छत्तीसगढ़ में सर्व आदिवासी समाज ने ठोकी चुनावी ताल, विश्व आदिवासी दिवस में उत्सव नहीं आक्रोश भरी रैली! चुनाव में टक्कर देने तैयार

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Shivam Dubey
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छत्तीसगढ़ में सर्व आदिवासी समाज ने ठोकी चुनावी ताल, विश्व आदिवासी दिवस में उत्सव नहीं आक्रोश भरी रैली! चुनाव में टक्कर देने तैयार




Raipur. छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक है, ऐसे में सर्व आदिवासी समाज ने आज विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर चुनावी ताल ठोक दी है। राजधानी रायपुर में हजारों आदिवासी समाज के कार्यकर्ताओं ने अपने हक की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है। 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने के साथ-साथ चुनाव को लेकर भी सर्व आदिवासी समाज के कार्यकर्ता अपनी ताकत दिखा रहे हैं।  2 महीने बाद होने वाले चुनाव को लेकर सर्व आदिवासी समाज के कार्यकर्ताओं ने आदिवासी दिवस को उत्सव की तरह नहीं बल्कि आक्रोश की तरह मनाया है। लगभग 50 सीटों पर चुनाव लड़ने वाला सर्व आदिवासी समाज ने ताल ठोक दी है। पार्टी के अरविंद नेताम ने कहां है कि आरक्षित 30 सीटों के साथ-साथ 20 अन्य सीटों पर भी तैयारियां हो चुकी है क्योंकि वहां भी 60 से 80 हजार तक के वोटर आदिवासी है।




ये रहेंगे चुनावी मुद्दे!




पार्टी यह बोलकर चुनाव में उतर रही है कि आदिवासियों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। बस्तर में जगह-जगह चल रहे हैं आंदोलन में लोगों की आवाज दबा दी जा रही है। सिलगेर, हसदेव, पेसा कानून का उल्लंघन और आरक्षण का मुद्दा लेकर सर्व आदिवासी समाज चुनाव में अस्तित्व तलाशने उतरेगा। इतना ही नहीं हसदेव को लेकर सर्व आदिवासी समाज ज्यादा आक्रोशित दिखाई देता है और सरकार पर यह यह आरोप लगाता है कि आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है। सरकार को आदिवासियों की कोई चिंता नहीं है।




कुल मिलाकर आदिवासी समाज सरकार से कितना नाराज है। यह राजधानी रायपुर के इंडोर स्टेडियम में कार्यकर्ताओं ने आवाज बुलंद कर बता दिया है। साथ ही आने वाले चुनाव में एक गहरी चोट सरकार के आदिवासी वोट बैंक पर भी दिख रही है।


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