अजीब दास्ताँ है ये
बाहुबली फ़िल्म का डॉयलॉग है -मेरा वचन ही मेरा शासन है।बताते हैं कि ये सूबे के कुछ सरकारी फ़रमानों में गूंजता भी है। इस सहाफ़ी ने इस गूंज को पकड़ने का नुस्ख़ा पूछा तो बताया गया,सिंपल फ़ार्मूला है जिस फ़रमान की वजह समझ ना आए, उसमें कोई तुक-तान ना दिखे, समझ लीजिए फरमान में वही शब्द गुंज रहा है।अभी आईजी रेंज स्थानांतरण की लिस्ट निकली। जो हुआ क्यों हुआ समझ ही नहीं आया। दो रेंज में नए डिविज़न बन गए।एक में छोटा आईजी माने कि डीआईजी बैठा दिए को एक में सीधे आईजी साहब को बैठा दिए। इस सहाफी ने दरयाफ़्त कर दी कि, नया रेंज बना रहे हैं तो नोटिफिकेशन किधर है ? स्टाफ समेत बाक़ी आधार फ़ाउंडेशन किधर है ये कैसे पता चलेगा। सहाफ़ी को साहबान ने बताया कि पत्रकार जी, बाहुबली फ़िल्म में डॉयलॉग है मेरा वचन ही मेरा शासन है। सरकार ने हुकुम जारी किया तो मान लो कि सब हो गया है। सहाफ़ी मान लिया कि यह तो दमकते ‘सूरज’ की तरह साफ़ है सरकार का फ़ैसला हो लिया मल्लब हो लिया, लेकिन बग़ैर नोटिफिकेशन जो हुआ है उस पर इलेक्शन कमिशन आओ बाबू केबीसी खेलें कह दिया तो जवाब क्या देंगे।
मल्लब, कइसे होगा इन्ना बोर्ड फ्लैक्सी का
पाटन वाले भैया के सरकारी बंगले में हुई बैठक में यह सवाल आया कि, दिल्ली में जब फ़ैसला हो गया कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव का सामना करेंगे तो ‘भूपेश हैं तो भरोसा है’ का फुल वाल्यूम कैसे बज रहा है। मसाईल अनुषांगिक संगठन के प्रदेश व्यापी अभियान पर था जिसमें इस नारे को जन-जन तक पहुँचाना था। जिस अंदाज में यह बात उठी तो बताया गया कि, कार्यक्रम पहिले से तय था, अब तो लाखों फ्लैक्स भी बन गया है।लेकिन यह दलील मानी नहीं गई और ‘आन गाँव वाली दीदी’ का दो टूक निर्देश आया ये तो नहीं चलेगा। अब नए सिरे से फ्लैक्स बन रहे हैं उसमें मैटर लिखा रहा है - कांग्रेस है तो भरोसा है।
सीनियर कांग्रेसी की दो बात
कुछ तो गड़बड़ है। कांग्रेसियों का सम्मेलन होता है तो जेबकतरे पॉकेट साफ़ कर देते है का कांड इतने बार हो जा रहा है कि लोग इस मामले में बोलना बतियाना छोड़ दिए है।लेकिन अब एक ज़िले के राजीव भवन में डाइरेक्ट चोरी चपाटी हो गई है। चोर रसोईं का सामान टांग के निकल लिए हैं।पॉकेटमारों का क्या है जहां मौक़ा मिले वहीं हाथ का हुनर दिखा दें,लेकिन अब चोर भी धमक लिए हैं। वैसे किसी ने सहाफ़ी से दो बातें कही है पहला तो यह कि, देखो मसला ‘डाकू-डकैती’ तक नहीं जाएगा क्योंकि इस श्रेणी में कॉंपीट ही नहीं करता कोई, और दूजा ये है कि ये सब ‘पाकिटमारी-कांड’ साज़िश ज्यादा है, परिवार के बीच का मसला कुछ ‘विभीषण जी’ टाईप लोग मीडिया तक पहुँचा देते हैं।
ये वाला में कांग्रेस फ़र्स्ट पोज़ीशन पे चल रई है
ट्विटर और फ़ेसबुक पर याने सोशल मीडिया पर कांग्रेस बीजेपी का अकाउंट हैंडल करने वालों में जोर गर्दा उड़ा देने वाली प्रतियोगिता चल रही है। लेकिन कांग्रेस को भला कौन हरा पाया है वो भी ऐसे मसाईल में। लेकिन बीजेपी भी अपने कोई ज़ोर लगा रही है। वैसे जो शब्द इस्तेमाल किए जा रहे हैं उनकी ज़रा बानगी देखिए सोशल मीडिया एकाउंट में। जैसे - डॉक्टर की बरनाल,मुर्गा, गधा, आरोपों की बत्ती बना लो आगे की प्रक्रिया का अनुभव है,अघोषित ओएसडी शंखपुष्पी,दिमाग़ गिरवी रख दिया है,सुलग रही है, जलेगी भी बरनाल ख़रीदो, भ्रष्टाचार पर सौम्य रहने वाले।
बहरहाल कांग्रेस का सोशल मीडिया अकाउंट जो भी चला रहा है, उस साहेब को बधाई पहुँचे, कांग्रेस ने मज़बूती बनाए रखी है और अब तक ऐसे शब्दों के उपयोग में नंबर वन चल रई है।
पच्चीस सीट पर चेहरा बदलना तय ?
कांग्रेस के भीतरखाने से आ रही खबरें बताती हैं कि, कांग्रेस पच्चीस सीटों पर चेहरा बदलने की अंतिम तैयारियों में हैं। इनमें अधिकांश पहली बार के विधायक हैं। अब जब टिकट कटेगा तो ही साफ़ होगा मसला, लेकिन भीतरखाने से खबरें यह भी हैं कि, जिनके नाम इस सर्वे लिस्ट में आए हैं उनमें से अधिकांश नाम भईया के इर्द गिर्द ही जा टिकते हैं। दो मंत्रियों को लेकर भी कुछ अलांग बलांग सा मसला तैर रहा है, मसलन कि सीट बदल लेंगे तो ही बेहतर रहेगा।
अब कप्तान साहबान की बारी!
आईजी रेंज की अलटी पलटी हो गई, आईएएस साहब लोग का मसला भी सलट लिया।अब क़यास हैं कि, लिस्ट आएगी कप्तान साहबों की। इनमें भी हालाँकि कोई बहुत बड़ा उलटफेर होने का मसला होने के संकेत नहीं है। लेकिन इस लिस्ट में राजनीतिक रुप से अहम माने जाने वाले ज़िले शामिल जरुर हो सकते हैं।
ए साहिब ये ठीक नहीं
ये ठीक है कि, वचन ही शासन है, लेकिन यह कौन सी बात हुई कि, एवजीदार लिखना ही भूल जाएँ। आईएएस साहबान की लिस्ट जारी हुई उसमें यही दर्ज नहीं है कि,समाज कल्याण विभाग का डायरेक्टर कौन होगा ? पिछली बार महिला बाल विकास विभाग में भी सचिव को लेकर यही गफ़लत हो गई थी। वैसे ही एक साहब जिस दिन नए आदेश के अनुसार नए विभाग के सचिव बनेंगे उसी शाम रिटायर भी हो लेंगे, तो रहने ही देते पुराने विभाग में। एक साहब को मंत्रालय से बाहर भेजा गया है, बताते हैं कि, इन्होंने एक संवेदनशील विभाग से ये कह कर पल्ला छुड़ा लिया कि, मैं कैडर में अपने से जुनियर को रिपोर्ट नहीं करुंगा।
नड्डाजी की टीम में छत्तीसगढ़ से तीन पर मायने कई क्यों निकल रहे हैं
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जी ने टीम का एलान किया है। उसमें छत्तीसगढ़ से तीन लोगों को जगह मिली है। पर इन तीन के मायने कई निकल रहे हैं। इस सहाफ़ी के गुरु भाव में बैठे सीनियर ने यह कहकर असमंजस और बढ़ा दिया है कि, सोचो डॉक्टर साब का माहौल बना या लता दीदी का माहौल जमा ? बीजेपी के भीतरखाने से एक गोटी और फेंकी गई है। उस गोटी पर लिखा है कि, सरोज दीदी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रवेश के हर क़यास पर अब स्थाई ब्रेक लग गया है।
शौक-ए-दीदार है तो नज़र पैदा कर
शिक्षकों के, शासकीय कर्मचारियों के ग्रुपों में दर्द और ग़ुस्से को बाँटने का अंदाज भी अनूठा होता है। इस सहाफ़ी को यह दो व्हाट्सएप के स्क्रीनशॉट भेजे गए हैं। ट्रांसफ़र नहीं हो पा रहा और वेतन का मसला भी है, जरा देखिए अभिव्यक्ति का अंदाज क्या ग़ज़ब है।
सुनो भई साधो
1- 31 जुलाई को दिल्ली में ऐसा क्या है जिसका असर छत्तीसगढ़ में होना तय है।
2- प्रेमसाय सिंह को योजना आयोग वाला पद मिलने में दिक़्क़त है, यह बात क्यों तैर रही है।