Raipur. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED - Enforcement Directorate ) ने एंटी करप्शन ब्यूरो ( ACB- Anti Corruption Bureau ) रायपुर में फिर FIR दर्ज करवाई है। शराब घोटाले मामले में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के बेहद करीबी विजय भाटिया, अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, निरंजन दास, रतन प्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ 20 आबकारी विभाग के अधिकारी कर्मचारी और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी भाटिया वाइन एवं मर्चेंट, मेसर्स वेलकम डिस्टलरी मेजर्स, ए ढेबर बिल्डकॉन, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव और रेरा के अध्यक्ष रहे विवेक ढांड के साथ अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारी गण समेत 70 नामजद एवं अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला कैसे हुआ उजागर, जानें सबकुछ
छत्तीसगढ़ के IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है, जिसमें रायपुर महापौर एजाज ढेबर का भाई अनवर अवैध वसूली करता है। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA Act के तहत मामला दर्ज किया। आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ED ने अब तक की जांच, गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया है।
घोटाले को अलग- अलग स्तर में बांटा है ED ने
ED ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के माध्यम से आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ। ED ने चार्जशीट में कहा कि साल 2017 में अच्छे मकसद से आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के जरिए शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंग अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के जरिए भ्रष्टाचार किया गया। जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ। ED ने अपनी चार्जशीट में 3 स्तर का घोटाला बताते हुए इसे भाग A, B, C में बांटा है।
- भाग A के तहत CSMCL के MD अरुणपति त्रिपाठी को अपने पसंद के डिस्टिलर की शराब को परमिट करना था, जो रिश्वत-कमीशन को लेकर सिंडिकेट का हिस्सा हो गए थे। देशी शराब के एक केस पर 75 रुपए कमीशन दिया जाना था, जिसे त्रिपाठी डिस्टिलर और सप्लायर से कमीशन लेकर एक्सेलशीट तैयार करते, किससे कितना कमीशन आया, उसे अनवर ढेबर को दिया जाता था।
- भाग B के तहत अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने देशी शराब और अंग्रेजी शराब ब्रांड के होलोग्राम बनाकर बेहिसाब शराब CSMCL की दुकानों में बेचीं, जिससे सीधे तौर से राजस्व की राज्य को हानि हुई।
- भाग C में डिस्टिलर और ट्रांसपोर्टर से एनुअल कमीशन शामिल है। आपराधिक सिंडिकेट के जरिए CSMCL की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।
जानिए घोटाले की इस FIR में किन- किनके नाम
शराब मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 12 के साथ IPC की धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी प्रभावी है। यह FIR फिर 17 जनवरी 2024 को दर्ज की गई है, जिसका अपराध क्रमांक 4/2024 है। शराब घोटाले मामले में ईडी ने एसीबी द्वारा दर्ज FIR में यह बताया है कि अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी सिंडिकेट के रूप में काम कर रहे थे। अनवर ढेबर के सहयोगी विकास अग्रवाल उर्फ सूब्बू, अरविंद सिंह, संजय दीवान, देसी शराब आश्वनी के मालिक और विभिन्न जिलों और मुख्यालय में पदस्थ आबकारी अधिकारियों के साथ मिलकर राज्य में शराब की बिक्री में अवैध कमीशन की उगाही कर रहे थे और बिना हिसाब के मदिरा को सरकारी मदिरा दुकानों में सप्लाई कर रहे थे। इससे सरकार को लगभग 2161 करोड़ रुपए की सीधी क्षति हुई है।
01. अनिल टुटेजा, तत्कालीन संयुक्त सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग छग शासन
02. अनवर ढेबर
03. अरुणपति त्रिपाठी, प्रबंध संचालक, छ.ग. स्टेट मार्केटिंग कार्पो. लिमी.
04. मेसर्स रतनप्रिया मिडिया प्राईवेट लिमीटेड
05. कवासी लखमा, तत्कालीन आबकारी मंत्री
06. निरंजनदास, आई.ए.एस. तत्कालीन आबकारी आयुक्त
07. जनार्दन कौरव, तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी,
08. अनिमेष नेताम, तत्कालीन उपायुक्त आबकारी,
09. विजय सेन शर्मा, तत्कालीन उपायुक्त आबकारी,
10. अरविंद कुमार पटले, तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी,
11. प्रमोद कुमार नेताम, तत्कालीन सहायक कमिशनर, आबकारी
12. रामकृष्ण मिश्रा, तत्कालीन सहायक आयुक्त, आबकारी
13. विकास कुमार गोस्वामी, तत्कालीन सहायक आयुक्त, आबकारी
14. इकबाल खान, तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी
15. नीतिन खंडुजा, तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी
16. नवीन प्रताप सिंग तोमर, तत्कालीन सहायक आयुक्त, आबकारी,
17. मंजु कसेर तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी,
18. सौरभ बख्शी, तत्कालीन सहायक आयुक्त,
19. दिनकर वासनिक, तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी,
20. आशीष वास्तव, तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त, आबकारी,
21. अशोक कुमार सिंह, तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी,
22. मोहित कुमार जायसवाल, जिला आबकारी अधिकारी,
23. नीतू नोतानी, उपायुक्त
24. रविश तिवारी, तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी
25. गरीबपाल दर्दी, आबकारी अधिकारी,
26. नोहर सिंह ठाकुर, आबकारी अधिकारी,
27. सोनल नेताम, सहायक आयुक्त, आबकारी विभाग
28. अरविंद सिंह,
29. अनुराग द्विवेदी, मेसर्स अनुराग ट्रेडर्स
30. अमित सिंह मेसर्स अदीप एग्रोटेक प्राईवेट लिमीटेड
31. नवनीत गुप्ता
32. पिंकी सिंह, प्रोप्राईटर अदिप एम्पायर्स
33 विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू
34. त्रिलोक सिंह, ढिल्लन, मेसर्स ढिल्लन सिटी मॉल प्राईवेट लिमीटेड
35. यश टुटेजा, निवासी कटोरा तालाब रायपुर
36. नितेश पुरोहित, गिरीराज होटल, रायपुर
37. यश पुरोहित, गिरीराज होटल, रायपुर
38. अभिषेक सिंह, डायरेक्टर मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्राईवेट लिमीटेड
39. मनीष मिश्रा, मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्राईवेट लिमीटेड
40. संजय कुमार मिश्रा, सी.ए. मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्राईवेट लिमीटेड
41. अतुल कुमार सिंह श्री ओम साईं, बेवरेजेस प्राईवेट लिमीटेड
42. मुकेश मनचंदा, श्री ओम साई बेवरेजेस प्राईवेट लिमीटेड
43. विजय भाटिया, भिलाई
44. अशीष सौरभ केडिया, मेसर्स दिशिता वेंचर्स प्राईवेट लिमीटेड
45. मेसर्स छ.ग. डिस्टलरीस प्राईवेट लिमीटेड
46. मेसर्स भाटिया वाईन एवं मर्चेंटस प्राईवेट लिमीटेड
47. मेसर्स वेलकम डिस्टलरीस
48. सिद्धार्थ सिंघानिया, मेसर्स सुमीत फैसलिटीस लिमीटेड एवं टॉप सिक्योरिटीस फैसलिटीस मैनेजमेंट
49. बच्चा राज लोहिया मेसर्स इगल हंटर सॉल्युशन लिमीटेड एवं पार्टनर
50. मेसर्स अलर्ट कमाण्डों प्राईवेट लिमीटेड एवं पार्टनर
51. अमित मित्तल, मेसर्स ए टू जेड प्राईवेट लिमीटेड एवं सहयोगी
52. उदयराव मेसर्स ए टू जेड प्राईवेट लिमीटेड का मैनेजर
53 मेसर्स प्राईम वन वर्क फोर्स
54. लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल निवासी भिलाई
55. विधु गुप्ता, प्रीज्म होलोग्राफी एवं सिक्योरिटीस प्राई लिमी.
56. दीपक दुआरी
57. दिपेन चावडा
58. मेसर्स प्राईम डेव्हलपर्स
59. मेसर्स ए ढेबर बिल्डकॉन
60. मेसर्स ए. जे. एस. एग्रोट्रेड प्राईवेट लिमीटेड
61. सफायर इस्पात के मालिक श्री उमेर ढेबर एवं श्री जुनैद ढेबर
62. अख्तर ढेबर
63. मेसर्स जगदम्बा इंटरप्राईजेस
64. अशोक सिंह
65. सुमीत मलो
66. रवि बजाज
67. विवेक ढांढ, निवासी- जी. ई. रोड रायपुर
68. अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारीगण
69. अन्य आबकारी अधिकारीगण
70. विकास अग्रवाल के साथीगण के अज्ञात नाम भी शामिल हैं।
Q&A
Q: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में कितने लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है?
A: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में 70 नामजद और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसमें तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के बेहद करीबी विजय भाटिया, अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, निरंजन दास, रतन प्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ 20 आबकारी विभाग के अधिकारी कर्मचारी और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी भाटिया वाइन एवं मर्चेंट, मेसर्स वेलकम डिस्टलरी मेजर्स, ए ढेबर बिल्डकॉन, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव और रेरा के अध्यक्ष रहे विवेक ढांड के साथ अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारी गण शामिल हैं।
Q: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला किस तरह हुआ?
A: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला 2019 में शुरू हुआ। तब तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने CSMCL के MD के रूप में अरुणपति त्रिपाठी को नियुक्त किया। त्रिपाठी अनवर ढेबर के सिंडिकेट का हिस्सा थे। त्रिपाठी ने अपने पसंद के डिस्टिलर की शराब को परमिट दिया, जो रिश्वत-कमीशन को लेकर सिंडिकेट का हिस्सा हो गए थे। देशी शराब के एक केस पर 75 रुपए कमीशन दिया जाना था, जिसे त्रिपाठी डिस्टिलर और सप्लायर से कमीशन लेकर एक्सेलशीट तैयार करते थे। इसके अलावा, त्रिपाठी और अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने देशी शराब और अंग्रेजी शराब ब्रांड के होलोग्राम बनाकर बेहिसाब शराब CSMCL की दुकानों में बेचीं, जिससे सीधे तौर से राजस्व की राज्य को हानि हुई।
Q: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से राज्य को कितनी हानि हुई?
A: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से राज्य को लगभग 2161 करोड़ रुपए की सीधी क्षति हुई है।
Q: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच अभी भी चल रही है या नहीं?
A: हाँ, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच अभी भी चल रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) इस मामले की जांच कर रहे हैं।