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RAIPUR. महाराष्ट्र के बाद अब जल्द छत्तीसगढ़ में गुजरात की तर्ज पर सीएम डैशबोर्ड बनाया जाएगा। इसके जरिए मंत्रालय से लेकर मैदानी अफसरों की परफॉर्मेंस भी तय की जाएगी। शुक्रवार को इस संबंध में गुजरात सीएम ऑफिस के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ के सभी बड़े अफसरों को वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बताया कि इस पोर्टल से कैसे प्रदेश में ई-गवर्नेंस लाया जा सकता है।
क्या है सीएम डैशबोर्ड ?
डैशबोर्ड शब्द काफी कॉमन है। कार में जिस तरीके से डैशबोर्ड होता है, जहां से तमाम कमांड दिए जा सकते हैं। ठीक उसी तर्ज पर गुजरात का सीएम डैशबोर्ड अपनी तरह का पहला ऐसा सिस्टम है। जो ई-गर्वर्नेंस से जुड़े तमाम डाटा को एक कमांड पर स्क्रीन पर दिखा देता है। इससे मुख्यमंत्री कार्यालय को तमाम डिपार्टमेंट, सेवाओं और अधिकारियों के प्रदर्शन को मापने में आसानी होती है। इतना ही नहीं कोई समस्या है तो उसके निवारण में ये अहम भूमिका निभाता है। गुजरात सीएम डैशबोर्ड के जरिए राज्य की जोनवाइज समीक्षा होती है। इसमें जिले और तहसील के स्तर परफॉर्मेंस को दिखाया जाता है। इतना ही नहीं सरकारी योजनाओं के क्रियान्यवन के लिए अंक भी प्रदान किए जाते हैं और इसके हिसाब से जिलों की रैंक तय होती है। ऐसे में ये सीएम डैशबोर्ड हर एक कलेक्टर को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। सीएम डैशबोर्ड से राज्य सरकार के सभी विभाग (सेक्रेटरी, एचओडी, नोडल/सब नोडल ऑफिसर्स) के साथ जिला मुख्यालयों को जोड़ा गया है। इनमें कलेक्टर, डीडीओ और एसपी आदि शामिल हैं।
सीएम ऑफिस के अधीन रहेगा डैशबोर्ड
गुजरात के अफसरों ने बताया कि ये डैशबोर्ड सीएम ऑफिस के अधीन रहेगा। इसके लिए विशेष सेल बनानी होगी, जिसमें हर विभाग के अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि वो अपना डाटा फीड करवाए। आपको बता दें तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार में भी सीएम डैशबोर्ड बना था, लेकिन गुजरात सीएम ऑफिस के अफसरों का कहना है कि उस डैशबोर्ड में कई खामियां हैं, जिसकी वजह से ना तो योजनाओं की ठीक से मॉनिटरिंग हो पती है ना अफसरों के परफॉर्मेंस को नापा जा सकता है। ऐसे में नए सिरे से डेवलप करना होगा, इसमें गुजरात सरकार के अफसर मदद करेंगे।
पेंडिंग वर्क की पूरी जानकारी
मुख्यमंत्री को अपने कार्यालय में बैठकर ये पता चल जाता है कि किस जिले का अमुख योजना में कैसा प्रदर्शन है। उदाहरण के तौर गांधीनगर में जिले में अब तक कितनी ग्रांट खर्च हुई। जमीन से जुड़े कितने फीसदी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण हुआ। इसके साथ ही ऑफिसर्स के केपीआई का पता चल जाता है कि अमुख अधिकारी ने दिए गए टास्क के बाद कितने पुलिस थानों का निरीक्षण किया।
2018 में हुई थी शुरुआत
गुजरात में साल 2018 में मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के कार्यकाल में इसकी शुरुआत हुई थी। इसे नेशनल इंफारमेटिक्स सेंटर (NIC) की मदद से स्थापित किया गया है। ये डैशबोर्ड ई-गर्वर्नेंस से जुड़े 3 हजार इंडीकेटर पर प्रदर्शन का आकलन करता है। इसकी पहुंच ग्राम पंचायत तक है। गुजरात सरकार को सीएम डैशबोर्ड से फास्ट डिलीवरी और समस्याओं के तुरंत निदान में मदद मिली है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है योजनाएं हों या फिर विकास कार्य उनकी रियल टाइम मॉनिटरिंग इसके जरिए संभव है। कोरोना के मुश्किल वक्त में हॉस्पिटल में बेड, ऑक्सीजन आपूर्ति और दवाइयों की उपलब्धता आदि के बारे में भी सारी जानकारियां इस डैशबोर्ड की वीडियो वॉल के जरिए प्राप्त की गई थी।
क्या-क्या काम करता है डैशबोर्ड ?
डाटा कलेक्शन
डाटा वैलीडेशन
डाटा एनालिसिस
आईडेंटीफिकेशन ऑफ करेक्टिव इंडीकेटर्स
परफॉरमेंस मीजरमेंट
फीडबैक मैनेजमेंट
सिटीजन रिस्पॉन्स
करेक्टिव मेकेनिज्म