.84 करोड़ रुपए का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ रुपए डूब गए।

गर्ग के खेल में चंपू की इस तरह रही भागीदारी

सेटेलाइट हिल कॉलोनी साल 2007 में ही टीएंडसीपी में पास हुई और इसके साथ ही इसमें खरीदी-बिक्री शुरू हो गई। चंपू और योगिता अजमेरा को गर्ग ने कंपनी डायेरक्टर बनाया। बाद में चंपू को प्लॉट की सौदेबाजी के अधिकार दिए गए। चंपू ने जमकर बेचे। वहीं प्लॉट की बिक्री के बाद साल 2011-12 के दौरान गर्ग ने सेटेलाइट हिल की जमीन और अन्य जगह की जमीन और अन्य संपत्तियों को गिरवी रखकर बैंक लोन ले लिया। इस पूरे खेल में चंपू और गर्ग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढोल रहे हैं और बीच में बैंक वाले और 71 प्लॉटधारक उलझ गए।

सेटेलाइट की इन जमीनों पर लिया गया बैंक लोन

मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 110.50 करोड़ को लोन की सुरक्षा के लिए एवलॉन्च रियालटी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से संचालक कैलाश गर्ग द्वारा सेटेलाइट हिल्स कॉलोनी की भूमि सर्वे नंबर 111, 112, 114/1/1, 114/2, 123, 124, 125, 130/3, 130/4, 138, 138/1, 140/1, 140/2. 215/1/1, 215/1/2, 215/1/3, 215/1/4 को गिरवी रखा गया। जबकि इन जमीन पर पूर्व में ही भूखंडों के रूप में विभाजित कर विक्रय कर दिया गया। प्लॉट की बिक्री का ये काम चंपू अजमेरा ने किया।

जांच कमेटी ने बैंकों को कई बार दिए थे नोटिस, लेकिन जवाब नहीं दिया

हाईकोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन की कमेटी ने सेटेलाइट हिल की भी जांच की थी। इस दौरान ये बैंक लोन विवाद तत्काल कमेटी प्रमुख और अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर के सामने भी आया था। इसके बाद कई बैंक प्रमुखों को नोटिस जारी हुए, लेकिन कोई नहीं आया, ना ही बैंकों ने कभी बताया कि आखिर गर्ग को बैंक लोन के लिए इतनी बड़ी गलत सर्च रिपोर्ट किस अधिकारी द्वारा दी गई।

ADM रहते सुधीर कोचर ने खारिज किया था बैंक का आवेदन

इस मामले में कुर्की के लिए बैंकों ने सरफासी एक्ट के तहत तत्कालीन एडीएम सुधीर कोचर के पास गर्ग की संपत्तियों की कुर्की का आवेदन दिया था। लेकिन तभी कोचर के पास ये बात पहुंच गई थी कि ये जमीन तो पहले ही कंपनी द्वारा प्लॉट काटकर बेच दी गई। इसमें बैंक द्वारा ही गलत तरह से लोन दिया गया। जमीन कुर्क हुई तो इसमें प्लॉटधारक उलझ जाएंगे। इसके बाद इस आवेदन को खारिज कर दिया गया।

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