Raipur. छत्तीसगढ़ में विश्व हिंदू परिषद की बैठक होने वाली है। जिसके कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। विहिप की केंद्रीय प्रबंध समिति की चार दिवसीय बैठक 23 से 26 जून तक होगी। बताया जा रहा है छत्तीसगढ़ में 20 सालों के बाद विहिप की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में शामिल होने 14 पदाधिकारी विदेशों से रायपुर पहुंचेंगे। वहीं मार्गदर्शक मंडल के रूप में साधु-संत भी शामिल होंगे। इसके तैयारियां जोर शोर से की जा रही है। सभी अनुषांगिक संगठन 23 जून से शुरु होने वाली बैठक की व्यवस्था और तैयारियों को देख रहे हैं। रायपुर के माहेश्वरी भवन में विहिप के 400 पदाधिकारी शामिल होंगे। इसमें मतांतरण समेत हिंदुत्व के तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी।
छत्तीसगढ़ में बैठक के निकाले जा रहे कई मायने
राज्य में जशपुर और बस्तर में आदिवासियों के मतांतरण का मुद्दा पहले से ही गरमाया हुआ है। कवर्धा, बिरनपुर की घटना हो या फिर नारायणपुर में कथित रूप से मतांतरित लोगों द्वारा आदिवासियों के साथ मारपीट की घटना, इन तमाम मुद्दों पर विहिप चिंतित है। विशेषकर मतांतरण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए गांव-गांव तक समिति बनाकर अलख जगाई जा रही है। ऐसे में विहिप के राष्ट्रीय स्तर की बैठक के कई मायने निकाले जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो राज्य निर्माण के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ में विहिप के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की चार दिन तक बड़ी बैठक हो रही है। छत्तीसगढ़ में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में हिंदुत्व के लिए काम कर रहे इस संगठन की प्रदेश में बैठक को अहम माना जा रहा है।
आगामी कार्ययोजना और राजनीतिक पस्थितियों पर चर्चा
23 से 26 जून तक होने वाली यह बैठक कमल विहार स्थित माहेश्वरी भवन में की जाएगी। इस बैठक में विहिप के केंद्रीय अधिकारी, प्रांतों के अध्यक्ष, संगठन मंत्री, मंत्री, प्रांत के मंत्री और ट्रस्टी समेत देशभर से करीब 400 लोग शामिल होंगे। विहिप सूत्रों की माने तो इस बैठक में आगामी कार्ययोजना और वतर्मान राजनीतिक पस्थितियों पर चर्चा होगी। बैठक को लेकर विहिप प्रांत इकाई के अध्यक्ष संतोष गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर वर्मा, प्रांत संगठन मंत्री जितेन्द्र वर्मा और प्रांत मंत्री विभूतिभूषण के अलावा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रमेश मोदी के निर्देशन में तैयारियां शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि राज्यों में ऐसी बैठकें हर साल होती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में बैठक का निर्णय 2003 के बाद साल 2023 में लिया गया है।
सभी अनुषांगिक संगठनों की भूमिका रहेगी
छत्तीसगढ़ में बीजेपी मुख्य विपक्ष की भूमिका में है। बीजेपी भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का एक राजनीतिक अनुषांगिक संगठन है। बताया जा रहा है कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंगदल जैसे 30 से ज्यादा संगठन इसमें शामिल हो सकते हैं। ऐसे में भले ही जनता के सामने किसी और मुद्दे को लेकर बैठक की जानकारी दी जाए लेकिन इस बात को मानने से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस बैठक में आगामी चुनाव को लेकर चर्चा न की जाए। बीजेपी चुनाव में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी कर चुकी है। विशेषज्ञों की माने तो 2018 के विधानसभा चुनाव को दौरान अनुषांगिक संगठनों से बीजेपी को ज्यादा मदद नहीं मिली थी, वहीं आने वाले चुनाव में अनुषांगिक संगठनों की भूमिका सबसे ज्यादा रहने वाली है।