सरकार झूठ ना बोले
सरकार इसलिए सरकार होती है, क्योंकि वो जो कहती है वहीं अंतिम सत्य हो जाता है। भले शराब घोटाला मामले में ईडी की गिरफ़्त में केंद्रीय जेल में रोटी तोड़ रहे मूलतः बीएसएनएल वाले त्रिपाठी साहेब को लेकर सकल चराचर जगत में खबरें छपीं हैं, लेकिन सरकार ने कहा है कि उसे कुछ नई पता है। 18 जुलाई को अजय चंद्राकर ने सवाल लगाया कि ए पी त्रिपाठी पर किस केंद्रीय एजेंसी ने कार्यवाही की है। सरकार ने लिखित जवाब में कहा है ए पी त्रिपाठी के संबंध में केंद्रीय एजेंसी द्वारा किसी कार्यवाही की सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है। अब सरकार ने कहा है तो झूठ तो हो ही नहीं सकता, वो भी विधानसभा में दिया लिखित जवाब झूठा कैसे हो सकता है, फिर वो विभाग जिसके भारसाधक सीधे सीएम साहब हैं।याने त्रिपाठी जी आबकारी की नई नीति के बारे में कहीं सोच रहे होंगे।
भईया को डिरेल करने की कोशिश
विधानसभा में पाटन वाले भईया अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देने जब खड़े हुए तो रात का बारह पार हो गया था। खैर भईया ने क्रमवार जवाब देना शुरु किया। सब ठीक था लेकिन विपक्ष ने तीन तूफ़ान शुरु कर दिया। डीएमएफ के मसले पर हाउस का जिक्र करने से भईया रिप्लाई में बोले कि,काम ज़्यादा शिवरतन और सौरभ सिंह के क्षेत्र में हुआ है।शिवरतन खड़े होकर बोल गए आपको ग़लत जानकारी है। सौरभ सिंह ने कहा जो खनिज प्रभावित क्षेत्र होगा वहीं तो ज़्यादा स्वीकृति होगी आप ही का बनाया क़ानून है। पाटन वाले भैया तब रिसा गए लेकिन फिर सम्हले और आगे बढ़े तो अजेय भैया कूदे और फिर टोके कि नान वाले अधिकारी सरकार चला रहे हैं किलोल पढ़ लीजिए। पाटन वाले भैया डिरेल हो ही गए थे, ज़ोर बहुते ज़ोर ग़ुस्सा गए थे लेकिन फिर सम्हले और बोले मैं आरोप प्रत्यारोप में नहीं जाउंगा।शिवरतन से उनका अंदाज कुछ ऐसा था कि अमित शाह जी और सफ़ेद शर्ट वाले वीडियो की याद आ गई।
बिरजू भैया आप सच्ची बोले या मौज लिए
बिरजू भैया याने बृजमोहन भैया अविश्वास प्रस्ताव में बोले हैं कि मुख्यमंत्री जी घोषणा कर देते हैं लेकिन पूरी होती नहीं है। बिरजू भैया बताए कि,एक जगह लोगों ने नदी माँगी,सीएम साहब बोले बनवा दूँगा।एक जगह किसी ने कहा शादी नहीं हो रही है सीएम साहब बोले करवा दूँगा, किसी ने कहा बीबी भाग गई है सीएम साहब बोल दिए दिलवा दूँगा। लेकिन कहीं कुछ हुआ नहीं।
ख़ुशी तो मनाओ लेकिन इधर तो सन्नाटा है
पिछले हफ़्ते से कलेक्टर ट्रांसफ़र का ज़ोर हल्ला है। लिखने वालों ने नाम सहित लिख डाला। एक साहब ने तो सूटकेस भी पैक कर लिया, लेकिन लिस्ट ना आनी थी और ना आई। बताते हैं कि लिस्ट की चर्चा से अपने जय सिंह भैया विशेष खुश और सिंहदेव साब ख़ुश थे। लेकिन जहां से लिस्ट जारी होनी है, वहाँ से खबर है कि सन्नाटा है। चुनाव सामने है तो हो सकता है कि,दबंग जय सिंह और अतिशय विनम्र सिंहदेव को बोला गया हो कि चलो भई फ़ील गूड कर लो, लेकिन यदि ऐसा है भी तो लिस्ट किधर ?
धरम भैया गरम क्यों ना हों
धरम भैया याने अपने कौशिक जी ने सवाल पूछा था प्रदेश में कार्यरत अनियमित संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण का। मार्च में सवाल पूछे थे तो सरकार ने कहा अभी रुकिए 22 विभाग से जानकारी नहीं आई है। धरम भैया फिर सवाल लगाए कि, मार्च में आप लोग नई बताने सके, तो अब तो जानकारी आ गई होगी अब बता दो। भूपेश भईया के विभाग ने जवाब में लिखा है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है।अब सोचिए भला पाँचवीं विधानसभा का आखिरी सत्र में भी सरकार यही जवाब दें तो भला धरम भैया गरम ना हों।
ये मुग़लिया सल्तनत कौन है
सबसे रिश्ता वाले नेता हैं बिरजू भैया। लेकिन सदन के भीतर से लेकर रायपुर की सड़क तक पुराने फायर मोड़ में है। सदन में बिरजू भैया जो बोले इस अंदाज में बोले कि विलोपित कैसे हो यह सवाल आ गया। बिरजू भैया ने सरकार की नग्न प्रदर्शन पर जमकर लानत मलामत की और बोले मैं थोड़ी बोल रहा हूँ कि तंत्र नपुंसक है,सरकार नग्न है, विनियोग की कॉपी लेट मिली तो कॉपी दिखा कर बोले कि इसे पुंगली बना कर उचित स्थान पर रख लो।लेकिन नज़रें टिकीं जबकि शारदा चौक के पास बीच सड़क पर चक्काजाम कर बिरजू भैया सभा कर गए। वे निगम पर फ़ायर थे। बार बार बोलते रहे मुग़लिया सल्तनत चल रही है। अब रायपुर में निगम का ज़िक्र हो और मुग़लिया सल्तनत शब्द का प्रयोग हो तो समझना कठिन थोडी है कि बोला किसे जा रहा है।
शौक़-ए-दीदार है तो नज़र पैदा कर
व्हाट्सएप पर केवल अफ़वाह नहीं तैरती। स्टेटस पर कई बार करारा तंज भी आता है। किसी ग़ुस्साए नागरिक ने इस रोड से गुजरते हुए तस्वीर खींची और स्टेटस पर यह लिख कर लगा दिया कि -माना कि मेरी क़िस्मत ख़राब है लेकिन इस रोड जैसी नहीं।
ए दे ले
डॉक्टर साब ने जानकारी माँगी कि शराब घोटाला में राजस्व को कितना नुक़सान हुआ,गिरफ़्तार किए अधिकारी कर्मचारी का पक्ष रखने कितने अधिकारियों को सरकारी खर्चे पर वकीलों की सेवा दी गई और इस पर कितना खर्च हुआ। कवासी लखमा का लिखित जवाब है कि प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए जवाब नहीं दे सकते। अरे सीधे लिख देते कि एक रुपईया खर्च नहीं कर रहे हैं। अब दादी के जवाब से डॉक्टर साब मुस्कुरा रहे हैं।
सुनो भई साधो
1- इस बात में कितनी सच्चाई है कि, बीजेपी अब डॉक्टर रमन के चेहरे पर लौट रही है।यह क्यों कह रहे हैं कि चुनाव समिति/ चुनाव प्रबंधन समिति में यह दिख जाएगा ?
2 - यह कितना सच है कि कांग्रेस कुछ सीटों पर क़रीब बीस पर, पहले प्रत्याशी डिक्लेयर कर सकती है ?