12 करोड़ का बाड़ा बर्बाद, सफेद भालू देकर जेब्रा का जोड़ा लाए... नर की मौत
गुजरात की वनतारा जंगल सफारी से लाए गए ज़ेब्रा के जोड़े में से नर ज़ेब्रा की केवल 15 दिन के भीतर सांप के डसने से मौत हो गई ।ज़ेब्रा की इस जोड़ी को जंगल सफारी में लाने के लिए करीब 8 साल से प्रयास किए जा रहे थे।
नवा रायपुर के जंगल सफारी जू में विदेशी वन्य प्राणी ज़ेब्रा को बसाने की वर्षों की मेहनत आखिरकार नाकाम हो गई। गुजरात की वनतारा जंगल सफारी से लाए गए ज़ेब्रा के जोड़े में से नर ज़ेब्रा की केवल 15 दिन के भीतर सांप के डसने से मौत हो गई। इस अप्रत्याशित घटना से घबराए वन विभाग के अधिकारियों ने मादा ज़ेब्रा को तुरंत रेस्क्यू सेंटर में बंद कर दिया है और अब उसे पर्यटकों के सामने भी नहीं लाया जा रहा है।
ज़ेब्रा के लिए 8 साल से कर रहे थे कोशिश
ज़ेब्रा की इस जोड़ी को जंगल सफारी में लाने के लिए करीब 8 साल से प्रयास किए जा रहे थे। पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा स्वयं इस उद्देश्य से दक्षिण अफ्रीका तक गए थे। बाद में वनतारा जंगल सफारी से एक्सचेंज समझौते के तहत ज़ेब्रा मंगवाने पर सहमति बनी। ज़ेब्रा और जिराफ जैसे आकर्षक वन्य प्राणियों के लिए जंगल सफारी में लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत से विशेष बाड़े भी तैयार किए गए थे।
गुजरात से 30 अप्रैल को रेयर और रेयरेस्ट श्रेणी के ज़ेब्रा का जोड़ा लाया गया था। लेकिन 16 मई को नर ज़ेब्रा की मौत हो गई, और क्वारंटाइन पीरियड पूरा होने से पहले ही यह बहुप्रतीक्षित प्रयास विफल हो गया।
नवा रायपुर में ज़ेब्रा बसाने की कोशिश नाकाम- वनतारा जंगल सफारी से लाए गए ज़ेब्रा के नर की 15 दिन में सांप के काटने से मौत हो गई।
मादा ज़ेब्रा को रेस्क्यू सेंटर में भेजा गया- वन विभाग ने सुरक्षा के मद्देनजर मादा ज़ेब्रा को अब पर्यटकों से दूर रखा है।
ज़ेब्रा लाने की कोशिश 8 साल से जारी थी- दक्षिण अफ्रीका से ज़ेब्रा मंगाने के लिए पूर्व मंत्री खुद विदेश तक गए थे, कुल 12 करोड़ खर्च हुए।
सफेद भालू के बदले मिला था ज़ेब्रा- वनतारा सफारी से एक्सचेंज में ज़ेब्रा लाने के लिए सफेद भालू देने की शर्त रखी गई थी।
भविष्य के लिए वन विभाग की साख पर असर- ज़ेब्रा की मौत से वन विभाग की छवि को झटका लगा, भविष्य के ऐसे प्रयासों पर असर पड़ सकता है।
जेब्रा की मौत से वन विभाग के लिए भविष्य में खतरा
वन विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी वन्य प्राणियों की सुरक्षा में विभाग की यह विफलता भविष्य में ऐसे किसी भी प्रयास को हरी झंडी दिलाना मुश्किल बना सकती है। इससे पहले भी जब ज़ेब्रा लाने का प्रयास किया गया था, तो विदेश में ज़ेब्रा रखने वाले चिड़ियाघरों और वहां के वन विभागों को पत्र भेजे गए थे।
आखिरकार उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी के वनतारा जंगल सफारी से ज़ेब्रा जोड़े को लाने की सहमति मिली, लेकिन इसके बदले सफेद भालू के एक्सचेंज की शर्त रख दी गई। इस प्रस्ताव पर वन विभाग में डेढ़ साल तक असमंजस की स्थिति बनी रही, क्योंकि अधिकतर अधिकारी सफेद भालू देने के पक्ष में नहीं थे।