ये तो होना ही था
एक ज़िले में छोटे आईजी साहब का जोश पीएचक्यू के अधिकारियों की चर्चाओं का केंद्र बिंदु है। पंद्रह अगस्त के मौक़े पर सलामी लेती तस्वीर वायरल हुई तो सबका ध्यान उस ज़िले से आई तस्वीरों पर चला गया। तस्वीर में मुख्य अतिथि के साथ एसपी कलेक्टर होते हैं लेकिन उसमें छोटे आईजी साहब भी थे।अमूमन ऐसा होता नहीं है, लेकिन हो गया। बताते हैं इसके पहले जिस ज़िले में साहेब थे, वहाँ भी गणतंत्र दिवस के दिन कुछ ऐसा ही हो गया था।छोटे आईजी साब नियम प्लस क़ानून के तेज हैं, जिस ज़िले का यह क़िस्सा है वहाँ के थानेदारों को भी सीधे फ़ोन जा रहे हैं कि फ़लाँ मामले में डायरी किधर है ? यह भी संयोग है कि जिस रेंज में यह छोटे आईजी साहब हैं वहाँ के आईजी जहां भी आईजी रहे हैं उनके काम के तरीक़े से सारे एसपी मुरीद रहते हैं।
अमित कुमार की वापसी तय
1998 बैच के आईपीएस अमित कुमार की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापसी तय हो गई है। वे सीबीआई में पदस्थ थे। उनकी वापसी पहले हो जाती लेकिन कोल ब्लॉक से जुड़े मामलों की बेहद अहम जाँच की वजह से अमित कुमार की वापसी टल गई थी।अब सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि,जिन मामलों की जाँच पूरी हो गई है उनसे जुड़े अधिकारियों को उनके मूल कैडर भेजा जाना है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हरी झंडी दे दी है।
हिमंता बिस्वा कौन है,जानते हैं या नहीं जानते ?
बीजेपी विधानसभा चुनाव को लेकर किस कदर गंभीर है और पिन ड्रॉप साईलेंस के साथ कदम कदम आगे बढ़ रही है कि, थाह लगाना मुश्किल हो रहा है। 90 विधानसभा के लिए 90 विधायक आ रहे हैं, इनमें अधिकांश असम और पश्चिम बंगाल से आ रहे हैं। तेज लहर है कि छत्तीसगढ़ में जल्द हेमंता बिस्वा और शुभेंदु अधिकारी भी नज़र आ सकते हैं। हेमंता बिस्वा मतलब वही जो असम के सीएम हैं, राजनीति में रुचि रखने वाले जरा सा याद करेंगे तो उन्हें याद आ जाएगा कि, उधारी किसी सूरत नहीं रखने वाले हेमंता की रुचि आख़िर इस प्रदेश में उत्साह की हद तक क्यों है ?
जान जानी जनार्दन दे दना दन
कांग्रेसियों की एक ख़ासियत है वो जहां इकट्ठा होते हैं वहाँ कुछ न कुछ तिया पाँचा होता ही है। कहीं जेब कतरे पहुँच जाएँगे तो कहीं मंच धसक जाएगा। लेकिन जांजगीर का सीन कुछ अलग हुआ है। वहाँ शक्ति प्रदर्शन का नजारा दे दनादन तक पहुँच गया। रिकॉर्ड मतों से चुनाव हार चुके लेकिन सत्ता प्रमुख के कृपा पात्र पूर्व विधायक जी संगठन प्रभारी कुमारी सैलजा से मिलकर समर्थकों के ज़रिए दम दिखाना चाहते थे। उसी सीट से ज़िलाध्यक्ष भी इच्छुक हैं। जिस समय पूर्व विधायक जी कुमारी सैलजा से मिलने की क़वायद कर रहे थे उन्हें ज़िलाध्यक्ष द्वारा रोका गया कि अभी मत जाईए। पूर्व एमएलए साहब समर्थकों के साथ सर्किट हाउस में ही तेरी मेरी करने लगे। चिल्लम चोट खूब बढी सारी शाब्दिक मर्यादाएँ टूट गईं। बस वो मार धाड़ ही बची। अब सारी ज़हमत टिकट को लेकर थी लेकिन पूर्व एमएलए साहब के प्रदर्शन ने खुद से खेल बिगाड़ लिया है।दरअसल बहुत तेज फूं फाँ करते पूर्व एमएलए इस कदर रेस में थे कि जांजगीर से आने वाले प्रदेश के बड़े क्षत्रप से ही तेज सुर दिखा गए हैं। एक्स एमएलए साहब को भारी दिक़्क़त हो सकती है।
बीजेपी की लिस्ट में चाचा भतीजा ही नहीं, साढ़ू भाई भी हैं
बीजेपी ने 21 सीटों पर प्रत्याशियों की लिस्ट डिक्लेयर की है।शुरुआत में इस लिस्ट को लेकर कांग्रेस ने यूँ जताया कि, मानो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, लेकिन अब जबकि लिस्ट जारी हुए बमुश्किल तीन दिन हुए हैं, कांग्रेस कद्दावरों के चेहरे पर इस लिस्ट का तनाव दिखने लगा है। पर चुनाव में तना तनी और तनाव तो दिखना लाज़िमी है। आप यह ध्यान रखिएगा कि, इस लिस्ट में केवल चाचा भतीजा ही आमने सामने नहीं है, बल्कि साढ़ू भाई भी आमने सामने हैं।
सीएम भूपेश का ये सबक़ याद रहेगा ?
सीएम साहब ने कार्यकर्ताओं से क़सम खिलाकर यह कहा है कि, चौक चौराहों और मीडिया में साथी याने कांग्रेस के खिलाफ मत बोलना। व्हाट्सएप में कुछ मत लिखना।सीएम साहब ने यह भी कहा है कि, कैंडिडेट कोई हो, सरकार बनाना है। बात तो सही है लेकिन इसे कांग्रेस का कार्यकर्ता मान जाएगा यह बात हज़म होने वाली नहीं है। सरगुजा से लेकर बस्तर तक आलम एक समान है फ़र्क़ बस कहीं कम कहीं ज़्यादा का है। एक सीनियर कांग्रेसी ने इस सहाफ़ी से कहा है पूरी ताक़त से रायता फैलाया गया है, पंच वर्षीय शासन में पुरज़ोर ट्रेक्टर चला है, अब जो भी फसल है और जैसी भी फसल है उसे काटना ही पड़ेगा, क़सम से क्या ही होना है।
भगत जी ये तो उल्टी पड़ गई है आपकी बात
पाटन वाले भईया के सामने विजय को विजय का लक्ष्य दिया गया है। भईया के ‘ज़ोर करीबी’ भगत जी बोल गए कि सांड के सामने… ! अब ये जो विजय जी हैं इन्हे बैठे ठाले मौज लेने का मौक़ा दे दिया है भगत जी ने। विजय जी ने बोला है कि, सुनो ऐसा है न कि,सांड को हम पटकेंगे और छादूंगा और नथुनी भी डालूँगा। खुदे से मवेशी मान लिए हैं किसी को वो भी अड़ियल मवेशी तो मैं सम्हाल लूंगा, बल्कि देखना हो कि कैसे करुंगा तो कांग्रेस के जितने नेता मंत्री और राष्ट्रीय नेता हैं सब आ जाएँ देख लें कि जिसे वे खुद सांड मवेशी बता रहे हैं उसे कैसे क़ाबू में करते हैं। खबरें तेज उड़ी हैं कि, कांग्रेस के नेताजी के सांड वाले बोल को ही विजय के समर्थक मस्त मुद्दे बनाकर प्रचारित कर रहे हैं, साथ में मवेशी बांधने वाली रस्सी और मवेशी को हांकने में काम आने वाला मज़बूत डंडा भी प्रतीक रुप में दिखा रहे हैं।
नेताम जी का ये अंदाज
पांच पंचवर्षीय सत्ता के रथ पर सवार रहे नेताम जी को रामानुजगंज से फिर टिकट मिली है। जब टिकट की घोषणा हो गई उसके बाद नेताम जी चल दिए ग़दर फ़िल्म देखने। वहाँ से अपने राम बड़े इत्मिनान से रायपुर और फिर सरगुजा पहुँचे। अख़बारों में विज्ञापनों के साथ ऐसा ताम झाम कि लगा टिकट ही मिली है या कहीं डायरेक्ट मंत्री ही तो नहीं बन गए हैं। इधर बृहस्पति जो कुछ दिन पहले तक परेशान थे इस जलवा जलाल को देख फिर मुस्कुरा रहे हैं, अब बृहस्पति इस जलवा अभियान को किस रुप में ईलाके में फैला देंगे यह बृहस्पति ही जानें। लेकिन बृहस्पति की मुस्कान बता रही है कि, कुछ सूझ गया है। वैसे ये पता हो कि, ये रामानुजगंज सीट उस 21 सीट में एक है,जिन्हें बीजेपी बेहद ही ज़्यादा मुश्किल मानती है।
शौक-ए-दीदार है तो नज़र पैदा कर
सड़क पर मवेशी दिख रहे हैं और विपक्ष गौठान में गोठाला पर तीन तूफ़ान मचा रहा है। बची कसर गौठान पर सरकार के विधानसभा में दिए जवाब से निकल गई है जिसका हवाला देते हुए बीजेपी सवाल कर रही है एक मवेशी पर चालीस लाख खर्च कैसे किए।यहाँ तक भी मसला थमता तो बात थी। हाईकोर्ट ने सड़क पर मवेशी क्यों के सवाल पर भृकुटी टेढ़ी कर ली है। सीएस साहब ने सभी कलेक्टरों को बोला है मवेशी सड़क से भगाओ।तस्वीर छुरिया की है, जनपद के अधिकारी और एसडीओ साहब डंडा लेकर सड़क पर बैठे मवेशी हांक रहे हैं।
सुनो भई साधो
1- बीजेपी की 21 प्रत्याशियों वाली लिस्ट में कौन सी सात सीट ऐसी है जिसे लेकर कांग्रेस अब परेशान है ?
2- ईडी ने कोयला घोटाला मामले में जिन्हे आरोपी बनाया पर गिरफ़्तार नहीं किया है वे ख़ुश रहें या ज्यादा परेशान रहें ?