ये वाला टू लाइनर कौन लिखा है जी...!
कुछ तो गड़बड़ चल रहा है। खासकर भर्ती के मसले में। पीएससी को लेकर तीर तूफान शाह जी तक चला के रेंग दिए तो व्यापम में आंसर शीट पर गड़बड़ी पर डॉ रमन सिंह ने निशाना साध दिया। कसर बची थी तो गुरुजी भर्ती पर हाई कोर्ट ने ब्रेक लगा दिया। कुल जमा भर्ती का मसला हुआ नहीं कि राहु केतु शनि सब फुल वोल्टेज हो ले रहे हैं। हमाए भैया को किसी ठीक-ठीक नजूमी से चौघड़िया वग़ैरह चेक कराना चाहिए। भैया को शायद पता नहीं है। भाजपाई लोग ये सब फंस जाने वाले मामले की रसीद भी उन्हीं के नाम फाड़ रहे है। बता रहे हैं कि जान-बूझ के गड़बड़ी किए हैं और कोर्ट कूदा दिए हैं कि जाओ स्टे ले लो। पक्का तो नहीं है कि कौन इसको रच कर वॉट्सऐप पर शेयर किया है, लेकिन उसमें यह पंक्तियां हैं - “हर भर्ती फंसा देंगे केस में.. एक बार तो फॉर्म भरिए छत्तीसगढ़ प्रदेश में।”
ये लोचा, कौन सोचा...?
अचानक भयानक हमला भाजपाई नईं करते हैं, बेसिकली पॉइंट ऑफ ऑर्डर उनको सरकारी दावों से ही मिल जाता है। भूपेश भैया की सरकार विधानसभा के भीतरे बाहरे, कागज में स्क्रीन में, बैनर में मतलब चारों कोति खुद से बोले हैं कि बेरोजगारी दर देश में सबसे कम 0.8% है। अब भूपेश भैया खुद बोल रहे हैं कि बेरोजगारी भत्ता के तीन माह के भीतर ही 80 करोड़ दे दिए हैं। अपने डॉक्टर साहब पूछे हैं कि सच्ची सच्ची बताओ, पहले वाला सही या अभी वाला..।
थर्ड अंपायर का फुल संपोट मोहन भइया को...
राजीव भवन वाले मोहन भइया का जलवा पूरे जलाल से जारी है। उन्हें त्रिभुवन की जय और केंद्रीय राजनीति में गहरी दख़ल रखने वाले “मठ-महंत” का फुलटुस संपोट मिला हुआ है। पिछले हफ्ते मोहन भइया के स्लिप में कैच की अपील रिव्यू में जाकर खारिज हो गई है, पर जलवा यहीं नहीं थमा है। हर बरस कोंडागांव से माई दंतेश्वरी के दरबार तक पैदल हाज़िरी देने वाले मोहन भइया चयन समिति के चेयरमेन होने वाले हैं। इधर मोहन भईया के खास अमरजीत, राजीव भवन के पोर्च में लाल रंग की गाड़ी खड़ी करके अलग चिढ़ा रहे हैं।
भइया ने क्यूं कहा- चार महीने देवता सोएंगे, कोई शुभ काम नहीं होगा
पाटन वाले भइया का भी मस्त वाला स्टाइल है। जब जहाज में हजारों फीट उपर आसमान में थे, तब डिप्टी सीएम का आदेश जारी हो गया। सबको लगा कि वेलकम है, हैं तैयार हम, लिखने के बाद राजपत्र में प्रकाशन हो जाएगा। वाह अईसे हो जाएगा राजपत्र में प्रकाशन। आखिर भइया तो भइया हैं न। ट्विटर पर पहली बार देवशयनी का जिक्र कर दिए। लिखे कि अब से चार महीना देवता सोएंगे, कोई शुभ काम नहीं होगा।
रायपुर के बंगलों में लालू यादव
लालू जी की नौ संतानें हुई थीं, उनसे पूछा गया कि भाई नौ क्यों तो उन्होंने कहा था, देखिए हम सरकार के विरोध में थे। सरकार कही- दो बच्चा और नसबंदी तो हम नौ बच्चा किए, नसबंदी नहीं किए। जुआ को लेकर भूपेश भैया की सरकार ने कड़े नियम लागू किए हैं। लेकिन विरोधी लालू जी की फोटो लगा कर खेल कर रहे हैं। सहाफी को पता चला है कि तमाम कड़े कायदों और सजा के सख़्त प्रावधान के बावजूद सिविल लाइंस से लेकर शंकर नगर के कई बंगलों में मोबाइल पर शर्त लगाओ, पैसा बनाओ वाला गेम खेला जा रहा है। सहाफी ने बंगलेदारों से पूछा ये तो भूपेश सरकार ने रोक लगाई है, झट से जवाब आया हम जुआरी नहीं है, बस सरकार के विरोध में हैं। यह हमारा विरोध का तरीका है। लालूजी जिंदाबाद...।
हाईटैक बड्डे...क्यूआर कोड से सहयोग
हाईटैक होना कौन सा बुरा बात है भई! एक युवा नेताजी का हैप्पी बड्डे था, दूर गांव में था। स्टेट लेवल के इस नेता के किसी करीबी ने प्रदेश के खास कारिंदों को क्यूआर कोड भेजा। बताया गया- भाईसाब का बड्डे है, सहयोग राशि (संख्या भी) के साथ आपकी शुभकामनाएं अपेक्षित हैं। गीत-संगीत के साथ बड्डे निपट भी गया। युवा नेता को हमारी ओर से भी हैप्पी बड्डे, अपने राम को इस हाईटेक युग में हाईटेक सहयोग के साथ आगे बढ़ते नेता को देख प्रसन्न हैं।
डीजीपी साब को एक्सटेंशन मुबारक, लेकिन...
डीजीपी साहब को एक्सटेंशन मिल गया है। बधाई हो। लेकिन विभाग के ही ज्ञानी-ध्यानी लोग यह बता रहे हैं कि कोई कोर्ट-उर्ट तरक दिया तो दिक्कत होगा। सुप्रीम कोर्ट का न्याय दृष्टांत के साथ एक्सटेंशन के लिए राज्य सरकार के अधिकार दोनों को लेकर कोई फाइल तैयार हो रही है। शाह जी वाले विभाग को अभी कोई जल्दी नहीं है, सही वक्त पर कागज आगे सरक जाएगा।
समिति में नईएच्च रहेंगे, नए को मौका दीजिए
डिप्टी सीएम बनाए जाने के बाद भी मंत्री सिंहदेव की धीरता गंभीरता अविचल है। वे बोल चुके हैं कि कुछ नहीं बदला है, बैटिंग, बॉलिंग, फील्डिंग सब वैसे ही रहेगी। अभी दीदी के सामने फिर बैठक हुई। समितियों की बात आई। बताते हैं कि सिंहदेव अपने पिछले रुख से सूत भर नहीं सरके। हाथ जोड़कर विनम्रता से कहा है कि समितियों के लिए माफी।
अकबर भाई को घोषणा पत्र समिति का जिम्मा?
कवर्धा से विधायक अकबर भाई को वहीं पे रोका-छेका में समूचा संघ परिवार लगा हुआ है। भूपेश भैया के सबसे खास करीबी दो मंत्रियों में एक अकबर भैया को घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष बनाने की खबरें उड़ी हैं। खैर... अकबर भैया वैसे भी ज्यादा टेंशन नहीं लेते। पिछला ही बहुत सारा पूरा नहीं हुआ है और सिंहदेव की तरह घूम-घूम कर घोषणा पत्र बनाकर सरकार बनाने वाले सिंहदेव को ही चार साल क्या मिल गया? तो जो ढेर सारा पिछला बचा है, उसी को फिर से लिख देंगे, तबो काम चलेगा। बाकी टोटल फोकस को कवर्धा पर ही रखना है।
शौक-ए-दीदार है तो नज़र पैदा कर..
डिप्टी सीएम बन कर आए तो गिरीश भैया के बेहद करीबी रवि दादा वेलकम करने गए। विनम्रता शालीनता रवि दादा की पहचान है। दादा की विनम्रता पर किसी ने ये तस्वीर ले ली है।
सुनो भई साधो...
- बीस जुलाई के बाद प्रदेश में क्या नया तूफान आने वाला है ?