RAIPUR. छत्तीसगढ़ कांग्रेस की अहम बैठक आज यानी 28 जून को दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कांग्रेस कार्यालय में होने जा रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू की संयुक्त उपस्थिति रहेगी। स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम बैठक में रहेंगे ही। कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान के बाद यह छत्तीसगढ़ की बैठक है, जिस पर नजरें टिकी हुई हैं।
बेहद अहम है यह बैठक
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सतह से तो पानी शांत दिख रहा है, लेकिन सतह के नीचे बेहद तेजी है। मसला राजस्थान की तरह भले आमने-सामने का कतई ना हो, लेकिन उससे कमतर नहीं है। कांग्रेस के भीतरखाने नज़र रखने वालों की मानें तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस में मसला राजस्थान से भी ज़्यादा गंभीर है।यह ‘ओपन सीक्रेट’ है कि छत्तीसगढ़ में एक ओर सीएम भूपेश हैं और दूसरी तरफ बाकी क्षत्रप। सीएम भूपेश बघेल कुर्सी पर बने रहने में सफल रहे हैं, वे सियासत में बेहद सधे और पगे साबित हुए हैं। लेकिन कुर्सी पर बने रहने के लिए जो स्वाभाविक हथकंडे उन्होंने अपनाए, उसने उनके विरोधियों को मजबूती से लामबंद किया है।
शह और मात के इस खेल को इस चतुराई से खेला जा रहा है कि केवल देखने वाला भी कई सबक यूं ही सीख जाए। छत्तीसगढ़ में सरकार फिर बने, यह लक्ष्य है, लेकिन विश्वास के चरम पर ले जाकर मिले छल और इरादतन अपमान की अविराम शृंखला जो उत्तर छत्तीसगढ़ से लेकर दक्षिण छत्तीसगढ़ तक कई लोगों के साथ जारी रही है, यह सत्ता वापसी की राह में अब वे अदृश्, लेकिन भयावह गड्ढे हैं, जिसे पाटना या पार पाना ही सबसे बड़ी चुनौती है। ये देखना राजनीति के छात्रों को और बेहतर करेगा कि कैसे खुद को निर्द्वंद्व रहने देने के लिए, विरोधियों के लिए बनाए गए गड्डे एक वक्त के बाद खुद के खिलाफ विकराल खाई में तब्दील हैं और अब उससे पार कैसे पाया जाता है।
बैठक के भीतर जो हो, पर लाइन यही होगी- बेहतर समन्वय के साथ सत्ता वापसी
संगठन प्रभारी कुमारी सैलजा की उपस्थिति में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में होने वाली यह बैठक बिला शक अहम है। आखिर यह पहला मौका है, जब छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी बेहद जरूरी चेहरे एक साथ मौजूद होंगे। बैठक के भीतर विषयों को लेकर ज्वार भाटा आएगा, बरसात के मौसम में कमरे के भीतर की आर्द्रता बढ़ेगी। बहुत कुछ होने की संभावनाएं हैं, लेकिन इन सारी ‘संभावनाओं’ में किसी बदलाव की ‘आशंका’ फिलहाल या फौरी तौर पर कतई नहीं है। बैठक के बाद एकता के संदेश झलकाती तस्वीरें आएगी ही। यह बयान भी आएगा कि बैठक में कांग्रेस की सत्ता वापसी के लिए गंभीर विमर्श हुआ और सब से अहम यह लाइन भी आएगी- ‘सब एकजुट हैं। समन्वय के साथ बेहतर काम करेंगे और सत्ता वापसी होगी।’ लेकिन ये पंक्तियाँ कितनी सार्थक होंगी, यह समझने के लिए इंतजार करना होगा। जाहिर है कि चुनाव के नतीजों तक।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में क्यों चल रही तनातनी?
छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन में बखेड़ा तब खड़ा हुआ, जब अरुण सिसोदिया को संगठन महामंत्री और सीएम भूपेश के बेहद करीबी गिरीश देवांगन के विश्वासपात्र रवि घोष को बस्तर प्रभारी बनाया गया। वहीं, जिस अमरजीत चावला से सीएम भूपेश की अदावत ऐसी है कि उसके खिलाफ शिकायत उन्होंने खुद अपनी कलम से की थी, उस अमरजीत को पीसीसी चीफ मरकाम ने युकां एनएसयूआई के साथ साथ रायपुर का भी प्रभारी बना दिया। मसला यह भी था कि चंद्रशेखर शुक्ला और प्रतिमा चंद्राकर जो उपाध्यक्ष और महामंत्री थे, उन्हें क्रमशः मोहला और राजनांदगांव का प्रभारी बनाकर रवानगी दे दी। ये दोनों नाम भी सीएम बघेल की गुडबुक में थे।