तो भला भूपेश भईया पुलकित मुदित क्यों ना हों
अरसे बाद राजीव भवन में भूपेश भईया पुलकित मुदित दिखे। दिखना भी चाहिए, एकदमे बनता है। दीपक भैया ने कुल जमा 23 मिनट 36 सेंकड का भाषण दिया। उसमें 48 बार भूपेश भईया का ज़िक्र किया। इसमें भी 22 बार सीधे नाम लेकर, और 26 बार पद या विशेषणों या संदर्भों के हवाले से। मोहन भईया जब पीसीसी चीफ़ थे तो कहाँ ऐसा होता था, बल्कि भूपेश भईया अक्सर ग़ुस्सा गोसाईं हो कर ही निकलते थे। वैसे भी भूपेश भईया चेहरे के भाव छुपा नहीं पाते, तो ज़ाहिर है ऐसी चमक भला क्यों छुपती। वैसे इस सहाफ़ी को अध्यक्ष जी के भाषण में गिनती गिन कर बताने वालों ने ये भी बताया है ति डिप्टी सीएम सिंहदेव साहब और स्पीकर साहब महंत जी का नाम एक एक बार ही लिया गया। अब भईया अगर इस पर भी ख़ुश हों तो भला ग़लत क्या है भई ?
अजब प्रेम की ग़ज़ब कहानी
प्रेम जी के साथ कुछ अजब ग़ज़ब ही हो रहा है। अच्छा भला मामला चल रहा था, बंगले में रौनक़ रहती थी। उन अफवाहबाजों पर कान ना दिया जाए जो नाम के साथ बताते नहीं थकते थे कि, वो जो “VA” है सब ओहिच्च देखता है, तो प्रेम जी का कुछ रॉंग नंबर था ही नहीं। अब ये पता नहीं क्या राहु केतु की दृष्टि वक्री हुई, प्रेम जी को विधायक दल की बैठक के बाद बता दिया गया कि, आपको ‘थैंक्यू’ बोलने के डायरेक्शन हैं। प्रेमजी सीधे रेंग दिए अपनी विधानसभा। प्रेमजी की प्रेम कथा में मोड़ आना बाक़ी था। समर्थकों ने तीन तूफ़ान मचाना शुरु ही किया था कि प्रेम जी को फ़ोन आ गया कि थमे रहिए। लाईट जली कि व्हेरी सीनियर ट्रायबल लीडर है, दक्षिण के साथ कहीं उत्तर भी जय आदिवासी हुआ तो ? तत्काल प्रेम जी को फ़ोन में बताया गया कि आपको बहुत बड़ी जवाबेदही दी जा रही है। खबरें हैं कि पाटन वाले भैया ने योजना आयोग के अध्यक्ष पद के लिए प्रेम जी का नाम जारी कर दिया है। पर वो प्रेम कथा ही क्या जिसमें अंड़गे ना हों। भले मानुष प्रेम जी को जो पद देना है उसमें कंडीशनल लोचा है। योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष राज्य में सीएम ही होते हैं और देश में पीएम। लेकिन पाटन वाले भैया हैं भावुक। बोल दिए हैं अब अईसा है कि बनेंगे तो प्रेम जी ही। अधिकारी भी मौसम मिज़ाज को जानते हैं तो ईशारे से समझाने की क़वायद भी हल्की सी हुई लेकिन अंततः आदेश जारी हो ही जाएगा। लेकिन संवैधानिक मसला खड़ा हो गया तो इसका जवाब क्या खोजा जाएगा यह मसला जरुर है।
लालबत्ती का क़िस्सा सीएम साहब ने यूँ ही थोड़ी सुनाया
सीएम साहब ने खबरनवीसों की महफ़िल में एक क़िस्सा सुनाया। क़िस्सा लालबत्ती का था, किस्सा लालबत्ती के जलवे का था।सीएम सर ने बताया कि, एम पी के समय जब वे मंत्री थे,तो कहीं गए थे। वहाँ लालबत्ती में कुछ गड़बड़ हुई तो एक टपरे नुमा जगह में लोग लग गए बनाने, सीएम भूपेश ने क़िस्सा सुनाते हुए कहा मुझे समझ नहीं आया कि इस ईलाके में तो वैसे भी जंगल ही जंगल है, और फिर रात में ये लालबत्ती भला कौन ही देखेगा।लेकिन लोग माने नहीं,और आखिर लाल बत्ती बनाकर जलाते हुए ही आगे बढ़े। अब खबरनवीसों की उस महफ़िल में भला सीएम साहब ने लालबत्ती का क़िस्सा सुनाया तो क्यों सुनाया।वो भी इस बात के साथ कि, लालबत्ती की जिद किस तरहा हुआ करती थी। ठहाका लगाते सीएम भूपेश ने बताया कि, वो जगह सरगुजा थी। अब सीएम साहब ने भले क़िस्सा सुनाया हो, खबरनवीस इसमें सियासती मायने तो तलाशेंगे ही।
अध्यक्ष जी देखिए तो लोटा कौन गिरा रहा है
कांग्रेस पार्टी में नए अध्यक्ष जी हुए हैं। वो पुरजोर बोले हैं कि, सब बड़े सीनियर का राय लूँगा। सबको साथ लेकर सबको विश्वास में लेकर काम करेंगे। बात तो ठीक है। लेकिन एकता की इस बाँसुरी में राग सही नहीं बैठ रहा है। सामंजस्य समन्वय का लोटा लुढ़क जा रहा है।ये जो नए अध्यक्ष जी हुए हैं अभी उन्होंने कार्यकारिणी बनानी है, ज़ाहिर है सभी पुराने को तो रवानगी देंगे नहीं। लेकिन खेला होबे अँदाज में, इधर मरकाम जी के थैंक्यू का आदेश निकला और पीसीसी के मीडिया ग्रुप से संगठन में अहम दायित्व सम्हालने वाले भाई को खो कर दिया गया। ये भी है कि इस भाई से पाटन वाले भईया विकट कुपित हैं। ये भी याद रखिए कि ये भाई मोहन भैया के घनघोर घटाटोप ख़ास हैं।अब पीसीसी मीडिया से जुड़े ग्रुप से ढूकला ढूकली करने के पहले एडमिन सर थोड़ा धैर्य रख लेते तो बेहतर होता। अब एक जगह और गड़बड़ हो रहा है। जिनके नाम में ही महंत हैं वे ही नहीं गए। बताते हैं कि, अध्यक्ष जी के कार्यक्रम ब्यौरे में उनका नाम ही नहीं लिखा था। अध्यक्ष जी पिलीज लूक मेटर सेंसीयरली।
ये वाला बात ठीक जोड़े दीपक जी
राजीव भवन में दीपक बैज जी एक बात को तीन बार बोले हैं। बात ये बोले हैं कि देखिए सौ में एक दो गलती अगर हो जाए तो डाँटना, कान पकड़ना। युवा दीपक जी ने तुरत से भी पहले यह लाईन भी जोड़ी है कि, ये बंद कमरे में करना। दीपक जी दूरंदेशी हैं वाक़ई। अब युवा विंग से लेकर विधायक और फिर माननीय सांसद जी बने और अब पूरे देश में कांग्रेस के सबसे युवा प्रदेश अध्यक्ष भी बने हैं। उनसे बेहतर कांग्रेस को कौन समझेगा। अईसे ही तो बात बोले नहीं होंगे।
भाईसाब आपका तय है सीएम तो आप ही
बीजेपी में ‘जय भाजपा’ तो है पर चुनावी महासमर के नतीजे में ‘तय भाजपा’ को लेकर गारंटी देने वाला कोई नहीं है। संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर बढ़े चलो का ध्येय वाक्य का हश्र ऐसा है कि सब अलग अलग पथ पर चल रहे हैं, और सबका मानना है कि जिस पथ पर चल रहे हैं वही सुपंथ की राह है। संगठन के बड़े भाईसाब लोग बारी बारी से आते हैं और फिर चल जाते हैं। हर बार कोई नया समीकरण होता है और पिछला उलट घुलट जाता है। लेकिन इन सबके बीच भाईसाब लोग को यह जरुर पता कराना चाहिए कि, तय भाजपा की गारंटी मिल नहीं रही है पर वे कौन कौन हैं जिन्हें यह सुनना बहुत भा रहा है कि भाईसाब आपका तो तय है,अगले सीएम तो आप ही। संगठन के बड़े भाईसाब लोग को यह भी पता कराना चाहिए कि, जो ऐसा सुना रहे हैं आख़िर वे कौन हैं।
ब्रांडेड मिल नई रही और बाक़ी में माईलेज नहीं मिल रहा है
शराबियों का भी अपना संसार है। परम संतोषी होते हैं शराबी। लेकिन दुख का क्या करिएगा, उन्हें भी दुख घेर गया है, और मसला ये है कि दुख कब ख़त्म होगा ये भी समझ नहीं आ रहा है।दरअसल ईडी माता के क़हर से आबकारी विभाग में ऐसी उथल पुथल है कि कहिए मत। इस माता के क़हर से कई अधिकारी हाईवे छोड गली कूचा का रास्ता पकड़ नदारद हैं।इस फेर में ब्रांडेड शराब का टेंडर नहीं हुआ, नतीजतन ब्रांडेड दारु गुल हो गई है। सुरा प्रेमी तो संतोष कर भी लेता, लेकिन उनका दुख ये है कि जो ब्रांड मिल रही है उसमें माईलेज नहीं मिल रहा है। माईलेज बोले तो चढ़ नहीं रही है।
शौक़-ए-दीदार है तो नज़र पैदा कर
तस्वीर राजीव भवन की है। किसी ने इस ख़ाकसार को भेजी है ये बताते हुए कि, काली वाली गाड़ी सीएम साहब की है, और ठीक बग़ल वाली गाड़ी में अध्यक्ष जी थे।पता नहीं भेजने वाला कहना क्या चाहता था।
सुनो भई साधो
1- राज्य प्रशासनिक सेवा 2008 बैच के 6 अधिकारियों का आईएएस प्रमोशन क्यों नहीं हो रहा है ?
2 - कलेक्टर और आईजी की लिस्ट क्यों रुक गई है ?