कांकेर में राजनाथ, बस्तर संभाग की 12 सीटों पर नजर, कांग्रेस ने भी यहीं से की थी कैंपेन की शुरुआत, जानें बस्तर का गणित और मिथक

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Atul Tiwari
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कांकेर में राजनाथ, बस्तर संभाग की 12 सीटों पर नजर, कांग्रेस ने भी यहीं से की थी कैंपेन की शुरुआत, जानें बस्तर का गणित और मिथक

RAIPUR. छत्तीसगढ़ में चुनावी कवायद होने लगी है। बस्तर संभाग की 12 सीटों को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। बीजेपी से लेकर कांग्रेस के बड़े नेता बस्तर का दौरा कर इसे अपने पाले में करने की कोशिश में जुट गए हैं। बीते 5 महीने में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के अलावा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर बस्तर के सभी जिलों में कोर ग्रुप की बैठक ले चुके हैं। इसी कड़ी में आज यानी 1 जुलाई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कांकेर में जनसभा करने आ रहे हैं।



वहीं, जून के आखिरी हफ्ते में प्रदेश कांग्रेस ने सैलजा के नेतृत्व में बस्तर से ही बूथ चलो अभियान को शुरूआत की थी। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्री मौजूद थे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यहां भरोसे के सम्मेलन में शामिल होने आई थीं, जबकि प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा बस्तर में संभागीय कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल हो चुकी हैं। यानी समझा जा सकता है कि बस्तर दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए क्या अहमियत रखता है।



मिथक या सच?



छत्तीसगढ़ में मिथक है कि बस्तर संभाग को जीतने वाले दल की ही प्रदेश में सरकार बनती है। 2003, 2008 और 2018 के विधानसभा चुनाव ने इस मिथक को सच भी साबित किया। इन चुनावों में जिस दल ने बस्तर संभाग की सीटों को अपने पाले में किया, प्रदेश में उसी दल की सरकार बनी। 2003 और 2008 में बस्तर संभाग की 12 सीटों में से 11 बीजेपी के पास थीं। 2018 के चुनाव में बीजेपी यहां से केवल एक सीट जीत सकी, भीमा मंडावी विधायक बने। बाद में भीमा मंडावी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी इस सीट को भी हार गई। इस तरह से अभी बस्तर की सभी 12 सीटें कांग्रेस के पास हैं। 



बस्तर में एक समय बीजेपी के बलिराम कश्यप और कांग्रेस के महेंद्र कर्मा का दबदबा था। इन दोनों के निधन के बाद से इलाके की पहचान कवासी लखमा से हो रही है। लखमा कांग्रेस से विधायक हैं।



बीजेपी के कौन-कौन नेता बस्तर में खम ठोक चुके?




  • 11 फरवरी- जेपी नड्डा, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (जगदलपुर में आमसभा)


  • 24 मार्च- अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री (सीआरपीएफ के कार्यक्रम में)

  • 28-31 मई- ओम माथुर (छत्तीसगढ़ में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी) का दौरा

  • 8 जून- गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री (आम सभा)



  • कांग्रेस के ये दिग्गज आ चुके




    • 13 अप्रैल- प्रियंका गांधी, राष्ट्रीय महासचिव कांग्रेस (भरोसे का सम्मेलन)


  • 2 जून- कुमारी सैलजा, प्रदेश प्रभारी छग कांग्रेस (संभागीय कार्यकर्ता सम्मेलन)  

  • 26 जून- कुमारी सैलजा (बूथ चलो अभियान)



  • कांग्रेस का इन कामों को करने का दावा




    • पौने पांच लाख एकल वनाधिकार पट्टे, 50 हजार सार्वजनिक पट्टे बांटे।


  • गायता, पुजारी, मांझी, चालकी के हितों को संरक्षित करने हेतु भूमिहीन किसान न्याय योजना के तहत सम्मान राशि दी।

  • .तेंदूपत्ता की मानक दर 4000 रु प्रति बोरा तय की।

  • 52 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदी।



  • बीजेपी का ये दावा




    • ट्राइबल अफेयर्स के बजट में पिछले साल के मुकाबले इसमें 70% की वृद्धि।


  • चरण पादुका खरीदने नकद राशि दी गई।

  • बस्तर में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगा।

  • आदिवासी किसानों को 10 हजार रु प्रति एकड़ सब्सिडी दी जा रही है।

  • संस्कृति के संरक्षण के लिए देवगुड़ी का विकास।

  • नौ साल में 190% बढ़ गया बजट।

  • हर गांव में त्योहार मनाने के लिए आदिवासी परब योजना के तहत 10 हजार रुपए दिए जा रहे।

  • मात्रात्मक त्रुटि में सुधार से जनजाति समुदाय के लाखों लोगों को अधिकार मिला।

  • पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान से आदिवासी समाज को फायदा मिला।

  • पीएम पीवीजीटी डेवलपमेंट मिशन, आर्थिक स्थिति मजबूत करने में सहायक।

  • बीजेपी ने ही आदिवासी महिला को देश का सर्वोच्च पद दिलाया।

  • समाज की ज्यादातर महिलाएं एनीमिया ग्रस्त, इसे खत्म करने का मिशन।

  • शैक्षणिक विकास के लिए एकलव्य विद्यालयों में 38,800 शिक्षकों की भर्ती।


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