अंबेडकर अस्पताल में डायबिटीज की डेढ़ करोड़ की टेबलेट का घोटाला फूटने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग एक्शन में आया है। हेल्थ कमिश्नर शिखा राजपूत तिवारी ने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विवेक चौधरी से टेबलेट घोटाले को लेकर रिपोर्ट मांगी है। कमिश्नर कार्यालय से डायबिटीज की टेबलेट रेबोलसेस की जरूरत और खपत को लेकर विस्तार से रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।
मेडिसिन विभाग में मचा हड़कंप
अंबेडकर अस्पताल प्रशासन भी अपने स्तर पर रेबोलसेस टेबलेट को लेकर जांच करवा रहा है। अफसरों के अनुसार मेडिसिन विभाग के डाक्टर खुद हैरान हैं कि जो टेबलेट बेहद कम मरीजों को अच्छी तरह से परीक्षण के बाद ही दी जाती है, वहीं टेबलेट केवल 9 माह में डेढ़ करोड़ से ज्यादा कैसे उपयोग हो गई। अस्पताल की जांच समिति ने जो आंकलन किया है, उसके अनुसार रोज 50 से 60 हजार की केवल रेबोलसेस टेबलेट बांटी जा रही थी।
ऐसे किया जा रहा घोटाला
एक मरीज को अधिकतम 10 टेबलेट का पत्ता लिखा जाता है। इस तरह रोज औसतन 50 मरीजों को ये टेबलेट लिखी जा रही थी। विशेषज्ञों के अनुसार ये आंकड़ा चौंकाने वाला है। इसी से स्पष्ट है कि दवाएं गायब की जा रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, डाक्टरों की लिखी दवा पचों में रेबीलसेस टेबलेट लिखकर दवा काउंटर से गायब की जा रही है। उसी के बाद जांच शुरू की गई है।
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