Chandrayan-3 की सफलता में सरगुजा के लाल का भी रहा योगदान, इसरो की हैदराबाद ब्रांच में हैं निशांत 

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The Sootr CG
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Chandrayan-3 की सफलता में सरगुजा के लाल का भी रहा योगदान, इसरो की हैदराबाद ब्रांच में हैं निशांत 

SURGUJA. अंतरिक्ष में एक बार फिर से भारत ने ताल ठोककर तिरंगे के नाम का डंका बजा दिया है। चंद्रमा के साऊथ पोल पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग से पूरे देश में खुशी की लहर है। 23 अगस्त 2023 की तारीख इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई है, क्योंकि अब तक चंद्रमा के इस छोर तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच पाया, जहां भारत ने चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग करा दी है। पूरा देश इस पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य के सुगुजा जिला के अंबिकापुर शहर में इसकी विशेष खुशियां मनाई जा रही है।  चंद्रयान-3 मिशन में इसरो के अन्य वैज्ञानिकों के साथ अंबिकापुर शहर का बीटा भी शामिल रहा है।



छत्तीसगढ़ के इस बेटे का भी योगदान



अंबिकापुर शहर में इसलिए चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की डबल खुशियां मनाई जा रही है। चंद्रयान-3 मिशन में काम कर रहे इसरो के समस्त वैज्ञानिकों ने पूरी मेहनत और लगन से इस अभियान को सफल बनाने में दिन-रात एक कर दिया। इन्हीं वैज्ञानिकों में से एक अंबिकापुर का निशांत सिंह भी है, जिसने चंद्रयान-3 में एक उपकरण लगाया है। ये उपकरण चंद्रमा पर मिट्टी समेत अन्य चीजों का अध्ययन करेगा। इसरो के वैज्ञानिक निशांत के साथ उनकी टीम ने चंद्रयान में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्टरोमीटर स्थापित किया है।



चंद्रयान-3 की सफलता के लिए हवन 



निशांत के परिजनों के साथ पूरा सरगुजा गौरवान्वित महसूस कर रहा है। निशांत के परिजनों ने 23 अगस्त की सुबह से ही चंद्रयान-3 की सफलता के लिए हवन-पूजन कर रहे थे। सुबह से ही सबकी आंखें टीवी में झांकते हुए चंद्रयान-3 की सफलता की खबर देखना चाहती थी। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद उनकी खुशी मुस्कान के रूप में झलकने लगी है।



इसरो के हैदराबाद ब्रांच में कार्यरत हैं निशांत 



निशांत सिंह अंबिकापुर के गूढनपुर निवासी अनिल सिंह के बेटे हैं, जो कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) हैदराबाद में वरिष्ठ विज्ञानी (सीनियर साइंटिस्ट) के पद पर पदस्थ है। साथ ही निशांत उन वैज्ञानिकों की टीम में भी शामिल हैं, जिन्होंने चंद्रयान-3 में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्ररोमीटर लगाने में योगदान दिया है। इसी उपकरण के माध्यम से चंद्रमा में मिट्टी, पत्थर जैसे तत्वों पर अध्ययन किया जाएगा।



निशांत की मां हुई भावुक 



निशांत सिंह की मां रत्ना सिंह ने इस मौके पर कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के लिए वो सुबह से ही पूजा-पाठ कर रही थी। टीवी पर नजरें सभी की गड़ी हुई थी। उन्होंने निशांत की तारीफ करते हुए बताया कि निशांत पढ़ाई में बचपन से ही काफी अच्छा था। इसी कारण से वो आगे चलकर इसरो में पहुंचा। आज मुझे बहुत खुशी हो रही है। 



निशांत की प्रारंभिक शिक्षा 



इसरो के वैज्ञानिक निशांत की प्रारंभिक शिक्षा अंबिकापुर में हुई है। निशांत ने अंबिकापुर के मरीन ड्राइव में तीसरी तक की पढ़ाया पूरी की है। कक्षा चौथी और पांचवीं तक की पढ़ाई कार्मेल कान्वेंट स्कूल अंबिकापुर, बाद में नवोदय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा सफक होने पर उनका चयन बसदेई स्थित नवोदय विद्यालय सूरजपुर में उन्होंने 10 वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 11वीं और 12वीं की पढ़ाई उन्होंने नवोदय विद्यालय कोट्टयम केरल से पूरी की थी। इसके बाद निशांत ने बीटेक की पढ़ाई आईआईएसटी तिरुवनंतपुरम से पूरी की थी। इसरो पीआरएल में अगस्त 2018 से सीनियर साइंटिस्ट के पद पर पदस्थ हैं।

 


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