ऐ भाई तेरी दुकान बंद कर दे, उड़ता तीर था या सही लिख गया लिखने वाला, सात अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पर नज़रें, अब ये दो तीन विधायक कौन?

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Yagyawalkya Mishra
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ऐ भाई तेरी दुकान बंद कर दे, उड़ता तीर था या सही लिख गया लिखने वाला, सात अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पर नज़रें, अब ये दो तीन विधायक कौन?











ऐ भाई तेरी दुकान बंद कर दे







ओम भाई साब एक तरफ़ा मोर्चा सम्हाले हुए हैं। डपटने में भी कमी नहीं करते हैं। घोषणा पत्र को लेकर कारजकरम का ही मसला लीजिए। एक नेताजी मंच पर एक अन्य नेताजी से विशिष्ट संवाद कर ही रहे थे कि, ओम भाई साब की कड़कती आवाज़ गूंजी। युवा विंग से अब बीजेपी की सियासत में सक्रिय इन नेताजी को टिकट की भी उम्मीद है। लेकिन मंच पर जबकि ओम भाई साब जब संबोधन दे रहे थे, नेता जी की यह हरकत पर ओम भाई साब का ग़ुस्सा चरम पर आ गया।मंच से ही बोले - ऐ भाई तेरी दुकान बंद कर दे।







सात अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पर नज़रें







शराब घोटाला मामले में नोएडा पुलिस का आए दिन राजधानी आ पहुँचने का शर्तिया दावा करने वाले क़िस्साबाजों को या तो नया क़िस्सा बताने का मौक़ा मिलेगा या वे कोई नई फुलझड़ी छोड़ेंगे। मसला ये है कि, नोएडा में ईडी की ओर से दर्ज एफ़आइआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की अदालत में अर्जेंट हियरिंग का आवेदन पहुँचा है। शराब घोटाले से सीधे तौर पर जुड़े इस मामले में नज़रें टिकी हुई हैं। आपत्ति यह जताई जाएगी कि जब ईडी को हाथ बांधने के सीधे डायरेक्शन थे तो एफ़आइआर काहे कराए। खबरें कहती हैं मसला एक तरफ़ा बल्ले बल्ले का नहीं होने वाला है। बहरहाल सात अगस्त सोमवार याने कल ही तो है।इंतज़ार में क्या दिक्कत।





उड़ता तीर था या सही लिख गया लिखने वाला







बीजेपी से जुड़े और बीती सरकार के समय तत्कालीन मुखिया जी के घोषित करीबी रहे एक भाई ने ट्विटर पर एक पोस्ट जारी किया।वो ट्विट यह सवाल उठाता है कि, जेल से कोई रोज कहीं निकलता रहे और किसी दिन हादसा हो जाए तो ज़िम्मा किसका ? ट्विट के नीचे डिस्क्लेमर भी ठोक दिया गया कि इसका लेना देना छत्तीसगढ़ से नई है। पर इस डिस्क्लेमर के बावजूद जो तूफ़ान मचा वो देखने लायक़ था। इस तीन तूफ़ान को देख सवाल कौंध ही गया है कि यदि उड़ता तीर था तो हड़बड़ाहट क्यों मची ?







अब ये दो तीन विधायक कौन हैं फिर







सीएम साहब ने बोला है कि सभी विधायक ठीक हैं, दो तीन का गड़बड़ाया होगा मसला तो गड़बड़ाया होगा। अब ऐसा बोल कर बहुत से विधायक सोच में पड़ गए हैं कि दो तीन विधायक में कहीं मैं पहले या तीसरे नंबर पर तो नहीं। लेकिन पाटन वाले भईया की बात से मसला यहीं नहीं थमा है। बहुत से दावेदार भी ज़ोर रिसाए खिसियाए मूड़ में कुछ कुछ बड़बड़ा रहे हैं। मसलन एक ने राजीव भवन में कहा है हाँ तो ठीक ‘अबकि बार पार ही पार’ को ही अंतिम सत्य मान लेना चाहिए।





सीनियर कांग्रेसी की बात तो सही है







प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू जी का हैप्पी बड्डे है। यूँ हर बरस होता है लेकिन इस बार लदकद थोड़ा ज़ोर है।अख़बार के पन्नों पर विज्ञापनों की भरमार है। पन्नों को पलटते एक सीनियर कांग्रेसी विभिन्न अख़बारों में बधाई विज्ञापन के पन्ने और छपी तस्वीरें गिन रहे थे। सहाफ़ी ने पूछा आप चचा के हैप्पी बड्डे पर क्या गिन रहे हैं तो जवाब आया जितना पन्ना बधाई विज्ञापन और उनमें तस्वीरें मौजूद हैं उतना ट्रांसफ़र ही करा लेते तो कुछ ठीक होता, अरे तुम्हारे चचा सिपाहियों का ही करा लेते।







साहब लोग का संविदा आदेश और मैडम का सस्पेंशन ऑर्डर किधर है







दो साहब लोग रिटायर हो गए हैं। एक खलखो साब, एक पिल्ले साब। दोनों को लेकर खबरें तैर रही हैं कि संविदा नियुक्ति मिल गई है। लेकिन आदेश किधर लापता गुमशुदा है इसका पता ही नहीं चल रहा है। पता तो रानू साहू मैडम के निलंबन आदेश का भी नहीं चल रहा है।गिरफ़्तारी के पखवाड़े भर बाद जीएडी की वेबसाइट पर एंट्री जरुर है जिसमें दर्ज है रानू साहू निलंबित। लेकिन मसला ये है कि आदेश की कॉपी किधर है। मसला तो ये भी है कि जब संविदा देना तय है या कि दी जा चुकी है,जब निलंबन तय है या कि किया जा चुका है तो आदेश को गुमशुदा करने का मतलब क्या है 







डीएमएफ के लिए ईडी को प्रेडिकेट अफेंस किधर से मिला







 डीएमएफ घोटाले में ईडी ने ईसीआईआर दर्ज कर ली है। कोयला घोटाला और अवैध वसूली मामले में गिरफ़्तार रानू साहू से पूछताछ का आवेदन भी ईडी ने दे दिया है।अब एक लाज़िम सवाल तैर रहा है। ईडी को ईसीआईआर के लिए प्रेडिकेट अफेंस किधर से मिला।किसी ने उड़ता तीर छोड़ा है कि, प्रेडिकेट अफेंस का मसला राज्य से ही प्राप्त हुआ है।





सुनो भई साधो







1- ये बात कितनी सच है कि पीएचक्यू से चुनाव आयोग के हवाले से जारी दरोग़ा ट्रांसफ़र लिस्ट में जानबूझकर सौ से अधिक दरोग़ा साहब लोग का नाम शामिल नहीं किया गया और इनमें अधिकांश बस्तर से हैं ?





2- ये अफवाह है या सच कि दंतेवाड़ा डीएमएफ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, कुछ ऐसा कि बड़े बड़े सूरमा भी कनपा गए हैं 



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